विपक्ष की रैलियों में उमड़ी भीड़ से खौफजदा इमरान ने अब चली यह चाल
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विपक्ष की रैलियों में उमड़ी भीड़ से खौफजदा इमरान ने अब चली यह चाल

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने विपक्षी दलों की पेशावर रैली को रुकवाने के लिए नई चाल चली है. उनके इशारे पर प्रांतीय सरकार ने रैली पर आतंकी हमले का अंदेशा जताते हुए रैली स्थगित करने की अपील की है. 

 

फाइल फोटो

इस्लामाबाद: पाकिस्तान (Pakistan) में विपक्षी दलों की एकजुटता ने प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) की नींद उड़ा रखी है. इसके अलावा, महागठबंधन की रैलियों में उमड़ने वाली भीड़ ने उन्हें यह अहसास दिला दिया है कि अब उनका समय खत्म होने वाला है. यही वजह है कि इमरान सरकार ने इन रैलियों पर रोक के लिए हर पैंतरा आजमाना शुरू कर दिया है. 

  1. 11 विपक्षी पार्टियां इमरान के खिलाफ हुईं हैं एकजुट 
  2. पिछली रैलियों में जुटी थी जबरदस्त भीड़ 
  3. 22 नवंबर को पेशावर में होने वाली है रैली 

खतरा है, स्थगित कर लें
इसी के तहत, खैबर पख्तूनख्वा (Khyber Pakhtunkhwa) सरकार ने महागठबंधन से पेशावर में अपनी आगामी रैली को स्थगित करने को कहा है. इसके पीछे सरकार के मंत्री शौकत यूसुफजई (Shokat Yusafzai) ने आतंकी हमले की दलील दी है. उन्होंने कहा है कि पेशावर में 22 नवंबर को होने वाली रैली पर आतंकी हमले का अंदेशा है, इसलिए आयोजकों को चाहिए कि खतरे को देखते हुए रैली स्थगित कर लें. 

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नहीं हटेंगे पीछे
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यूसुफजई का कद इतना बड़ा नहीं है कि वह विपक्षी दलों से रैली स्थगित करने को कहें. वह केवल एक मैसेंजर हो सकते हैं, जो इमरान सरकार के अनुरोध को विपक्ष तक पहुंचा रहे हैं. वहीं, महागठबंधन ने खैबर पख्तूनख्वा सरकार के इस अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है. लिहाजा, माना जा रहा है कि वो रैली से पीछे हटने वाला नहीं है.   

11 पार्टियां आईं एक साथ
आपको बता दें कि इमरान खान को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए 11 विपक्षी दलों ने पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (Pakistan Democratic Movement-PDM) नाम से एक महागठबंधन बनाया है. इस गठबंधन ने इमरान को सत्ता से बेदखल करने के लिए रणनीति तैयार की है, जिसके तहत अब तक गुजरांवाला, कराची और क्वेटा में रैलियां हो चुकी हैं. 

मिला भारी समर्थन
22 नवंबर को पेशावर में रैली होनी है. पिछली रैलियों में महागठबंधन को जनता का भारी समर्थन मिला है, यही वजह है कि इमरान खान नहीं चाहते कि पेशावर में आयोजित की जाए. इसलिए उन्होंने प्रांतीय सरकार को मोहरा बनाकर आतंकी हमले का खौफ दिखाने का प्रयास किया है.   

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