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Pakistan Economic Crisis: भारी-भरकम विदेशी कर्जों की वजह से पाकिस्तान (Pakistan) इन दिनों खस्ताहाल हो चुका है. इसके बावजूद वहां के नेता सख्त कदम उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं.
पाकिस्तान के नए प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) ने तेल और गैस के दाम में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को नकार दिया है. इसके साथ ही देश के सरकारी खजाने पर लगभग 30 अरब रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ना तय हो गया है. ऐसा इस वजह से है कि विदेश से तेल-गैस की खरीद पर पाकिस्तान को अब ज्यादा पैसा चुकाना पड़ रहा है लेकिन उसे आम जनता को कम कीमत पर ये सारी चीजें मुहैया करवानी पड़ रही हैं.
पाकिस्तान (Pakistan) में 1 अप्रैल 2022 तक तेल कंपनियों का पहले से ही 30 अरब रुपये का बकाया पहले ही हो चुका है. अब रेट न बढ़ाने के फैसले से तेल कंपनियों पर 30 अरब रुपये का भार और चढ़ जाएगा. ऐसे में मौजूदा कीमतों पर तेल बेचने के लिए सरकार को अब 60 अरब रुपये का बकाया तेल कंपनियों को चुकाना होगा.
बताते चलें कि पाकिस्तान (Pakistan) के ऑयल एंड गैस रेगुलेटरी अथॉरिटी (OGRA) ने देश की अपंग अर्थव्यवस्था को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए पीएम शहबाज शरीफ को तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था. OGRA अपने प्रस्ताव में डीजल की कीमत में 51.32 रुपये प्रति लीटर (35.7 पीसी), पेट्रोल में 21.30 रुपये प्रति लीटर (14.2 पीसी), मिट्टी के तेल में 36.03 रुपये प्रति लीटर (28.7 पीसी) की बढ़ोतरी का सुझाव दिया था. पीएम शहबाज शरीफ ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया.
पाकिस्तान में तेल और गैस क्षेत्र आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब चल रही है. सरकार के इस फैसले के बाद देश के तेल उद्योग पर संकट और बढ़ना तय माना जा रहा है. ईंधन की कीमतों में वृद्धि नहीं करने के प्रधान मंत्री के फैसले के बाद, सरकार को अब तेल कंपनियों को बकाया 60 अरब रुपये का भुगतान करना होगा. जिससे पहले से ही कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान की हालत और खराब हो जाएगी.
पीएम शहबाज शरीफ ने बिजली कंपनियों को अपने उपभोक्ताओं से महंगा बिल वसूलने की अनुमति दे दी है. सरकार के इस फैसले से पहले से ही महंगी बिजली से परेशान लोगों की मुसीबतें और बढ़ जाएंगी.
सरकार ने केवल आगे के लिए ही बिजली के बिल नहीं बढ़ाए हैं बल्कि उन्हें बैक डेट से यह बढ़ा हुआ बिल चुकाना होगा. पाकिस्तान के लोगों को अब फरवरी से अब तक खपत की गई बिजली के लिए पाकिस्तान को 4.8 रुपये प्रति यूनिट की दर से अतिरिक्त कीमत चुकानी होगी. पाकिस्तानी नागरिकों को अप्रैल में मिलने वाले बिल में फरवरी से अब तक बढ़ा बिल भी जुड़ा मिलेगा.
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इससे पहले पाकिस्तान (Pakistan) के सेंट्रल पावर परचेजिंग एजेंसी (CPPA-G) ने पावर रेगुलेटर से अनुरोध किया था कि 38.4 बिलियन रुपये के बिजली घाटे को कम करने के लिए उपभोक्ताओं पर प्रति यूनिट 4.9441 रुपये की वृद्धि की अनुमति दी जाए. इस मुद्दे पर हुई जनसुनवाई में पाकिस्तान के नियामक आयोग NEPRA ने प्रति यूनिट 4.8530 रुपये की वृद्धि को मंजूरी दी थी. जिसे अब सरकार ने भी स्वीकार कर लिया है.
इन सबके बीच पाकिस्तान में गंभीर बिजली संकट जारी है. कोयला न होने की वजह से पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में बने 9 बिजली घर बंद हो गए. जिससे कई शहरों में ब्लैक आउट का खतरा बन गया है.
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