PAK: कजिन मैरिज चलन बन रहा परेशानी, लोगों को घेर रही ये बीमारी
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PAK: कजिन मैरिज चलन बन रहा परेशानी, लोगों को घेर रही ये बीमारी

करीबी रिश्तेदारों में शादी की परंपरा पाकिस्तान में बीमारियों की वजह बन रही है. ऐसी शादियों से जन्म लेने वाले बच्चों में आनुवांशिक रोग का खतरा बना रहता है. सामाजिक कार्यकर्ता इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, लेकिन कोई उन्हें सुनना नहीं चाहता. 

फाइल फोटो

इस्लामाबाद: इस्लाम (Islam) में चचेरी, ममेरी, मौसेरी या फुफेरी बहन से शादी (Cousin Marriages) को जायज माना जाता है. पाकिस्तान (Pakistan) में ऐसी शादियां आम हैं और अब इन शादियों के चलते वहां जेनेटिक डिसऑर्डर (Genetic Disorders) यानी आनुवांशिक विकार के मामले बढ़ रहे हैं. वैसे तो निकाह की ये व्यवस्था पूरी तरह वैकल्पिक है, लेकिन पाकिस्तान के कुछ कस्बों में करीबी रिश्तेदारी में शादी को एक परंपरा के तौर पर देखा जाता है.

  1. पाकिस्तान के कुछ हिस्सों कायम है परंपरा
  2. शादी से इनकार पर किया जाता है बहिष्कार
  3. कई तरह की बीमारियों से जूझते हैं बच्चे  

PAK के हाल पर तैयार हुई विस्तृत रिपोर्ट

जर्मनी के DW न्यूज ने कजिन मैरिज (Cousin Marriages) से होने वाली समस्याओं पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में पाकिस्तान के उन लोगों के बारे में बताया गया है जो निकाह की इस परंपरा से बंधे हुए हैं. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में रहने वाले 56 साल के गफूर हुसैन शाह आठ बच्चों के पिता हैं. स्थानीय आदिवासी रीति-रिवाजों के अनुसार उनसे उम्मीद की जा रही है कि वो अपने बच्चों की शादी परिवार के करीबी रिश्तेदारों में ही करें. हालांकि, शाह इस तरह की शादी से होने वाले बच्चों में आनुवांशिक रोग के खतरों को जानते हैं. उन्होंने 1987 में अपने मामा की बेटी से शादी की थी और उनके तीन बच्चे किसी ना किसी हेल्थ डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं.

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कजिन मैरिज को लेकर सामाजिक दबाव

शाह ने DW को बताया कि उनके बेटे का दिमाग सामान्य आकार में विकसित नहीं हुआ है. उनकी एक बेटी को बोलने में दिक्कत होती है और दूसरी को ठीक से सुनाई नहीं देता. उन्होंने कहा, 'मुझे सबसे ज्यादा अफसोस इस बात का है कि बच्चे पढ़ाई नहीं कर सके. मैं हमेशा चिंतित रहता हूं कि मेरे और मेरी पत्नी के जाने के बाद कौन उनकी देखभाल करेगा'. शाह ने बताया कि यहां कजिन मैरिज को लेकर सामाजिक दबाव रहता है. रिश्तेदारी में शादी ना करने पर लोगों को समाज से बहिष्कृत भी कर दिया जाता है. शाह को उन्हें अपने एक बेटे और दो बेटियों की शादी करीबी रिश्तेदारों से करनी पड़ी. उनके परिवार की मेडिकल हिस्ट्री में ब्लड डिसऑर्डर, लर्निंग डिसेबिलिटी, अंधापन और बहरापन की समस्याएं हैं. मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये इनब्रीडिंग की वजह से है. 

बढ़ जाती है शिकार होने की आशंका

रिपोर्ट के मुताबिक, करीबी रिश्तेदार से शादी में समस्या तब सामने आती है जब किसी एक पार्टनर में किसी तरह की आनुवांशिक बीमारी हो. समुदाय के भीतर शादी करने पर संभव है कि दूसरे पार्टनर में भी यही आनुवांशिक समस्या हो. ऐसे में होने वाले बच्चे को जीन में दो विकार मिलते हैं और उसमें डिसऑर्डर की आशंका बढ़ जाती है. वहीं, समुदाय के बाहर शादी करने पर जीन पूल बड़ा हो जाता है और बच्चे को माता-पिता से आनुवांशिक तौर पर समस्या मिलने की संभावना कम हो जाती है. 

1,000 से अधिक म्यूटेशन पाए गए

पाकिस्तान में जेनेटिक म्यूटेशन पर एक रिपोर्ट में म्यूटेशन के प्रकार और उनसे संबंधित डिसऑर्डर को ट्रैक किया गया है. रिपोर्ट के डेटाबेस के मुताबिक, पाकिस्तान में खून के रिश्तों में शादी होने से जेनेटिक डिसऑर्डर बढ़ रहे हैं. मुल्क में पाए जाने वाले 130 विभिन्न प्रकार के आनुवांशिक विकारों में 1,000 से अधिक म्यूटेशन पाए गए हैं. बाल रोग विशेषज्ञ हुमा अरशद चीमा ने बताया कि पाकिस्तान में इनब्रीडिंग की वजह से बहुत ज्यादा जेनेटिक डिसऑर्डर यानी आनुवांशिक बीमारियों के मामले आते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ विकारों को आसानी से पहचाना जा सकता है, क्योंकि ये उन्हीं विशेष समुदायों और कबीलों में पाए जाते हैं जहां अंतर्विवाह आम बात है. 

मौलवी कुछ भी सुनने को तैयार नहीं 

पाकिस्तान में फिलहाल सबसे आम समस्याओं में आनुवांशिक ब्लड डिसऑर्डर थैलेसीमिया शामिल है, जो लाल रक्त कोशिकाओं को ऑक्सीजन अवशोषित करने से रोकता है. चीमा ने कहा कि इस तरह के डिसऑर्डर की पहचान के लिए पाकिस्तान में जेनेटिक टेस्टिंग या खास स्क्रीनिंग की सुविधा नहीं है. यही नहीं, यहां जेनेटिक डिसऑर्डर के इलाज की भी कमी है. वहीं, कराची के हेल्थ एक्सपर्ट सेराज उद दौला का कहना है कि पाकिस्तान में कजिन से शादी इस्लामिक धार्मिक सिद्धांतों से जुड़ी हुई है. उन्होंने कहा, 'मैंने मौलवियों से आनुवांशिक बीमारियों के बारे में जागरुकता पैदा करने में मदद करने के लिए भी कहा. मैं लोगों को समझाता हूं कि किस तरह इस तरह की शादियां आनुवांशिक बीमारियों को बढ़ाने का काम कर रही हैं. हालांकि मौलवियों ने साफ इनकार करते हुए कहा कि ये शादियां इस्लामिक शरिया कानून और पैगंबर मोहम्मद की परंपराओं के अनुसार होती हैं.'

 

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