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नई दिल्ली: अफगानिस्तान (Afghanisthan) में तालिबान (Taliban) के कब्जे और पाकिस्तान (Pakistan) की खुफिया एजेंसी ‘ISI’से आतंकी संगठनों से रिश्ते का सच सामने आने के बाद से पाकिस्तानी सरकार बेहद दबाव में हैं. अफगानिस्तान पंजशीर में तालिबान का मुकाबला कर रहे National Resistance Front (NRF) के लड़ाकों पर हो रहे हमले में पाकिस्तानी सेना और उसके फाइटर जेट्स के शामिल होने के सबूत मिले, जिसके बाद दुनिया के कई देशों ने पाकिस्तान पर सवाल उठाने शुरु कर दिये हैं. ईरान (Iran) ने हाल ही में दिये एक बयान में साफ कर दिया है, कि अगर पंजशीर हमले में पाकिस्तान के शामिल होने के सबूत मिले तो वो इस मामले को गंभीरता से लेगा. दुनिया के देशों में पाकिस्तान की हो रही बदनामी और आतंकी संगठनों से उसके सांठगांठ के आरोप लगने के बाद से पाकिस्तान की काफी किरकिरी हो रही है.
दुनिया भर में हो रही इस बदनामी से बचने के साथ-साथ अपनी खराब होती छवि को दुरुस्त करने के लिए पाकिस्तान की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी तैयारी की है. Zee Media के पास मौजूद दस्तावेज से खुलासा हुआ है, कि इसी सितंबर महीने में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के सेशन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने साथ 40 सदस्यीय डेलीगेशन लेकर जा रहे हैं. UNGA डेलिगेशन में शामिल होने वालों में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ-साथ विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी, विदेश सचिव, यूनाइटेड नेशन में पाकिस्तान के राजदूत, पाकिस्तानी राजदूत समेत पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के कई अधिकारी शामिल हो रहे हैं.
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यही नहीं इमरान खान के दौरे से ठीक पहले 21 सितंबर से लेकर 24 सितंबर के बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी दुनिया भर के 9 देशों के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेगें. जिन देशों के साथ कुरैशी मुलाकात करेंगे उनके नाम चीन, तुर्की, रूस, सऊदी अरब, कतर, आयरलैंड, दक्षिण कोरिया,आस्ट्रिया और अमेरिका है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान के विदेश मंत्री इन देशों को ये समझाएंगे कि आतंक के खिलाफ लड़ाई में वो दुनिया के साथ खड़े हैं.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और विदेश मंत्री दौरे के दौरान अमेरिकी पत्रकारों से भी अलग से मुलाकात करेंगे ताकि इसके जरिए ऐसी रिपोर्टिंग कराई जा सके, जिससे पाकिस्तान की खराब होती इमेज दुरुस्त करने में मदद मिले.
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सूत्रों के मुताबिक पिछले महीने पाकिस्तानी सेना ने रावलपिंडी के आर्मी हेडक्वार्टर (Army Headquarters) में 50 सांसदों के साथ एक बैठक की थी, जिसमें ISI के अधिकारी भी शामिल थे. इस बैठक में ISI के पेरोल पर काम करने वाले कुछ पत्रकारों को भी बुलाया गया था, जिनसे ये कहा गया कि सिर्फ वो ही अंतरराष्ट्रीय मीडिया से बात करें. जानकार मानते हैं कि पाकिस्तानी सेना देश की अपनी खराब होती इमेज को सही करने और दुनिया का उसको लेकर विचार को बदलने की कोशिश कर रही है.
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