TTP अफगान तालिबान का करीबी सहयोगी और पाकिस्तानी यूनिट है जिसे अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने एक विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है. संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार, अफगानिस्तान में इसके 4,000 से 6,500 लड़ाके हैं.
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हिंसा के खतरों वाले देशों की लिस्ट में पाकिस्तान पूरी दुनिया में सबसे ऊपर यानी नंबर एक पर मौजूद है. इस बात की जानकारी अमेरिकी थिंक-टैंक, अर्ली वॉर्निंग प्रोजेक्ट की रिपोर्ट से मिली है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, सामूहिक हत्याओं के मामले में पाकिस्तान सबसे ज्यादा खतरे वाला देश है. अल अरबिया न्यूज के मुताबिक, पाकिस्तान इस समय तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंक के साथ-साथ सुरक्षा और मानवाधिकार की चुनौतियों का सामना कर रहा है. इस लिस्ट में अफगानिस्तान 7वें स्थान पर है. इसके अलावा म्यांमार भी एशियाई देशों में टॉप 10 में शामिल हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, पहले से आर्थिक और राजनीतिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान के लिए तालिबान की स्थानीय यूनिट का हिंसक रूप बड़ी चुनौती बनी हुई है. संयोग से, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने इसी सप्ताह सरकार के साथ संघर्ष विराम को वापस ले लिया और देशभर में हमले की धमकी दी. इससे भी पाकिस्तान की चुनौती बढ़ गई है.
टीटीपी ने बढ़ाई पाकिस्तान की मुसीबत
बैन संगठन टीटीपी ने एक बयान में अपने लड़ाकों से कहा, 'चूंकि विभिन्न क्षेत्रों में मुजाहिदीन के खिलाफ सैन्य अभियान चल रहा है, इसलिए आपके लिए यह जरूरी है कि आप पूरे देश में जहां कहीं भी हमले कर सकते हैं, करें.'
इस्लामिक समूह का हिंसक अभियान ने हाल के महीनों में गति पकड़ी है. पिछले महीने खैबर पख्तूनख्वा के लक्की मरवत जिले में एक हमला हुआ था, जिसमें 6 पुलिसकर्मी मारे गए थे. डॉन न्यूज के अनुसार, क्वेटा का हमला टीटीपी द्वारा संघर्ष विराम के बाद हिंसक अभियान की नई शुरुआत का संकेत है.
अल अरबिया न्यूज ने बताया कि इस्लामिक स्टेट (ISIS) के हमलों की धमकी, जिसके परिणामस्वरूप धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की भी घटनाएं भी पाकिस्तान की हाई रिस्क वाली रैंकिंग के अन्य कारकों में शामिल थे.
TTP अफगान तालिबान का करीबी सहयोगी और पाकिस्तानी यूनिट है जिसे अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने एक विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है. संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार, अफगानिस्तान में इसके 4,000 से 6,500 लड़ाके हैं. इसका फैलाव कबिलाई क्षेत्र से बाहर पाकिस्तानी शहरों तक है.
टीटीपी के लड़ाकों को बड़े पैमाने पर पड़ोसी अफगानिस्तान में भेज दिया गया था. लेकिन इस्लामाबाद का दावा है कि काबुल में तालिबान अब टीटीपी को सीमा पार हमले करने के लिए पैर जमाने दे रहे हैं.
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