नहर वाली हवेली दिल्ली के दरियागंज इलाके में गोला मार्केट की प्रताप गली में स्थित है. यह चार मंजिला परिसर 700 वर्ग गज में फैली थी. इसके निर्माण में मुगल स्थापत्य कला की झलकियां नजर आती हैं. वर्तमान में इस हवेली के मेहराब और इसमें हुए जालीदार काम ही एकमात्र पुराने अवशेष हैं.
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पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और करगिल युद्ध को शुरू करने वाले जनरल परवेज मुशर्रफ का दुबई के एक अस्पताल में निधन हो गया है. भारत के साथ युद्ध लड़ने वाले परवेज मुशर्रफ का जन्म देश की राजधानी दिल्ली में हुआ था. 11 अगस्त 1943 को वो दिल्ली के दरियागंज में स्थित नहर वाली हवेली में जन्में थे. इस हवेली में उनका एक बड़ा सा परिवार रहा करता था. पाकिस्तान के लोग आज भी इस हवेली को अपने पुरखों का घर मानते हैं. हवेली आज भी देखी जा सकती है. पाकिस्तान की सर्वोच्च गद्दी पर बैठे रहने के दौरान जब परवेज मुशर्रफ भारत दौरे पर आए तो उन्होंने इस हवेली के लेकर अपनी यादें ताजा की थीं.
नहर वाली हवेली दिल्ली के दरियागंज इलाके में गोला मार्केट की प्रताप गली में स्थित है. हवेली के एक हिस्सा गोलचा सिनेमा के तहत आता है. बताया जाता है कि इस हवेली को भीड़भाड़ वाले फैज बाजार इलाके में कूचा सादुल्लाह खान में फैले एक विशाल परिसर के ऊपर बनाई गई थी. यह चार मंजिला परिसर 700 वर्ग गज में फैली थी. इसके निर्माण में मुगल स्थापत्य कला की झलकियां नजर आती हैं.
वर्तमान में इस हवेली के मेहराब और इसमें हुए जालीदार काम ही एकमात्र पुराने अवशेष हैं. हवेली को अब एक आवासीय परिसर में बदल दिया गया है. ये हवेली अब 8 खंडों में बंट गई है. इसमें 40 से अधिक दुकानें, घर और व्यावसायिक परिसर शामिल हैं. हवेली के एक हिस्से में आज भी परवेज मुशर्रफ के रिश्तेदार रहते हैं जो बंटवारे के दौरान पाकिस्तान नहीं गए और भारत में ही रहना उचित समझा.
उनके पिता सैयद मुशर्रफुद्दीन और मां बेगम जरीन मुशर्रफ बंटवारे के बाद परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए थे. परवेज मुशर्रफ के पिता सैयद मुशर्रफुद्दीन ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी. इसके बाद वो भारतीय सिविल सर्विस में शामिल हो गए थे.
बंटवारे के बाद पहुंचे पाकिस्तान
हालांकि, बंटवारे के बाद वो पाकिस्तान पहुंचे और वहां के सिविल सर्विस में जुड़ गए. वहीं, परवेज मुशर्रफ की मां लखनऊ का जन्म लखनऊ में हुआ था. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी. हालांकि, पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए वो लखनऊ चली गई थीं और लखनऊ यूनिवर्सिटी से ही पीजी की पढ़ाई पूरी की.
पाकिस्तान के पूर्व जनरल परवेज मुशर्रफ की पढ़ाई लाहौर से हुई. उन्होंने क्रिस्चियन कॉलेज से गणित में पढ़ाई की. साल 1961 में परवेज मुशर्रफ का पाकिस्तान के मिलिट्री अकेडमी में एडमिशन हुआ. इसके बाद साल 1964 में पाकिस्तान की आर्मी में शामिल हो गए. साल 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में बतौर सेकेंड लेफ्टिनेंट परवेज मुशर्रफ भी शामिल हुए थे.
नवाज शरीफ को सत्ता से हटाया
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने साल 1998 में परवेज मुशर्रफ को पाकिस्तान का आर्मी चीफ नियुक्त किया. हालांकि, साल 1999 में उन्होंने ने नवाज शरीफ को पाकिस्तान सरकार की कुर्सी से उतार दिया. इसके बाद जून 2001 में परवेज ने सेना प्रमुख रहते हुए खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया. उनके इस फैसले का काफी विरोध हुआ लेकिन अप्रैल, 2002 में मुशर्रफ ने जनमत संग्रह करवाया और 5 साल के लिए राष्ट्रपति की गद्दी पर बैठ गए.
साल 2007 में कार्यकाल खत्म होने पर एक बार फिर मुशर्रफ ने राष्ट्रपति के चुनाव में जीत हासिल की. हालांकि, मुशर्रफ की जीत के खिलाफ मामला कोर्ट तक पहुंच गया. इसके बाद मुशर्रफ ने पाकिस्तान में आपातकाल की घोषणा कर दी और चीफ जस्टिस को हटाकर नया चीफ जस्टिस नियुक्त कर दिया. नए चीफ जस्टिस ने परवेज मुशर्रफ के राष्ट्रपति चुनाव में मिली जीत पर मुहर लगा दी. इसके बाद अगस्त 2008 में विपक्षी पार्टियों द्वारा महाभियोग लाए जाने पर मुशर्रफ ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया.
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