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लाहौर: पाकिस्तान में फ्रांसीसी राजदूत (French Envoy) को निष्कासित करने की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन के बीच हिंसा भड़क गई है. राजधानी इस्लामाबाद सहित कई शहरों में आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं हैं. इतना ही नहीं कई जगहों पर पुलिसवालों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया है. दरअसल, प्रदर्शनकारियों के बेकाबू होने के पीछे एक शख्स की गिरफ्तारी वजह है. गिरफ्तारी की खबर आम होते ही बड़े पैमाने पर हिंसा शुरू हो गई और इमरान खान (Imran Khan) सरकार उपद्रवियों के सामने बेबस नजर आई.
फ्रांस (France) में ईशनिंदा वाले कुछ प्रकाशनों को लेकर तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (Tehreek-e-Labbaik Pakistan-TLP) पार्टी के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि फ्रांसीसी राजदूत को तुरंत निष्कासित किया जाए. विरोध-प्रदर्शन की आग को दबाने के लिए पुलिस ने TLP के नए चीफ साद रिजवी (Saad Rizvi) को गिरफ्तार किया, लेकिन इसका उल्टा असर देखने को मिला. बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए और हिंसा शुरू हो गई. इस हिंसा में एक पुलिसकर्मी की हत्या की खबर है. जबकि TLP का दावा है कि पुलिस की गोलीबारी में उसके 12 कार्यकर्ताओं की मौत हुई है.
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वरिष्ठ पुलिस अधिकारी गुलाम मोहम्मद डोगर ने बताया कि तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के प्रमुख साद रिजवी को सोमवार को गिरफ्तार किया गया था. रिजवी ने धमकी दी थी कि अगर सरकार पैगंबर मोहम्मद का चित्र प्रकाशित किए जाने को लेकर फ्रांस के राजदूत को निष्कासित नहीं करती है, तो प्रदर्शन तेज किए किए जाएंगे. इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और सोमवार से हिंसा शुरू हो गई. डोगर ने कहा कि स्थिति को नियंत्रण करने के प्रयास जारी हैं और जल्द ही सब कुछ सामान्य हो जाएगा.
साद रिजवी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) का नया चीफ और पाक के कट्टरपंथी नेता खादिम रिजवी का बेटा. खादिम का पिछले साल नवंबर में निधन हो गया था, जिसके बाद उनके बेटे ने संगठन की जिम्मेदारी संभाली. अपने पिता की तरह साद रिजवी का भी ईशनिंदा को लेकर कट्टर रुख है. उसका संगठन ईशनिंदा कानून में बदलाव भी नहीं होने दे रहा है और अक्सर सरकार पर दबाव बनाने में कामयाब हो जाता है. फ्रांसीसी मैगजीन शार्ली हेब्दो में छपे पैगंबर मोहम्मद के विवादित कार्टून को लेकर साद रिजवी का संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहा है. उसकी मांग है कि फ्रांस के राजदूत को देश से निकाल दिया जाए. पिछले साल साद रिजवी के पिता के नेतृत्व में पूरे पाकिस्तान में प्रदर्शन हुए थे. तब प्रधानमंत्री इमरान खान ने भरोसा दिया था कि फ्रांस के राजदूत को वापस भेज दिया जाएगा, मगर इस पर अमल नहीं हुआ. इसलिए फिर विरोध की आग भड़क उठी है.
वहीं, करीब 800 से ज्यादा भारतीय सिख TLP द्वारा सड़क जाम करने की वजह से फंसे हुए हैं. पंजाब सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि रावलपिंडी के हसनाबदल में गुरुद्वारा पंजा साहिब में वैशाखी उत्सव में शामिल होने के लिए सोमवार को आया भारतीय सिखों का जत्था इस विरोध-प्रदर्शन की वजह से गुरुद्वारा नहीं पहुंच पाया है. उधर, इस मामले पर भारत ने चिंता जताई है. भारतीय उच्चायोग लगातार पाक विदेश मंत्रालय के संपर्क में है. सिखों का जत्था फिलहाल लाहौर के गुरुद्वारा डेरा साहिब में फंसा हुआ है.