IAS अफसर का रुतबा, अच्छी खासी सैलरी, नौकर-चाकर, सरकारी गाड़ी और सरकारी बंगला... किसे से सब अच्छा नहीं लगता. देश की सबसे कठिन परीक्षा UPSC पास कर आईएएस अधिकारी बन वो जिले या फिर किसी विभाग की जिम्मेदारी संभालते है.
IAS अफसर का रुतबा, अच्छी खासी सैलरी, नौकर-चाकर, सरकारी गाड़ी और बंगला... किसे ये सब अच्छा नहीं लगता. देश की सबसे कठिन परीक्षा UPSC पास कर आईएएस अधिकारी बन वो जिले या फिर किसी विभाग की जिम्मेदारी संभालते है. फिक्स ऑफिस टाइमिंग, अच्छी सैलरी, रिटायरमेंट के बाद पेंशन और जॉब सिक्योरिटी ये ऐसे फेक्टर हैं, जो युवाओं को सरकारी नौकरी की ओर खींचते है. लोग सरकारी नौकरी के लिए सालों मेहनत करते हैं. अगर सरकारी नौकरी IAS अधिकारी की हो तो बात कुछ और ही है. हालांकि दुनिया में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो अपने सपने के लिए IAS अफसर की नौकरी छोड़ने में भी नहीं सोचते. कलेक्टर, कमिश्नर की रुतबे वाली नौकरी छोड़कर बिजनेस में हाथ-पैर मानने वाले बहुत कम ही मिलेंगे. आज ऐसे ही 10 आईएएस अधिकारियों से मिलवाते हैं, जिन्होंने सरकारी नौकरी का सुख छोड़ बिजनेस के दांव-पेंच में अपना दिमाग लगाया और आज करोड़ों की कंपनी के मालिक हैं
एडुटेक कंपनी अनएकेडमी (Unacademy) के को फाउंडर रोमन सैनी ने अपने सपने को जीने के लिए के लिए पहले डॉक्टरी छोड़ी और फिर बाद में आईएस अधिकारी के पद स इस्तीफा दे दिया. सिर्फ 16 साल की उम्र में रोमन ने एम्स की मेडिकल परीक्षा पास की. दो साल काम करने के बाद उन्होंने डॉक्टरी छोड़ दी और पहले ही अटेंप्ट में यूपीएससी क्लियर कर लिया और IAS अधिकारी बन गए. कलेक्टरी भी उन्हें रास न आई और दो साल काम करने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया. रोमन ने दोस्त के साथ मिलकर अपनी कंपनी खड़ी की. रोमन ने कुछ ही सालों में एडुटेक कंपनी अनएकेडमी (Unacademy) को काफी बड़ी बना दिया.
प्रवेश शर्मा साल 1982 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. 34 साल बतौर आईएएस अधिकारी के तौर पर काम करने के बाद उन्होंने 2016 में रिटायरमेंट ले ली और सब्जी बेचने का काम शुरू किया. उनका स्टार्टअप बिजनेस 'सब्जीवाला' (Sabziwala) फल और सब्जियों की बिक्री से जुड़ा है,
साल 2000 बैच के आईएएस अधिकारी डॉ सैयद सबाहत अजीम ने सरकारी नौकरी छोड़कर अपना हेल्थकेयर स्टार्टअप शुरू किया. ऐसा करने के पीछे उनके पिता की मृत्यु थी. दरअसल सही इलाज नहीं मिलने के चलते उनकी मौत हो गई. हेल्थ केयर की दिशा सुधारने के लिए उन्होंने अपनी कंपनी Glocal Healthcare Systems शुरू की.
पहले आईआईटी से इंजीनियरिंग और फिर IPS बने राजन सिंह ने 8 सालों तक सरकारी अफसर की नौकरी की. साल 2016 में उन्होंने अपना स्टार्टअप ऑनलाइन कोचिंग क्लास ConceptOwl की शुरुआत की.
विवेक कुलकर्णी, साल 1979 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. 22 साल सरकारी अफसर रहे विवेक ने साल 2005 में नौकरी से इस्तीपा देकर ब्रिकवर्ड इंडिया फर्म की स्थापना की. बता दें कि ब्रिकवर्ड इंडिया एक नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग फर्म है.
आईएएस अधिकारी जीवी राव ने साल 2014 में वीआरएस ले लिया और अपना स्टार्टअप शुरू किया. लर्निंग स्पेस एजुकेशनल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के जरिए वो बच्चों को स्पेस साइंस सिखाते हैं.
साल 1985 बैच के IAS अधिकारी संजय गुप्ता ने केवल 22 साल की उम्र में यूपीएसई की परीक्षा पास कर ली. कुछ साल काम करने के बाद उन्होंने साल 2002 में स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले ली. उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर अडानी समूह में प्राइवेट काम शुरू किया. बाद नें उन्होंने लग्जरी होटल चेन कॉम्बो लॉन्च किया.
साल 1976 बैच के मणिपुर कैडर के आईएएस अधिकारी बालगोपाल चंद्रशेखर सिर्फ 6 साल नौकरी करके इस्तीफा दे दिया. साल 1983 में नौकरी से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने बायोमेडिकल उपकरण बनाने वाली कंपनी पेनपोल (Terumo Penpol) की शुरुआत की.
1956 बैच के UPSC के टॉपर आरसी भार्गव ने सरकारी नौकरी छोड़ मारुति सुजुकी ज्वाइन कर लिया, मारुति सुजुकी के चेयरमैन बने.
1985 बैच के IAS अधिकारी रोहित मोदी ने 14 साल सरकारी नौकरी करने के बाद इस्तीफा दे दिया और साल 1999 में प्राइवेट कंपनी का रूख किया. एल एंड टी आईडीपीएल, सुजलॉन एनर्जी, गैमन इंडिया जैसी कंपनियों के बड़े पदों पर काम किया.
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