Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को 10 दिन भी पूरे नहीं हुए लेकिन विकास की परियोजनाएं तेज रफ्तार से चल रही हैं. सरयू की नदी में अब जल्द ही वाटर मेट्रो दौड़ेगी. पहले से ही सोलर बोट और जटायू क्रूज सरयू की शान बढ़ा रहे हैं. 22 जनवरी को सरयू किनारे भव्य मंदिर में रामलला आए और अब सरयू में विकास की नई लहर चलाने की तैयारी है. भारत की समृद्ध विरासत और विकास की नई ऊंचाइयों की उड़ान के बीच अयोध्या में विकास परियोजनाएं तेजी से चल रही हैं. आइए आपको वाटर मेट्रो की कुछ खासियतों के बारे में बताते हैं.
अयोध्या में सरयू नदी में वाटर मेट्रो चलाई जाएगी, जिसमें जल्द ही राम भक्त सवार होंगे. केंद्रीय जलमार्ग मंत्रालय की ओर से बोट को जल्द ही योगी सरकार को सौंप दिया जाएगा. ये एक तरह की मोटर बोट है जिसे वाटर मेट्रो का नाम दिया गया है. इसके अंदर एक साथ 50 यात्री बैठ सकेंगे. शुरुआत में इसे अयोध्या के संत तुलसीदास घाट से गुप्तार घाट तक चलाया जाएगा. एक बार की चार्जिंग में ये बोट, 1 घंटे का सफर तय कर सकती है. ये वाटर मेट्रो बिजली से चलेगी, इसके लिए शहर में 2 चार्जिंग प्वाइंट्स भी बनाए गए हैं.
अयोध्या की वाटर मेट्रो, यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रख कर बनाई गई है. पानी में चलने वाली मेट्रो भी आम मेट्रो की तरह दिखती है. इसके अंदर भी फाइबर की सीट और कांच की खिड़कियां लगाई गई हैं. मेट्रो पूरी तरह एयर कंडीशन वाली होगी, यानी सैलानियों के मनोरंजन पर मौसम का कोई असर नहीं पड़ेगा. कोचीन शिपयार्ड में बनी ये वॉटर मेट्रो सरयू नदी के ऊपर किसी क्रूज की तरह दिखाई देगी.
राम मंदिर निर्माण के बाद से ही मोदी और योगी सरकार अयोध्या के कायाकल्प में जुटी है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से 3 दिन पहले ही 19 जनवरी को सीएम योगी ने अयोध्या को सोलर बोट की सौगात दी. खुद सीएम योगी सोलर बोट का लुत्फ उठाते नजर आए थे.वहीं 13 जनवरी को अयोध्या को जटायू क्रूज का तोहफा मिला था.
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद से अयोध्या में भक्तों का सैलाब पहुंच चुका है. लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. अयोध्या में भक्तों की इस भीड़ को सरकार इकॉनमी से जोड़ने में लगी है और इसलिए अयोध्या में एयरपोर्ट से लेकर रेलवे सेवा का विस्तार करने के बाद वाटर मेट्रो, वाटर क्रूज जैसी सेवाओं को धार दे रही है.
NSSO के मुताबिक आस्था की इकॉनमी 3 लाख करोड़ है, जो जीडीपी का 2.5 फीसदी है. 55 फीसदी हिंदू धार्मिक यात्राएं करते हैं. प्रतिदिन धार्मिक गतिविधियों में 1316 करोड़ रुपए खर्च होते हैं. और देश में तीर्थस्थलों पर सबसे ज्यादा सैलानी पहुंचते हैं.
आस्था के इस अर्थशास्त्र को सरकार अयोध्या में नई ऊंचाइयों पर ले जाने की कोशिश में लगी है और इसके लिए अयोध्या में विकास की परियोजनाओं की रफ्तार दिन दुनी रात चौगुनी हो चुकी है. वैसे भी अयोध्या में मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद से ही श्रद्धालु की संख्या में भारी उछाल आया था और अब मंदिर के दरवाजे खुलने के बाद इकॉनमी को भी बड़ा चढ़ावा मिलने वाला है.
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