Cheapest Kaju Market: सेहत के लिए रोजाना काजू- बादाम खाना अच्छा माना जाता है. लेकिन करीब 1000 रुपये किलो में बिकने वाले काजू खरीदना हर किसी के वश में नहीं होता. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसी जगह भी है, जहां आप सब्जी-भाजी की तरह महज 50 रुपये किलो में काजू खरीदकर ला सकते हैं.
खराब लाइफस्टाइल और खानपान में गड़बड़ी की वजह से आजकल लोग आंखों की रोशनी और याद्दाश्त कम होने की समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसी स्थिति से निपटने के लिए हेल्थ एक्सपर्ट अक्सर काजू- बादाम खाने की सलाह देते हैं. इनमें मौजूद तत्व ब्रेन और आंखों की नसों को मजबूत बनाने का काम करते हैं.
देश में काजू की कीमत सामान्य तौर पर 800 से 1000 रुपये किलो है, जिसे खरीदना हर किसी के बस की बात नहीं होती. ऐसे में लोग चाहकर इन सूखे मेवो के बारे में बस मन मसोसकर ही रह जाते हैं. हालांकि आज हम जो बात आपको बताने जा रहे हैं, उसे जानकर आप खुशी से फूले नहीं समाएंगे.
आप जानकर दंग रह जाएंगे कि हमारे इस देश में ही एक जगह ऐसी है, जहां पर आप टमाटर से भी कम कीमत यानी महज 50 किलो में काजू खरीदकर घर ला सकते हैं. देश में टमाटर के दाम इन दिनों 80 से 100 रुपये किलो पहुंचे हुए हैं. ऐसे में उससे भी सस्ते काजू मिलने की बात वाकई हैरान करने वाली है.
भारत में सबसे सस्ते ड्राई फ्रूट्स झारखंड राज्य में मिलते हैं. वहीं के जामताड़ा जिले को काजू की नगरी भी कहा जाता है. असल में वहां काजू के पेड़ बड़ी मात्रा में लगाए गए हैं, जिससे हर साल हजारों टन काजू उगता हैं. मांग की तुलना में सप्लाई कम होने की वजह से यह कौड़ियों के भाव में मिल जाता है.
जामताड़ा में ही एक गांव है नाला, जिसमें करीब 50 एकड़ जमीन पर काजू की पैदावार होती है. इस गांव के आसपास कोई प्रोसेसिंग प्लांट नहीं है, जहां पर वे काजू को सूखने तक सुरक्षित रख सकें. ऐसे में उन्हें कच्चे काजुओं को तुरंत बेचना मजबूरी हो जाता है, जिसके चलते वे कौड़ियों के भाव में उनकी तुरत- फुरत बिक्री कर डालते हैं.
जामताड़ा में काजू ऐसे बिकता है, जैसे दिल्ली-एनसीआर के बाजारों में सड़क किनारे सब्जियां बेची जाती हैं. वहां लोग जगह- जगह सड़कों पर बैठकर काजू बेचते दिख जाएंगे, जिसकी कीमत करीब 45-50 रुपये के आसपास होती है. वहीं प्रोसेस्ड काजू करीब 150-200 रुपये में मिल जाता है.
जामताड़ा के अलावा संथाल परगना और दुमका में भी काजू की खेती बड़े पैमाने पर होती है. वहां पर भी किसान कम पैसों में अपनी फसल बेचने को मजबूर रहते हैं. उनकी इस मजबूरी से बिचौलिये और आढ़ती तो मोटा फायदा उठा ले जाते हैं लेकिन किसान गरीब के गरीब रह जाते हैं.
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