Indian Navy War Ships: अरब सागर होते हुए भारत आने वाले कार्गो शिप्स की सिक्योरिटी के लिए इंडियन नेवी (Indian Navy) ने कमर कर ली है. यमन के हूती विद्रोही या कोई और भारत आ रहे जहाजों पर हमला ना कर पाए, इसके लिए इंडियन नेवी ने 5 ताकतवर वॉरशिप अरब सागर में उतार दिए हैं. ये युद्धपोत लाल सागर से अरब सागर होते हुए भारत आने वाले 3200 किलोमीटर के रूट को सेफ रखेंगे. अगर कोई हिमाकत करता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. पाताल तक खोज के मारा जाएगा. हाल में यमनी हूतियों ने भारत आने वाले जहाज पर ड्रोन हमला किया था, उसके बाद ये कदम उठाया गया है. जान लें कि इसी रास्ते से भारत का 75 फीसदी कच्चा तेल आता है. आइए सुरक्षा में तैनात किए गए भारत के युद्धपोतों की ताकत के बारे में जानते हैं.
कच्चा तेल लेकर भारत आने वाले जहाजों पर कोई हमला ना कर पाए, इसके लिए INS कोलकाता की तैनाती लाल सागर के मुहाने पर है. INS कोलकाता का काम स्वेज नहर के जहाजों को सिक्योरिटी देना होगा. कोई भी दुश्मन INS कोलकाता के आगे टिक नहीं पाएगा. हिमाकत करने पर उसे पाताल में ही दफन कर दिया जाएगा.
बता दें कि INS कोच्चि यमन के सोकोटरा आईलैंड के पास तैनात है. इसका टास्क यमन के ड्रोन अटैक से भारत आ रहे मालवाहक जहाजों को बचाना होगा. INS कोच्चि के हूती विद्रोहियों से पैनी नजर रखेगा. जैसे ही कोई ड्रोन यमन की तरफ से आता दिखेगा, INS कोच्चि उसे वहीं मार गिराएगा. इसके अलावा INS कोच्चि, कार्गो शिप को कब्जे में लेने की हर कोशिश को नाकाम करेगा.
भारत ने समुद्र में INS मोरमुगाओ को भी उतार दिया है. INS मोरमुगाओ पश्चिमी-मध्य अरब सागर में तैनात है. INS मोरमुगाओ का काम यमन के हमलों से डबल सिक्योरिटी देना है. INS मोरमुगाओ वहां तैनात है, जो इस रूट के लगभग बीच का एरिया है. INS मोरमुगाओ यहां INS कोच्चि के बैकअप के लिए रहेगा. यमनी विद्रोही या ईरानी हमलावर भारी पड़े तो वहां पहुंचकर INS मोरमुगाओ करारा जवाब देगा.
पूर्वी अरब सागर के इलाके में सुरक्षा के लिए भारत ने INS चेन्नई को पानी में उतारा है. INS चेन्नई का काम भारत तक सेफ ट्रैक बनाना है. इस रूट को पूरी तरह से सेफ रखना है. INS चेन्नई समुद्र में भारत के नजदीक होगा और यह भारत की समुद्री सीमा में कार्गों शिप के पहुंचने तक नजर रखेगा.
INS विशाखापट्टनम भी अरब सागर में तैनात है. ये एक तरह से बैकअप फोर्स के लिए है. INS विशाखापट्टनम का काम लाल सागर के मुहाने से लेकर पूर्वी अरब सागर तक तैनात चारों वॉरशिप के साथ कोऑपरेशन करना होगा.
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