Quantum Science and Technology: अपनी आंखों से देखी सबसे छोटी चीज को याद कीजिए. अब कल्पना कीजिए कि उस सबसे छोटी चीज के भीतर इतनी बड़ी दुनिया है जिसके बारे में आप जानते तक नहीं. क्वांटम साइंस हमें उसी दुनिया से रूबरू कराती है. यह फिजिक्स के मूलभूत सिद्धांतों में से एक है. वैज्ञानिक क्वांटम थ्योरी की मदद से परमाणु और उससे छोटी वस्तुओं के व्यवहार को समझा पाते हैं. हमारे आसपास की दुनिया जिन मूल कणों से बनी है, क्वांटम साइंस हमें उनके राज बताती है. आज क्वांटम साइंस ब्रह्मांड के रहस्य सुलझाने में मददगार साबित हो रही है. संयुक्त राष्ट्र ने भी क्वाइंम साइंस एंड टेक्नोलॉजी के महत्व को स्वीकारा है. 2025 को 'क्वाइंम साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वर्ष' के रूप में मनाया जाएगा.
क्वांटम साइंस और टेक्नोलॉजी ने इंसान की जिंदगी को बदलकर रख दिया है. जिस भी डिवाइस पर आप यह आर्टिकल पढ़ रहे हैं, उसे बनाने में क्वांटम साइंस ने अहम भूमिका निभाई है. सेमीकंडक्टर्स से लेकर लेजर, MRI, एटॉमिक घड़ियों आदि में क्वांटम फिजिक्स इस्तेमाल होती है. इसकी अहमियत को देखते हुए, संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 2025 को 'इंटरनेशनल ईयर ऑफ क्वांटम साइंस एंड टेक्नोलॉजी' का दर्जा दिया है. अगले पूरे साल में, दुनिया को क्वांटम साइंस और उसके फायदों के बारे में बताया जाएगा. (AI Image)
क्वांटम साइंस एंड टेक्नोलॉजी के लिए साल 2025 ही क्यों चुना गया? इसके पीछे बड़ी खास वजह है. करीब 100 साल पहले, 1925 में जर्मन फिजिसिस्ट, वर्नर हाइजनबर्ग ने वो मशहूर पेपर (Umdeutung paper) पेश किया था. उस पेपर में उन्होंने कई बदलावों की फिर से व्याख्या की, जो उस दौर में खोजी जा रही क्वांटम घटनाओं को समझने की खातिर क्लासिकल मैकेनिक्स के लिए जरूरी थे.
हाइजनबर्ग का वह पेपर क्वांटम मैकेनिक्स की आधारशिला बना. हाइजनबर्ग की पहचान 1927 में छपे अनिश्चितता सिद्धांत के लिए होती है. हाइजनबर्ग को 1932 में फिजिक्स के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें नोबेल प्राइज दिए जाने की सिफारिश खुद अल्बर्ट आइंस्टीन ने की थी. (AI Image)
प्रकृति में मौजूद सबसे छोटी चीजों के अध्ययन को क्वांटम विज्ञान कहते हैं. इसमें सबसे मूलभूत स्तर पर पदार्थ और ऊर्जा का अध्ययन किया जाता है. हमारे आसपास हर तरफ क्वांटम दुनिया मौजूद है, भले ही वह हमें नजर न आती हो. दुनिया में बहुत सारी बातें ऐसी हैं जिसे क्लासिकल साइंस के जरिए नहीं समझाया जा सकता. क्वांटम साइंस उस अंतर को पाटने में सहारा बनती है. क्वांटम साइंस की बदौलत, हमने लेजर और ट्रांजिस्टर बनाए जिनके सहारे आधुनिक दुनिया का खाका खींचा गया. (Photo : Casper College)
क्वांटम थ्योरी की सबसे मूल बात यह है कि पदार्थ और ऊर्जा को छोटे-छोटे पैकेटों में सोचा जा सकता है, और उनकी मात्रा उससे कम नहीं हो सकती. उदाहरण के लिए, किसी फिक्स फ्रीक्वेंसी के प्रकाश में फोटान्स के जरिए ऊर्जा एक जगह से दूसरी जगह पहुंचती है. इस फ्रीक्वेंसी के हर फोटॉन में बराबर ऊर्जा होगी और इस ऊर्जा को इससे छोटे टुकड़ों में नहीं तोड़ा जा सकता. (Photo : Princeton University)
तकनीक ने इंसान की जिंदगी को इतना आसान बना दिया है तो उसके पीछे क्वांटम फिजिक्स की अहम भूमिका है. किचन में मौजूद टोस्टर को लीजिए. उसमें कई धातुएं होती हैं जो गर्म होने पर लाल हो उठती हैं. आप किसी भी पदार्थ को गर्म कीजिए, नतीजा यही होगा. सभी पदार्थ को पर्याप्त गर्म करने पर वे पहले लाल होंगे, फिर पीले और फिर सफेद. वैज्ञानिकों के मुताबिक, इन गर्म तत्वों से निकलने वाली ऊर्जा चुनिंदा वेवलेंथ्स तक सीमित है. यह सीमा ऊर्जा की क्वांटम प्रकृति की वजह से है.
इलेक्ट्रॉनिक लाइट को ही ले लीजिए. बल्ब में इलेक्ट्रोड्स होते हैं जो गर्म होने पर इलेक्ट्रॉन बाहर निकालते हैं. ये इलेक्ट्रॉन बल्ब के भीतर बेहद कम मात्रा में मौजूद पारे पर बमबारी करते हैं. टकराव से पारे के इलेक्ट्रॉन उच्च क्वांटम ऊर्जा की स्थिति में कूदने लगते हैं. उच्च ऊर्जा वाले ये इलेक्ट्रॉन अपनी निचली स्थिति में वापस कूद जाते हैं और जब ऐसा होता है तब फोटॉन निकलते हैं जिससे रोशनी पैदा होती है.
सेमीकंडक्टर्स में भी क्वांटम फिजिक्स का यूज होता है. इनकी मदद से हम LED लाइटों से लेकर टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर्स और स्मार्ट डिवाइसेज बना पाते हैं. एक तरह से देखें तो सभी तरह के इलेक्ट्रॉनिक्स के पीछे क्वांटम मैकेनिक्स ही है. (AI Image)
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