Hamas Funding Secret Revealed: इजरायल (Israel) ने हमास (Hamas) को मिटाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है तो वहीं हमास भी झुकने को तैयार नहीं है. इजरायल के हमलों का हमास के आतंकी जवाब दे रहे हैं. अब तक इस युद्ध में इजरायल के 250 से ज्यादा सैनिक मारे गए हैं. हमास आज जिहाद दिवस मना रहा है. हमास ने इजरायल को धमकी देकर बच्चों और महिलाओं की हत्या का ऐसा बदला लेने की बात कही है जो इजरायल ने सपनों में भी नहीं सोचा होगा. हमास-इजरायल युद्ध का पूरी दुनिया पर असर पड़ रहा है. युद्ध के बाद दुनिया दो खेमों में बंटी है. भले ही कोई देश खुलकर इजरायल और हमास के युद्ध में नहीं कूदे हैं लेकिन जंग में बंट जरूर गए हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमास का इतना दुस्साहस कैसे हुआ? उसे इतने हथियार कहां से मिलते हैं? उसकी फंडिंग कौन करता है?
अमेरिका और ब्रिटेन सहित कई देशों ने हमास को आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है, जबकि कुछ देश केवल उसके सैन्य विंग को आतंकवादी कहते हैं. आतंकवादी घोषित होने का मतलब है कि ऐसे संगठनों को मदद देना और उसमें शामिल होना एक आपराधिक गतिविधि मानी जाती है. जान लें कि हमास की दो विंग हैं. उसके लिए चैरिटी का काम दावा (Dawah) करती है और दूसरी उसकी सैन्य शाखा Izz ad-Din al-Qassam Brigades है, जो लड़ाई का काम करती है. वहीं, हमास दावा के जरिए अच्छी खासी मात्रा में चंदा इकट्ठा करता है.
हमास की सबसे ज्यादा फंडिंग का आरोप ईरान पर लगता है. दावा किया जाता है कि हमास की 70 फीसदी फंडिंग ईरान करता है. इसके अलावा फिलीस्तीन के तमाम प्राइवेट डोनर हमास को मूवमेंट चलाने के लिए फंड करते हैं. रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि हमास को दावा के माध्यम से भी पश्चिम के कुछ इस्लामी सगंठनों से डोनेशन के रूप में फंड मिलता है.
ईरान के अलावा, तुर्की भी हमास का समर्थन करता है. खासकर 2002 में राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के सरकार में आने के बाद ऐसा हुआ. तुर्की पर कई बार हमास आतंकवादियों की फंडिंग करने का आरोप लग चुका है. हालांकि, तुर्की भी अपनी सफाई में बार-बार कह चुका है कि वह सिर्फ राजनीतिक आंदोलन का समर्थन करता है.
दावा किया जाता है कि ईरान ना सिर्फ पैसों से बल्कि बड़ी मात्रा में हथियार में हमास को सप्लाई करता है. इतना ही नहीं ईरान पर हमास के आतंकवादियों को ट्रेनिंग देने का भी आरोप है. पश्चिमी देशों का तर्क है कि हालिया आर्थिक प्रतिबंधों के कारण ईरान की तरफ से हमास की फंडिंग में तो कमी आई है लेकिन इसके बावजूद सैन्य सहायता कमोबेश बनी हुई है.
पश्चिमी देशों का आरोप है कि इजरायली नौसेना की सतर्कता के बावजूद हथियार तस्कर गाजा पट्टी के पास भूमध्य सागर के तट पर हथियार गिरा देते हैं और ये फिर हमास तक पहुंच जाते हैं. इसके अलावा हथियार आपूर्ति के लिए सुरंगों के जरिए भी होती है. हमास के पास एम-302 और फज्र-3 भी है जो ईरान में बना हुआ है. सीआईए भी दावा कर चुका है कि तस्करी के जरिए ही हमास को बड़ी संख्या में हथियार मिलते हैं.
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