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Karpoori Thakur की जिंदगी से जुड़ी दो कहानियां जो आज PM मोदी ने हमको सुनाई...

PM Modi article on Karpoori Thakur birth anniversary: केंद्र की मोदी सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को 'भारत रत्न' देने की घोषणा किया है. राष्ट्रपति भवन ने मंगलवार को कर्पूरी ठाकुर की जन्म शताब्दी की पूर्वसंध्या पर यह घोषणा की. कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती पर पीएम मोदी ने एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने कर्पूरी ठाकुर की सादगी से जुड़ी 2 कहानियां हमको सुनाई है.

कर्पूरी जी से मिलने का अवसर नहीं मिला: पीएम मोदी

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कर्पूरी जी से मिलने का अवसर नहीं मिला: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने लिखा, 'हमारे जीवन पर कई लोगों के व्यक्तित्व का प्रभाव रहता है. जिन लोगों से हम मिलते हैं, हम जिनके संपर्क में रहते हैं, उनकी बातों का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है. लेकिन, कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते हैं जिनके बारे में सुनकर ही आप उनसे प्रभावित हो जाते हैं. मेरे लिए ऐसे ही रहे हैं जननायक कर्पूरी ठाकुर. आज कर्पूरी बाबू की 100वीं जन्म-जयंती है. मुझे कर्पूरी जी से कभी मिलने का अवसर तो नहीं मिला, लेकिन उनके साथ बेहद करीब से काम करने वाले कैलाशपति मिश्र जी से मैंने उनके बारे में बहुत कुछ सुना है.'

सादगी भरा रहा ठाकुर जी का जीवन: पीएम मोदी

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सादगी भरा रहा ठाकुर जी का जीवन: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने आगे लिखा, 'सामाजिक न्याय के लिए कर्पूरी बाबू ने जो प्रयास किए, उससे करोड़ों लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव आया. उनका संबंध नाई समाज, यानी समाज के अति पिछड़े वर्ग से था. अनेक चुनौतियों को पार करते हुए उन्होंने कई उपलब्धियों को हासिल किया और जीवनभर समाज के उत्थान के लिए काम करते रहे. जननायक कर्पूरी ठाकुर जी का पूरा जीवन सादगी और सामाजिक न्याय के लिए समर्पित रहा. वे अपनी अंतिम सांस तक सरल जीवनशैली और विनम्र स्वभाव के चलते आम लोगों से गहराई से जुड़े रहे. उनसे जुड़े ऐसे कई किस्से हैं, जो उनकी सादगी की मिसाल हैं.'

कर्पूरी ठाकुर से जुड़ी पहली कहानी

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कर्पूरी ठाकुर से जुड़ी पहली कहानी

पीएम मोदी ने आगे लिखा, 'उनके साथ काम करने वाले लोग याद करते हैं कि कैसे वे इस बात पर जोर देते थे कि उनके किसी भी व्यक्तिगत कार्य में सरकार का एक पैसा भी इस्तेमाल ना हो. ऐसा ही एक वाकया बिहार में उनके सीएम रहने के दौरान हुआ. तब राज्य के नेताओं के लिए एक कॉलोनी बनाने का निर्णय हुआ था, लेकिन उन्होंने अपने लिए कोई जमीन नहीं ली. जब भी उनसे पूछा जाता कि आप जमीन क्यों नहीं ले रहे हैं, तो वे बस विनम्रता से हाथ जोड़ लेते. 1988 में जब उनका निधन हुआ तो कई नेता श्रद्धांजलि देने उनके गांव गए. कर्पूरी जी के घर की हालत देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए कि इतने ऊंचे पद पर रहे व्यक्ति का घर इतना साधारण कैसे हो सकता है!'

कर्पूरी ठाकुर से जुड़ी दूसरी कहानी

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कर्पूरी ठाकुर से जुड़ी दूसरी कहानी

पीएम मोदी ने आगे लिखा, 'कर्पूरी बाबू की सादगी का एक और लोकप्रिय किस्सा 1977 का है, जब वे बिहार के सीएम बने थे. तब केंद्र और बिहार में जनता सरकार सत्ता में थी. उस समय जनता पार्टी के नेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण यानी जेपी के जन्मदिन के लिए कई नेता पटना में इकट्ठा हुए. उसमें शामिल मुख्यमंत्री कर्पूरी बाबू का कुर्ता फटा हुआ था. ऐसे में चंद्रशेखर जी ने अपने अनूठे अंदाज में लोगों से कुछ पैसे दान करने की अपील की, ताकि कर्पूरी जी नया कुर्ता खरीद सकें. लेकिन, कर्पूरी जी तो कर्पूरी जी थे. उन्होंने इसमें भी एक मिसाल कायम कर दी. उन्होंने पैसा तो स्वीकार कर लिया, लेकिन उसे मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर दिया.'

सामाजिक न्याय ठाकुर जी के मन में बसा था: पीएम मोदी

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सामाजिक न्याय ठाकुर जी के मन में बसा था: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने आगे लिखा, 'सामाजिक न्याय तो जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के मन में रचा-बसा था. उनके राजनीतिक जीवन को एक ऐसे समाज के निर्माण के प्रयासों के लिए जाना जाता है, जहां सभी लोगों तक संसाधनों का समान रूप से वितरण हो और सामाजिक हैसियत की परवाह किए बिना उन्हें अवसरों का लाभ मिले. उनके प्रयासों का उद्देश्य भारतीय समाज में पैठ बना चुकी कई असमानताओं को दूर करना भी था. अपने आदर्शों के लिए कर्पूरी ठाकुर जी की प्रतिबद्धता ऐसी थी कि उस कालखंड में भी जब सब ओर कांग्रेस का राज था, उन्होंने कांग्रेस विरोधी लाइन पर चलने का फैसला किया. क्योंकि, उन्हें काफी पहले ही इस बात का अंदाजा हो गया था कि कांग्रेस अपने बुनियादी सिद्धांतों से भटक गई है.'

सशक्त आवाज बने कर्पूरी ठाकुर: पीएम मोदी

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सशक्त आवाज बने कर्पूरी ठाकुर: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने आगे लिखा, 'कर्पूरी ठाकुर जी की चुनावी यात्रा 1950 के दशक के प्रारंभिक वर्षों में शुरू हुई और यहीं से वे राज्य के सदन में एक ताकतवर नेता के रूप में उभरे. वे श्रमिक वर्ग, मजदूर, छोटे किसानों और युवाओं के संघर्ष की सशक्त आवाज बने. शिक्षा एक ऐसा विषय था, जो कर्पूरी जी के हृदय के सबसे करीब था. उन्होंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में गरीबों को शिक्षा मुहैया कराने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. वे स्थानीय भाषाओं में शिक्षा देने के बहुत बड़े पैरोकार थे, ताकि गांवों और छोटे शहरों के लोग भी अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और सफलता की सीढ़ियां चढ़ें. मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने बुजुर्ग नागरिकों के कल्याण के लिए भी कई अहम कदम उठाए. Democracy, Debate और Discussion तो कर्पूरी जी के व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा था. लोकतंत्र के लिए उनका समर्पण भाव, भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ही दिख गया था, जिसमें उन्होंने अपने-आप को झोंक दिया। उन्होंने देश पर जबरन थोपे गए आपातकाल का भी पुरजोर विरोध किया था. जेपी, डॉ. लोहिया और चरण सिंह जी जैसी विभूतियां भी उनसे काफी प्रभावित हुई थीं.'

पिछड़े वर्ग के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई: पीएम मोदी

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पिछड़े वर्ग के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने आगे लिखा, 'समाज के पिछड़े और वंचित वर्गों को सशक्त बनाने के लिए जननायक कर्पूरी ठाकुर जी ने एक ठोस कार्ययोजना बनाई थी. यह सही तरीके से आगे बढ़े, इसके लिए पूरा एक तंत्र तैयार किया था. यह उनके सबसे प्रमुख योगदानों में से एक है. उन्हें उम्मीद थी कि एक ना एक दिन इन वर्गों को भी वो प्रतिनिधित्व और अवसर जरूर दिए जाएंगे, जिनके वे हकदार थे. हालांकि उनके इस कदम का काफी विरोध हुआ, लेकिन वे किसी भी दबाव के आगे झुके नहीं. उनके नेतृत्व में ऐसी नीतियों को लागू किया गया, जिनसे एक ऐसे समावेशी समाज की मजबूत नींव पड़ी, जहां किसी के जन्म से उसके भाग्य का निर्धारण नहीं होता हो. वे समाज के सबसे पिछड़े वर्ग से थे, लेकिन काम उन्होंने सभी वर्गों के लिए किया. उनमें किसी के प्रति रत्तीभर भी कड़वाहट नहीं थी और यही तो उन्हें महानता की श्रेणी में ले आता है.'

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