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केले के पत्‍तों पर खाना क्‍यों खाते हैं साउथ इंड‍िया के लोग? ये है असली वजह

आपने साउथ इंड‍िया में या नॉर्थ इंड‍िया में भी पूजा में केले के पत्‍तों पर खाते हुए देखा होगा. इसके पीछे का क्‍या कारण है. भारत में लोग केले के पत्‍तों पर क्‍यों खाते हैं. आइये आपको इसके पीछे की असली वजह बताते हैं.  

शुद्ध माना जाता है

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शुद्ध माना जाता है

केले के पत्तों का इस्तेमाल सदियों से थाली में परोसने के लिए किया जाता रहा है. अगर आप दक्षिण भारत की ओर जाएं, तो पाएंगे कि वे ज्‍यादातर घरों में इन पत्तों का इस्तेमाल खाना परोसने के लिए किया जाता है. दरअसल, इन पत्तों को पवित्र और शुद्ध माना जाता है और यही वजह है कि ज्‍यादातर देवताओं को केले के पत्तों में प्रसाद परोसा जाता है. दक्षिण भारत में लोग आज भी खास मौकों और त्योहारों पर अपने मेहमानों को केले के पत्ते पर खाना परोसते हैं.

इसकी खास‍ियत

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इसकी खास‍ियत

इन पत्तों में पॉलीफेनॉल्स नामक एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो ग्रीन टी और कुछ पत्तेदार सब्जियों में भी पाए जाते हैं और कई तरह की जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को रोक सकते हैं. इन पत्तों का इस्तेमाल खाना परोसने के लिए इसलिए किया जाता है क्योंकि ये आकार में बड़े होते हैं और इन्हें अलग-अलग साइज़ में काटा जा सकता है और किसी भी आकार की थाली में रखा जा सकता है. साथ ही, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन पत्तों पर मोम जैसी परत होती है, जिससे न सिर्फ़ इन्हें साफ करना आसान होता है, बल्कि ये खाने का स्वाद भी बढ़ा देते हैं. 

कम दाम में बढ़ि‍या काम

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कम दाम में बढ़ि‍या काम

केले के पत्तों को काफी उचित माना जाता है और इसकी कीमत दुनिया की किसी भी अन्य सर्विंग प्लेट से कम है. वे ज्यादातर थोक दरों पर बेचे जाते हैं लेकिन खुदरा में भी बेचे जा सकते हैं. अधिकांश समय, केले के पत्तों की कीमत अलग-अलग होती है और यह उस जगह पर आधारित होती है जहां से आप केले के पत्ते खरीदते हैं!

एंटीऑक्‍सीडेंट से भरपूर

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एंटीऑक्‍सीडेंट से भरपूर

ये पत्ते पॉलीफेनॉल से भरपूर होते हैं, जो ग्रीन टी और कुछ पत्तेदार सब्जियों में भी पाए जाते हैं. ऐसे एंटीऑक्सीडेंट उम्र बढ़ने, कई जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों और कुछ प्रकार के कैंसर को रोकने में मदद करते हैं. 

वाटरप्रूफ क्‍वाल‍िटी

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वाटरप्रूफ क्‍वाल‍िटी

क्या आपने कभी सोचा है कि लोग केले के पत्ते पर तरल व्यंजन कैसे खा पाते हैं? ऐसा इसके वाटर प्रूफ गुण के कारण होता है. इस प्लेट पर कम मात्रा में करी का आनंद आसानी से लिया जा सकता है. 

ज्‍यादा साफ और हाइज‍िन‍िक

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ज्‍यादा साफ और हाइज‍िन‍िक

इन पत्तियों का बाहरी भाग मोम जैसा होता है और इसलिए इन्हें साफ करना आसान होता है क्योंकि इन पर धूल नहीं चिपकती। बस इन्हें धो लें और खाने के लिए इस्तेमाल करें। यही कारण है कि दक्षिण भारत में रेस्टोरेंट भी खाना परोसने के लिए केले के पत्तों का इस्तेमाल करते हैं।

बड़े पत्‍तों में खाना परोसना आसान होता है

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बड़े पत्‍तों में खाना परोसना आसान होता है

ये पत्ते किसी भी अन्य पौधे के पत्तों से बड़े होते हैं और इसलिए इन्हें विभिन्न आकारों में काटा जा सकता है और किसी भी आकार की थाली में रखा जा सकता है. केले के पत्ते बहुत बड़े होते हैं और एक टुकड़े में पूरा भोजन समा सकता है. विभिन्न करी को मिलाए बिना, दावत में उपलब्ध सभी खाद्य पदार्थों को केले के पत्ते पर परोसा जा सकता है. यही कारण है कि केले के पत्तों को आमतौर पर साध्या में थाली के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. 

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