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निशिकांत दुबे के खुलासे से हीरानंदानी की 'हां' तक, 4 तस्वीरों में समझिए महुआ मोइत्रा का सच!

Mahua Moitra News: दोपहर तक तृणमूल कांग्रेस की सांसद रहीं महुआ मोइत्रा की सदस्यता अब चली गई है. जी हां, अब वह सांसद नहीं हैं. उनके खिलाफ एथिक्स कमेटी की सिफारिश आज सदन में मंजूर कर ली गई. इससे पहले लोकसभा की एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पेश होने पर संसद में काफी हंगामा हुआ. सुबह दो बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी लेकिन दो बजे के बाद सदन में चर्चा शुरू हुई. TMC मांग कर रही थी कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला मोइत्रा पर आई रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए कम से कम 48 घंटे का समय दें. यह भी मांग की जा रही थी कि महुआ मोइत्रा को रिपोर्ट पर सदन में बोलने की अनुमति दी जाए. हालांकि स्पीकर ने यह कहते हुए फैसला लिया कि महुआ का आचरण अनैतिक था. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. पूरा मामला पैसे लेकर सवाल पूछने (Cash For Query Case) का था और अब 'कैश फॉर क्वेरी' मामले में महुआ को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया.

 

1. किस बात पर गई महुआ की सदस्यता?

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1. किस बात पर गई महुआ की सदस्यता?

भाजपा सांसद सोनकर की अध्यक्षता वाली एथिक्स कमेटी ने 9 नवंबर को मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने’ के आरोप में लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट स्वीकार कर ली थी. छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था, जिसमें कांग्रेस से निलंबित सांसद परणीत कौर भी शामिल थीं. हालांकि चार विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को ‘फिक्स्ड मैच’ करार दिया था. विपक्षी सदस्यों का दावा था कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की जिस शिकायत पर कमेटी ने फैसला लिया, उसके समर्थन में ‘सबूत का एक टुकड़ा’ भी नहीं था.

2. निशिकांत दुबे ने क्या आरोप लगाया था?

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2. निशिकांत दुबे ने क्या आरोप लगाया था?

इस मामले में सबसे अहम भूमिका निशिकांत दुबे की है. उन्होंने आरोप लगाया था कि मोइत्रा ने पैसे लेकर संसद में सवाल पूछे. बाकायदे उन्होंने लोकसभा स्पीकर को चिट्ठी लिखकर पूरी बात बताई. इस शिकायत को स्पीकर ने एथिक्स कमेटी के पास भेज दिया था. महुआ पर आरोप था कि उन्होंने बिजनसमैन दर्शन हीरानंदानी के कहने पर संसद में अडानी ग्रुप और पीएम मोदी पर हमला बोला और इसी के इर्द-गिर्द सवाल किए. इसके बदले महुआ को गिफ्ट मिले थे. यह भी आरोप लगा कि महुआ ने संसद की अपनी आईडी का लॉगइन बिजनसमैन से शेयर किया था. महुआ राजनीति में आने से पहले इन्वेस्टमेंट बैंकर थीं. अब वह सांसद भी नहीं रहीं. 

3. दर्शन हीरानंदानी का नाम क्यों आया?

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3. दर्शन हीरानंदानी का नाम क्यों आया?

रिएल एस्टेट और इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी हीरानंदानी ग्रुप के सीईओ हैं दर्शन हीरानंदानी. निशिकांत दुबे ने जब आरोप लगाया तो 42 साल के दर्शन ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि उनका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है, वह तो बिजनस पर पूरा ध्यान देते हैं. बाद में खबर आई कि अक्टूबर में बिजनसमैन हीरानंदानी ने एफिडेविट में महुआ का लॉगइन डीटेल इस्तेमाल करने की बात कबूल ली. इससे महुआ की मुश्किलें और बढ़ गईं. महुआ ने बाद में आरोप लगाया कि सरकार ने दर्शन पर बंदूक रखकर एफिडेविट साइन कराया.

4. जय अनंत देहाद्राई की चर्चा क्यों?

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4. जय अनंत देहाद्राई की चर्चा क्यों?

महुआ को लेकर एक नाम और चर्चा में रहा है. सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं जय अनंत. बताया जाता है कि पहले महुआ और जय अच्छे दोस्त थे. बाद में झगड़ा हो गया. चोरी, अश्लील संदेश, दुर्व्यवहार के आरोप में उन्होंने महुआ के खिलाफ पुलिस से शिकायत की थी. बाद में वह कुछ सबूत लेकर सीबीआई के पास पहुंचे और इसी सबूत के आधार पर निशिकांत दुबे ने संसद में मुद्दा उठाया. इनका महुआ से एक डॉगी की कस्टडी को लेकर भी झगड़ा था. 

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