Happy Birthday Rohit Shetty: फिल्म डायरेक्टर, स्टंटमैन, राइटर, प्रोड्यूसर और टीवी होस्ट रोहित शेट्टी आज यानी 14 मार्च को अपना 49वां जन्मदिन मना रहे हैं. आइए, उनके जन्मदिन पर उनके अर्श से फर्श तक के सफर के बारे में जानते हैं.
14 मार्च 1974 को मुंबई में जन्में रोहित शेट्टी का नाम आज बॉलीवुड के बड़े फिल्ममेकर्स में गिना जाता है. 'गोलमाल', 'सिंघम', 'चेन्नई एक्सप्रेस' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में देने वाले रोहित शेट्टी के पिता एमबी शेट्टी एक एक्शन कोरियोग्राफर, स्टंटमैन और एक्टर थे. रोहित शेट्टी की मां मधु शेट्टी भी एक जूनियर आर्टिस्ट और स्टंट वुमेन के तौर पर फिल्म इंडस्ट्री में काम करती थीं.
रोहित शेट्टी ने महज 17 साल की उम्र में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम करना शुरू कर दिया था. उन्होंने सबसे पहले अजय देवगन स्टारर फिल्म फूल और कांटे में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम किया. इसके बाद उन्होंने अजय देवगन के साथ कई फिल्मों में काम किया. इससे दोनों की दोस्ती की शुरुआत हुई.
रोहित शेट्टी ने अजय देवगन और अक्षय कुमार के बॉडी डबल के तौर पर भी कई फिल्मों में काम किया. रोहित ने 2003 में अजय देवगन स्टारर फिल्म 'जमीन' के साथ बतौर डायरेक्टर डेब्यू किया. हालांकि, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा सफलता हासिल नहीं कर पाई.
रोहित शेट्टी ने 2006 में अजय देवगन, तुषार कपूर, अरशद वारसी, शरमन जोशी, परेश रावल जैसे कलाकारों के साथ 'गोलमाल' बनाई. इस फिल्म ने जबरदस्त सफलता हासिल की और इसके बाद रोहित शेट्टी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज अपनी फिल्मों से करोड़ों रुपये कमाने वाले रोहित ने अपनी जिंदगी में काफी संघर्ष किया है.
रोहित शेट्टी ने कर्ली टेल्स को दिए एक इंटरव्यू में अपने संघर्ष के दिनों के बारे में बताया था. रोहित ने बताया था कि उन्हें प्रति दिन 35 रुपये की सैलरी मिला करती थी. उन्होंने कहा था कि ऐसे भी दिन थे, जब उन्हें सैलरी नहीं मिलती थी, तो वे फिल्म के सेट पर पैदल ही जाया करते थे. रोहित ने कहा कि लोगों का लगता है कि मेरा सफर आसान रहा होगा, क्योंकि मैं ऐसे परिवार से आता हूं, जिसका फिल्मों की दुनिया से कनेक्शन है. लेकिन ऐसा नहीं है. अधिकतर समय मुझे खाने या सफर में से किसी एक को चुनना होता था, क्योंकि मेरे पॉकेट में किसी एक ही पैसे हुआ करते थे.
रोहित शेट्टी ने बताया था कि हमारा परिवार सांता क्रूज में रहता था. इसके बाद हम हमारी दादी के घर दहीसार में शिफ्ट हो गए थे. हमारे पास रहने की भी जगह नहीं थी. मैं आर्थिक रूप से काफी मुश्किल झेल रहा था. मैं मलाड से अंधेरी तक पैदल जाया करता था. इसमें मुझे एक से डेढ़ घंटे का समय लगता था.
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