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Shah Alam II: वो गुलाम जिसने मुगल बादशाह की आंख में घोंप दी बरछी, घटना का सामने चित्र भी बनवाया

Mughal emperor Shah Alam II: मुगलों ने लंबे समय तक भारत पर राज किया. ऐसे में उनके बारे में जानने के लिए लोग आज भी दिलचस्पी रखते हैं. मुगल काल में एक से बढ़कर एक शहंशाह हुए हैं. ऐसे में अगर आप भी मुगलिया दौर के किस्से-कहानियों पढ़ने और सुनने का शौक रखते हैं, तो आज उस बादशाह के बारे में बताते हैं, जिसे गुलाम कादिर ने सूजा घोंपकर अंधा बना दिया था. क्या था वो किस्सा आइए जानते हैं.

मुगल बादशाह की भौंचक कहानी

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मुगल बादशाह की भौंचक कहानी

ये किस्सा उस दौर का है जब मुगलिया सल्तनत अपने आखिरत में थी. मुगलों की ठसक लगभग खत्म हो चुकी थी. उस समय गद्दी पर बैठा था तैमूर वंश का 17वां बादशाह शाह आलम द्वितीय. भले ही वो एक काबिल और सफल बादशाह नहीं था लेकिन साहित्य में उसकी गहरी दिलचस्पी थी. वो ब्रज और फ्रारसी की कविताओं की गहरी समझ रखता था. ऐसे में वो कुछ शायरों का कायल था. उसकी रगों में मुगलिया खून दौड़ रहा था ऐसे में वो हमेशा सुर्खियों में बना रहता था, लेकिन उसकी जिंदगी में एक ऐसा समय आया जिसने उसका सबकुछ छीन लिया. यहां बात 9 अगस्त 1788 की उस तारीख की जब लालकिले में कुछ ऐसी घटना घटी जिसके बारे में किसी ने सोचा भी न था. 

236 साल पहले का वो वाकया

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236 साल पहले का वो वाकया

ये वही दौर था, जब अफगान और ईरान के लोग लाल किले के सिंहासन पर आखें गड़ाए बैठे थे. उस समय अफगानिस्तान का सरदार रोहिल्ला गुलाम कादिर, अपने लाव लश्कर के साथ शाह आलम के शाही दरबार पहुंचा. उसने शाह आलम से उसके माल-खजाने का पता ठिकाना पूछा. तो उसे जो जवाब मिला उसे सुनकर वो लाल-पीला हो गया. शाह आलम ने उसे कहा था- 'जैसे तैसे गुजर बसर चल रही है. इफरात पैसा नहीं है. जो कुछ यहां से मिल जाता है बस उतना मेरे पास है'. 

जान से मारने की धमकी

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जान से मारने की धमकी

ये सुनकर आग बबूला हुए गुलाम कादिर ने शाह आलम को जमकर बेइज्जत किया. यहां तक की उसे जान से मारने की धमकी भी दी गई.

सरेआम हुआ रुसवा हुआ बादशाह

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सरेआम हुआ रुसवा हुआ बादशाह

भड़के गुलाम ने बादशाह को धक्का देकर गिरा दिया और खुद सिंहासन पर बैठ गया. उसने दरबार में रखे हुक्के का धुआं मुंह में भरकर बादशाह सलामत के मुंह पर छोड़ा तो वह इस तरह रुसवा होने की वजह से ग्लानि से भर उठा.

'ऐसी बादशाहत खुदा किसी को न दे'

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'ऐसी बादशाहत खुदा किसी को न दे'

टॉर्चर का दौर कम नहीं हुआ आगे बादशाह को धूप में भूखा-प्यासा रखा. बार-बार छिपे खजाने के बारे में पूछताछ होती रही. शाह आलम का एक ही जवाब सुनसुन कर गुलाम का माथा फिर चुका था. एक दिन जब उससे ये कह दिया- 'मेरा सबकुछ तुम पहले ही तुम ले चुके हो. अब क्या खजाना मेरे पेट में है? इस पर गुलाम कादिर ने कहा, हो सकता है तुम्हारे पेट में हो, अब तो तुम्हारे पेट चीरकर देखना पड़ेगा.

 

(सांकेतिक फोटो)

सूजा घोंप दिया

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सूजा घोंप दिया

गुलाम ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं. उसने एक राजा के साथ राजाओं जैसा सलूक नहीं किया. उसने शहंशाह शाह आलम की आंखों में सुई घोंपकर उसकी आंखों की रोशनी छीनकर अंधा बना दिया. इसके बाद गुलाम उसके सीने पर बैठा और अपने औजार से उसकी आंखें निकाल लीं. 

 

(सांकेतिक फोटो)

फोटो भी बनवाई

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फोटो भी बनवाई

गुलाम कितनी विकृत मानसिकता का शिकार था, इसका पता इस बात से लगाया जा सकता है कि आंखें निकालने के बाद उसने दरबार में मौजूद चित्रकार से उस वीभत्स सीन को हुबहू कैनवास पर उतारने को कहा. शाह आलम सेकेंड को अंधा करने के इस वाकये का जिक्र जदुनाथ सरकार ने अपनी किताब ‘फॉल ऑफ मुग़ल एम्पायर’ में किया है.

(सांकेतिक फोटो)

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गुलाम कादिर ने दिल्ली के बादशाह शाह आलम द्वितीय की आंखों में बरछी घोंपकर उन्हें अंधा कर दिया था. इस घटना का जिक्र जदुनाथ सरकार ने अपनी किताब ‘फॉल ऑफ मुग़ल एम्पायर’ में किया है.

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