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चीनी को देखते ही लगते हैं मारने, जानें कौन है मजीद ब्रिगेड? नाम सुनते ही पाकिस्तान का खौल जाता है खून

Who are  Majeed Brigade:  पाकिस्तान में बुधवार (20 मार्च) को ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी कॉम्प्लेक्स पर हमला होता है. जहां पर जहां बड़ी संख्या में चीन के कर्मचारी काम करते हैं. इस हमले में दो सैनिकों की मौत हो जाती है. इस हमले की ‌जिम्मेदारी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) की माजिद ब्रिगेड ने ली. जिसमें उसके आठ लड़ाके मार दिए गए. यह पाकिस्तान का दावा है. इन लड़ाकों को पाकिस्तान आतंकवादी कहता है. पिछले लगभग 15 दिनों के अंदर बलूच विद्रोहियों का ये दूसरा बड़ा हमला था. आइए जानते हैं क्यों यह ब्रिगेड पाकिस्तानी सेना की खून की प्यासी है. जिससे पाकिस्तान और चीन दोनों खौफ खाते हैं. इन दोनों देशों को मजीद ब्रिगेड के विद्रोहियों से हर वक्त हमले का डर सताता रहता है.

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ग्वादर पोर्ट पर हुए हमले के बाद एक बार फिर खतरनाक मजीद ब्रिगेड का नाम आ गया है. जिसके लड़ाकों ने बलूचिस्तान में स्थित ग्वादर पोर्ट ऑथॉरिटी कॉम्प्लेक्स में हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग की. फायरिंग के साथ, इस हाई सिक्योरिटी एरिया में कई विस्फोट भी किए. स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने 8 हमलावरों को मार गिराया है. इस हमले की जिम्मेदारी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के मजीद ब्रिगेड ने ली है.

पाकिस्तान ने इस ब्रिगेड पर लगा रखा है बैन

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पाकिस्तान ने इस ब्रिगेड पर लगा रखा है बैन

पाकिस्तान सरकार ने इन लोगों को चरमपंथी बताकर उन पर बैन लगाया हुआ है. इनमें सबसे पुराना संगठन बीएलए है. असलम अच्छो और बशीर ज़ेब ने मजीद ब्रिगेड की स्थापना की थी. कहा जाता है ये संगठन अफगानिस्तान में अच्छी खासी पकड़ रखता है. मजीद ब्रिगेड ने चीन और पाकिस्तान की नाक में दम कर रखा है. सैकड़ों सुरक्षाकर्मी और अरबों रुपये का खजाना खर्च कर देने के बाद भी दोनों देश इस ब्रिगेड पर काबू पाने में सफल नहीं हुए हैं.  

जानें कौन हैं मजीद ब्रिगेड?

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जानें कौन हैं मजीद ब्रिगेड?

यह बलूचिस्तान (Balochistan) की आजादी के लिए पाकिस्तान (Pakistan) के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) की स्पेशल विंग है. BLA ने इस विंग की स्थापना 2011 में की थी. इस विंग का नाम बलूचिस्तान के मंगोचर इलाके में दो सगे भाइयों मजीद लांगो और मजीद के नाम पर रखा गया था. दोनों भाई पाकिस्तान के खिलाफ लड़ते हुए मारे गए थे. उनकी बहादुरी को सम्मान देने के लिए BLA के मुखिया उस्ताद असलम बेग ने इस ब्रिगेड का नाम मजीद ब्रिगेड रख दिया.  बलूचिस्तान में इस समय के बात करे तो बलूच लिबरेशन आर्मी, बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट, बलूच नेशनल गार्ड और बलूच रिपब्लिकन आर्मी के साथ कई संगठन भी शामिल हैं. जो लगातार सरकार से लड़ रहें हैं. 

आत्मघाती हमला करने में है ट्रेंड

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आत्मघाती हमला करने में है ट्रेंड

BLA ने पाकिस्तानी (Pakistan) और चीनियों पर हमले के लिए कई ब्रिगेड बना रखी हैं, जिनसे सैकड़ों बलूचिस्तानी युवा जुड़े हैं. बाकी ब्रिगेड के विद्रोही गुरिल्ला स्टाइल में पाकिस्तानी सैनिकों पर बड़ा हमला बोलकर गायब हो जाते हैं. लेकिन मजीद ब्रिगेड में शामिल वॉलंटियर्स ऐसा नहीं करते. इसके बजाय उन्हें आत्मघाती हमला कर दुश्मन का काम तमाम करने की ट्रेनिंग दी जाती है. 

मजीद ब्रिगेड और बाकी विद्रोहियों के बीच क्या है अंतर?

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मजीद ब्रिगेड और बाकी विद्रोहियों के बीच क्या है अंतर?

BLA के दूसरे मुखिया बशीर जेब के मुताबिक, 'मजीद ब्रिगेड और बाकी विद्रोहियों के बीच अंतर यह है कि गोरिल्ला को हमला करके सुरक्षित निकलने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, जबकि ब्रिगेड के आत्मघाती अपनी जान देने में नहीं डरते. बस उन्हें अपना टॉरगेट दिखता है. इसके लिए उन्हें उस तरह ट्रेंनिग भी दी जाती है. 

पाकिस्तान और चीन के खिलाफ करते हैं हमला

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पाकिस्तान और चीन के खिलाफ करते हैं हमला

संगठन की बाकी यूनिट जहां बलूचिस्तान (Balochistan) के पहाड़ी इलाकों में पाकिस्तानी (Pakistan) सेना के खिलाफ अपने ऑपरेशनों को अंजाम देती हैं. वहीं मजीद ब्रिगेड के विद्रोहियों ने पाकिस्तान के शहरी इलाकों में भी सफलतापूर्वक तरीके से अपने हमलों को अंजाम दिया है.

चीन के लोगों को देखते ही मारने लगते हैं

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चीन के लोगों को देखते ही मारने लगते हैं

बलूचिस्तानी विद्रोहियों के निशाने पर पाकिस्तानी सेना और सरकार के अलावा चीन भी है. ​वे चीन से इस बात के लिए गुस्सा हैं कि वह बिना बलूचिस्तानी नागरिकों की सहमति लिए उनकी जमीन हड़पता जा रहा है. उनका कहना है कि पाकिस्तान ने CPEC बनाकर ग्वादर समेत कई इलाके चीन के हाथों में सौंप दिए हैं. जिससे उनका अपनी ही जमीन पर अधिकार छिनता जा रहा है. इसलिए जैसे ही इन लड़ाकों को मौका मिलता है तो चीन के लोगों पर हमला कर देते हैं, इससे उनको लगता है कि चीन खौफ में आ जाएगा और हमारे यहां से सारे प्रोजक्ट छोड़ चला जाएगा. लेकिन पाकिस्तान के लिए यह सिरदर्द बना हुआ है.

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