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Guam: चीन के करीब 'केंचुए' जैसी जगह पर क्यों तैनात है अमेरिकी फौज, इनसाइड स्टोरी

America China War: जी हां, अमेरिका ने चीन के बिल्कुल करीब अपने सैनिकों का तंबू लगा रखा है. साउथ चाइना सी में चीन के खिलाफ यह अमेरिका की बड़ी तैयारी है. पूर्वी एशिया में वह ताइवान की मदद के बहाने चीन के बिल्कुल करीब जाकर बैठ गया है. 

अमेरिका की तैयारी

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अमेरिका की तैयारी

आप दुनिया के मैप में ताइवान की लोकेशन देखिए. उसके पूरब में फिलिपीन सागर दिखाई देगा. वहीं पूर्वी छोर पर एक 'केंचुए' जैसा क्षेत्र दिखाई देगा. यह गुआम है. अगर भविष्य में चीन और अमेरिका के बीच जंग की स्थिति बनती है तो अमेरिका अपने मुख्य भूभाग से लड़ाई नहीं लड़ेगा. उसने पहले से ही हजारों मील दूर चीन के करीब जाकर अपने सैनिक जमाकर रखे हैं. गुआम में अमेरिका ने अपने मिसाइल डिफेंस सिस्टम को मजबूत कर रखा है और जापान-पापुआ न्यू गिनी जैसे पड़ोसी देशों के साथ नजदीकी बढ़ा रहा है. अंदरखाने रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी सेना ऐसी क्षमता विकसित करने के लिए कहा है जिससे 2027 तक ताइवान पर आक्रमण किया जा सके. अगर ऐसा हमला होता है तो नतीजे इस बात पर निर्भर करेंगे कि गुआम जैसी रणनीतिक पोजीशन से अमेरिका कितनी जल्दी कार्रवाई करेगा. 

कहां है गुआम की लोकेशन?

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कहां है गुआम की लोकेशन?

ताइवान से 2700 किमी की दूरी पर अमेरिका ने पूरी फौज खड़ी कर रखी है. खास बात यह है कि पेंटागन से गुआम की दूरी 8,000 मील है. सिर्फ चीन ही नहीं, प्रशांत महासागर में किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए अमेरिका ने जंगी बेड़ा तैनात कर रखा है. गुआम की लोकेशन कई लिहाज से महत्वपूर्ण हो जाती है. उसके रेडार के नेटवर्क पर चीन, ताइवान, फिलीपींस से लेकर पापुआ न्यू गिनी, सोलोमन आईलैंड्स तक का बड़ा भूभाग रहता है. अमेरिकी सेना यहां से दक्षिण कोरिया की तरफ भी मदद के लिए जा सकती हैं. 

गुआम में क्या-क्या है?

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गुआम में क्या-क्या है?

अमेरिका का एंडरसन एयरफोर्स बेस और नेवल बेस भी है. अमेरिका गुआम के जरिए अपने मेन पार्ट को स्थिर बनाए रख सकता है. वह यहां से न सिर्फ बड़े समुद्री क्षेत्र की निगरानी करता है बल्कि चीन के ताइवान पर आक्रमण की स्थिति में पलटवार के लिए खुद को तैयार भी रखता है.

क्या गुआम पर हमला कर सकता है चीन?

गुआम की लोकेशन के हिसाब से देखें तो अमेरिका की स्थिति मजबूत दिखती है. पहले तो चीन के लिए अमेरिका के मुख्य भूभाग को छोड़िए, गुआम को निशाना बनाना भी मुश्किल था. यही वजह है कि हाल में चीन ने अपनी मिसाइल क्षमता काफी बढ़ा ली है. अब उसके पास 3300 किमी से ज्यादा दूर तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल डीएफ-26 है, जो गुआम में तबाही ला सकती है. इसकी रेंज 4000 किमी है. 2020 में तो चीन ने एक प्रॉपगेंडा वीडियो जारी किया था, जिसमें चीन के H-6K बॉम्बर को एक एयरबेस पर हमला करते दिखाया गया था. सैटलाइट इमेज से साफ था कि यह गुआम था. 

 

चीन और अमेरिका में हुई जंग तो...

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चीन और अमेरिका में हुई जंग तो...

गुआम एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा क्योंकि अमेरिका अपने बॉम्बर, युद्धपोत और सबमरीन को यहीं से लॉन्च कर सकेगा. इससे उसे दोतरफा फायदा होगा. पहला अटैक वह जल्दी कर सकेगा और दूसरा चीन के मुख्य भूभाग की तरफ किए जाने वाले हमले को टाला जा सकेगा क्योंकि ड्रैगन गुआम से ही निपटने में लग जाएगा. फिलहाल की स्थिति देखें तो अमेरिका गुआम बेस से ही अपने लड़ाकू विमान साउथ चाइना सी में उड़ाकर चीन को चिढ़ाता रहता है. 

गुआम पर अमेरिका का कब्जा

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गुआम पर अमेरिका का कब्जा

द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान ने हमला कर गुआम पर कब्जा जमा लिया. हालांकि गुआम पर जापानी कब्जा 31 महीने ही चला. इस दौरान यहां के स्थानीय लोगों के साथ काफी अत्याचार किए गए. 1944 में एक बार फिर गुआम के लिए जंग शुरू हुई है और अमेरिका का इस द्वीप पर फिर से कब्जा हो गया. 

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