International Summit 2023: दुनिया के अलग अलग हिस्सों में देश के एक मंच पर इकट्ठा होते हैं और आपसी सहयोग के साथ आगे बढ़ने की दिशा में फैसला करते हैं. 2023 में कौन सी महत्वपूर्ण समिट हुए उनके बारे में हम विस्तार से बताएंगे कि आखिर इसका मकसद क्या था और इससे किस तरह से अलग अलग मुल्कों ने साझा हितों के साथ आगे बढ़ने पर सहमति जताई.
भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) आभासी शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की है, नेताओं ने वैश्विक हित में "अधिक प्रतिनिधि" और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के गठन पर जोर दिया था. 23वें शिखर सम्मेलन के दौरान, ईरान आधिकारिक तौर पर नौवें सदस्य देश के रूप में एससीओ में शामिल हो गया 2018 एससीओ क़िंगदाओ शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधान मंत्री द्वारा गढ़े गए संक्षिप्त नाम से लिया गया है इसका अर्थ है एस0 सुरक्षा, ई-आर्थिक विकास, सी-कनेक्टिविटी, यू एकता, आर: संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान, ई:पर्यावरण संरक्षण.
2021 की शुरुआत में संयुक्त अरब अमीरात ने 2023 के आयोजन की मेजबानी करने की पेशकश की, और नवंबर 2021 में संयुक्त अरब अमीरात के प्रधान मंत्री और उपराष्ट्रपति, शेख मोहम्मद बिन राशिद अल-मकतूम ने घोषणा की कि संयुक्त अरब अमीरात 2023 के सम्मेलन की मेजबानी करेगा -2030 से पहले ऊर्जा परिवर्तन पर नज़र रखना और उत्सर्जन में कटौती करना; पुराने वादों को पूरा करके और वित्त पर एक नए समझौते की रूपरेखा तैयार करने पर जोर दिया गय.
शांगरी-ला डायलॉग, जो दुनिया भर के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, राजनयिकों, हथियार निर्माताओं और सुरक्षा विश्लेषकों को आकर्षित करता है, 2 से 4 जून, 2023 तक सिंगापुर में आयोजित किया गया था. इस संवाद में आम तौर पर रक्षा मंत्री, मंत्रालयों के स्थायी प्रमुख और ज्यादातर एशिया-प्रशांत राज्यों के सैन्य प्रमुख भाग लेते हैं। फोरम का नाम सिंगापुर के शांगरी-ला होटल से लिया गया है. यह 2002 से आयोजित किया जा रहा है.
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने जकार्ता, इंडोनेशिया में आयोजित 20वें दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (ASEAN)-भारत शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया था.दोनों शिखर सम्मेलन भारत के लिये आसियान (ASEAN) देशों के साथ अपने संबंधों को मज़बूत करने और स्वतंत्र, खुले एवं नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के अवसर थे. पीएम मोदी ने भारत-आसियान सहयोग को मज़बूत करने के लिये 12-सूत्रीय प्रस्ताव पेश किया था.
ग्लोबल एआई समिट में जहां सदस्य देशों ने कहा कि एआई आज की जरूरत है. वहीं इससे पैदा होने वाले खतरों पर भी ध्यान देने की जरूरत है. भारत ने कहा कि एआई तकनीक जिस तरह से आम लोगों की जीवन में हिस्सा बनते जा रहे हैं ऐसे में हमें यह देखना होगा कि कहीं इसका गलत इस्तेमाल तो नहीं हो रहा है.
18 अगस्त, 2023 को, राष्ट्रपति बिडेन ने सहयोग और सुरक्षा और समृद्धि की उन्नति की पुष्टि के लिए पहले स्टैंड-अलोन यूएस-जापान-आरओके शिखर सम्मेलन के लिए कैंप डेविड में दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यूं सुक-योल और जापानी प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा से मुलाकात की थी. इस समिट में भारत सीधे तौर पर हिस्सेदार तो नहीं था. लेकिन सदस्य देशों ने भारत की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की.
दक्षिण अफ्रीका द्वारा जोहान्सबर्ग में 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया, भू-राजनीतिक परिवर्तनों और वैश्विक आर्थिक गतिशीलता की पृष्ठभूमि में इस सम्मेलन का काफी महत्त्व है. विशेष रूप से यह शिखर सम्मेलन वर्ष 2019 में कोविड -19 महामारी के बाद पहली व्यक्तिगत बैठक थी.15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का विषय "ब्रिक्स और अफ्रीका: पारस्परिक रूप से त्वरित विकास, धारणीय विकास और समावेशी बहुपक्षवाद के लिये साझेदारी पर जोर दिया गया.
नई दिल्ली में 9 और 10 सितंबर, 2023 को 18वें G20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया. यह पहला शिखर सम्मेलन था जब भारत ने G20 देशों के शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी.इस शिखर सम्मेलन का विषय वसुधैव कुटुंबकम था, जिसका अर्थ है विश्व एक परिवार है.G20 देशों की नई दिल्ली घोषणा में रूस-यूक्रेन तनाव से लेकर धारणीय विकास, खाद्य सुरक्षा और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन शुरू करने जैसे विविध वैश्विक मुद्दों पर सर्वसम्मत सहमति बनी.
12 जनवरी 2023 को भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा 'जैव ऊर्जा शिखर सम्मेलन 2023' के 11वें संस्करण को संबोधित lk शिखर सम्मेलन का विषय 'ऊर्जा संक्रमण - एक सतत कल के लिए समाधान' है, इससे इनोवेशन को मदद मिलने के साथ भविष्य के लिए स्वच्छ और हरित ऊर्जा समाधान के लिए एक रास्ता प्रदान करेगा।.पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने कहा, शिखर सम्मेलन समग्र स्थिरता एजेंडे में जैव ईंधन की प्रासंगिकता पर भी चर्चा की.
वर्ल्ड गवर्नमेंट शिख सम्मेसन का आयोजन 13 फरवरी 2023 को दुबई में किया गया था. विश्व सरकार शिखर सम्मेलन भविष्य की सरकारों को आकार देना मकसद था. इसमें सदस्य देशों ने अपने विचार रखते हुये कहा था कि सरकार का स्वरूप इस तरह का होना चाहिए ताकि आम जनता के लिए जो नीतियां बनती हैं सही मायने में उनका फायदा मिल सके. इसके लिए सभी सदस्य देशों को एक साथ मिलकर काम करने पर जोर दिया गया.
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