शुक्रवार को मौजूदा दौर में उनके सबसे अच्छे राजनीतिक दोस्त और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra modi) से मुलाकात की है. इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई इस बारे में अब तक कोई आधिकारिक बयान या प्रेस नोट नहीं प्रकाशित किया गया है.
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नई दिल्ली: AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin owaisi) टीवी चैनलों से लेकर तमाम चुनावी भाषणों में सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra modi) और बीजेपी पर हमलावर दिखते हैं. शुक्रवार को मौजूदा दौर में उनके सबसे अच्छे राजनीतिक दोस्त और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra modi) से मुलाकात की है. इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई इस बारे में अब तक कोई आधिकारिक बयान या प्रेस नोट नहीं प्रकाशित किया गया है. हालांकि यह मुलाकात दो राजनीतिक दलों के नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के तौर पर हुई.
सूत्रों का कहना है कि केसीआर (KCR) तेलंगाना के लिए केंद्र सरकार से पैकेज की मांग करने आए थे. साथ ही कई अन्य मुद्दों पर केंद्र की दखल की मांग करने पहुंचे थे. बताया जा रहा है कि केसीआर (KCR) ने पीएम मोदी से तेलंगाना के लिए कोष मुहैया कराने और कृष्णा-गोदावरी नदियों को जोड़ने की मांग के अलावा आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक के तहत लंबित मुद्दों पर बातचीत की.
इस दौरान सीएम केसीआर (KCR) ने पीएम मोदी को तेलंगाना से जुड़ी 23 मांगों का ज्ञापन पीएम मोदी को सौंपा. इस मुलाकात के बाद केसीआर (KCR) ने गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की.
यहां आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान केसीआर (KCR) और ओवैसी की जोड़ी ने मिलकर बीजेपी पर काफी हमले किए थे. कई चुनावी रैलियों में ओवैसी बंधू केसीआर (KCR) जैसे नेता को केंद्र की सत्ता में काबिज होने की बात कहते हुए देखे गए थे. किसी भी दल को बहुमत नहीं आने पर केसीआर (KCR) तीसरा फ्रंट बनाने का ख्वाब देख रहे थे. हालांकि देश की जनता ने ऐसा होने नहीं दिया और पीएम मोदी की अगुवाई में एनडीए ने लगातार दूसरी बार प्रचंड जीत दर्ज की.
केंद्र में दूसरी बार बीजेपी की सरकार बनने के बाद सीएम केसीआर (KCR) ने पहली बार पीएम मोदी और अमित शाह से मुलाकात की. इस मुलाकात पर राजनीतिक पंडितों की नजरें टिकी हुई हैं. दरअसल, देश में बदले राजनीतिक हालात में ज्यादातर छोटी पार्टियां बीजेपी के करीब आने की कोशिश कर रही हैं या आ चुकी हैं. हालांकि फिलहाल केसीआर (KCR) और बीजेपी की नजदीकी के अभी तक कोई संकेत नहीं मिले हैं, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि राजनीति में संभावनाएं हमेशा बनी रहती हैं.