Purple Fest: गोवा में 6 से 8 जनवरी तक होगा देश के पहले पर्पल फेस्ट का आयोजन, जानें इसका मकसद और खासियत
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Purple Fest: गोवा में 6 से 8 जनवरी तक होगा देश के पहले पर्पल फेस्ट का आयोजन, जानें इसका मकसद और खासियत

Purple Fest 2023: 'पर्पल फेस्ट 2023, सेलिब्रेटिंग डाइवर्सिटी' का आयोजन 6 से 8 जनवरी तक हो रहा है. गोवा सरकार के मुताबिक इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में ऑल इंडिया ओपन पैरा टेबल टेनिस चैंपियनशिप, यूनिफाइड बीच क्रिकेट, ब्लाइंड क्रिकेट और पर्पल आई-रन मैराथन जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा.

Goa Purple Fest 2023

Purple Fest Goa: देश के पहले पर्पल फेस्ट का आयोजन गोवा में 6 से 8 जनवरी तक होगा. इस आयोजन का मकसद भारत में दिव्यांगता के प्रति भेदभाव, कलंक और रूढ़िवादिता जैसी बाधाओं को दूर करना है. पर्पल फेस्ट के आयोजन की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. गोवा में होने जा रहे इस फेस्ट के आयोजकों के मुताबिक, 'हमारे देश में खेल का  बड़ा महत्व है और एक बड़ी दिव्यांग आबादी होने की वजह से इस बड़े समुदाय के लिए भी खेलों को बढ़ावा देना जरूरी है.'

गोवा में खेलों का 'महाकुंभ'

'पर्पल फेस्ट 2023, सेलिब्रेटिंग डाइवर्सिटी' का आयोजन 6 से 8 जनवरी तक हो रहा है. गोवा के स्टेट कमिश्नर गुरुप्रसाद पावस्कर के मुताबिक 3 दिवसीय कार्यक्रम में ऑल इंडिया ओपन पैरा टेबल टेनिस चैंपियनशिप, यूनिफाइड बीच क्रिकेट, ब्लाइंड क्रिकेट और पर्पल आई-रन मैराथन जैसी खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा. ये खेल गोवा सरकार (Goa Government) द्वारा आयोजित पीडब्ल्यूडी (PwD) के लिए पहली बार राष्ट्रीय स्तर की चैंपियनशिप के रूप में आयोजित किए जा रहे हैं.

सीजेआई होंगे मुख्य वक्ता

इस कार्यक्रम का आयोजन दिव्यांग  व्यक्तियों के लिए राज्य आयुक्त, गोवा द्वारा संयुक्त रूप से गोवा के समाज कल्याण और एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा  के सहयोग से हो रहा है. पर्पल फेस्ट 2023 में  भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़  मुख्य वक्ता होंगे. दिव्यांग जन के लिए होने वाले इस तरह का आयोजन ना सिर्फ गोवा में ,बल्कि देश में पहली दफा हो रहा है और इसका मकसद समाज में सबको समान दर्जा और अवसर प्राप्त कराना है.  

'पर्पल अम्बेसडर'

भारत सरकार द्वारा 21 तरह की विकलांगता को अधिसूचित किया गया है, और इनमें से प्रत्येक तरह की विकलांगता का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिभागी आयोजन के अम्बेसडर होंगे.  पर्पल फेस्ट के लिए भारत के लिए अपनी तरह का ये पहला आयोजन है ,जो  दिव्यांग लोगों को समाज में अन्य के साथ एक मंच पर लाता है. 

मुख्य आकर्षण- 'पर्पल फेस्ट 2023, सेलिब्रेटिंग डाइवर्सिटी' के कुछ मुख्य आकर्षण इस प्रकार है.

पर्पल थिंक टैंक - इस सेगमेंट में शारीरिक अक्षमता में समावेशी शिक्षा और रोजगार पर बातचीत और चर्चाओं की एक श्रृंखला होगी. 

पर्पल फन - इस आयोजन में एक ब्लाइंड कार रैली, बर्ड वाचिंग, समुद्र तटों, मंदिरों और चर्च जैसे पर्यटन स्थलों की यात्रा जैसी विभिन्न मजेदार गतिविधियों का सुपर कॉम्बो होगा.

पर्पल एक्सपीरियंस जोन - एक्सपीरियंस जोन इस विशिष्ट समूह के लिए कुछ सीखने का एक अनुभव होगा.

पर्पल एक्जीबिशन - इस प्रदर्शनी में नवीनतम सहायक उपकरण और उपकरण, दिव्यांग व्यक्तियों द्वारा बनाए गए उत्पादों, कला शिविरों और विभिन्न गतिविधियों के स्टाल होंगे. 

पर्पल रेन - प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा विभिन्न मनोरंजक और दिलचस्प लाइव शो जैसे संगीत समारोह, नृत्य प्रदर्शन, और स्टैंड-अप कॉमेडी इस सेगेमेंट का हिस्सा होंगे.

आयोजन का उद्देश्य

इस आयोजन का उद्देश्य विकलांगता के प्रति समाज के दृष्टिकोण को बदलना और इन बाधाओं को दूर करने के लिए PwD यानी पर्सन विथ डिसेबिलिटी के साथ सहयोग करना है. पर्पल फेस्ट आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य लोगों को उन क्षमताओं के बारे में शिक्षित करना है जो विकलांग व्यक्तियों के पास हैं.

पर्पल थीम क्यों?

पर्पल फेस्ट के आयोजकों के मुताबिक इस आयोजन के लिए पर्पल यानी  बैंगनी रंग चुनने की वजह ये है कि बैंगनी रंग पॉपुलैरिटी के हिसाब से
दिव्यांगता से जुड़ा है. इस रंग का इस्तेमाल दिव्यांग लोगों की शक्ति का उल्लेख करने वाले प्रचारकों, डोनेशन और फंड रेजिंग करने के लिए संस्थानों और सरकारों द्वारा भी उपयोग किया जा रहा है.

इस कार्यक्रम के प्रमुख आयोजकों में से एक और गोवा सरकार में दिव्यांग मामलों के विभाग में कार्यरत अधिकारी गुरुप्रसाद पावस्कर का कहना है कि जिस तरह से लोग डिसेबिलिटी को अभी तक देखते हैं, हमारे इस आयोजन में शामिल होने के बाद उनका नजरिया बदल जाएगा. आम तौर पर, जब हम किसी विकलांग व्यक्ति से मिलते हैं, तो हमें दया या सहानुभूति होती है. जबकि वो सहानुभूति नहीं चाहते. लोगों की निगाहों में ऐसे लोगों के प्रति सहानुभूति दिखाने के बजाए उदारता होनी चाहिए. इसलिए समाज में दिव्यांगों के साथ जैसा व्यवहार होता चला आ रहा है उसमें सकारात्मक बदलाव होना चाहिए. 

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