Asha Dashami Vrat 2021: बड़ा फलदाई है आशा दशमी व्रत, जानें महत्व, पूजा विधि और लाभ
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Asha Dashami Vrat 2021: बड़ा फलदाई है आशा दशमी व्रत, जानें महत्व, पूजा विधि और लाभ

Asha Dashmi Vrat: इस व्रत में शरीर को निरोग एवं स्वस्थ रखने की प्रार्थना करें. ऐसा करने से तन-मन स्वस्थ रहता है. इसी कारण इसे आरोग्य व्रत भी कहा जाता है. 

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: भारत को तीज-त्योहारों का देश कहा जाता है. मान्यता है कि यहां 7 वार में 9 त्योहार होते हैं. देश में पति और संतान की लंबी उम्र से लेकर खुद की आध्यात्मिक उन्नति के लिए कई व्रत और साधन बताए गए हैं. ऐसा ही एक प्रमुख व्रत आशा दशमी (Asha Dashmi) का है जिसकी शुरुआत महाभारत काल से मानी जाती है. इस साल ये व्रत 19 जुलाई 2021 यानी सोमवार के दिन मनाया जा रहा है. 

  1. आशा दशमी व्रत की बड़ी मान्यता
  2. पूरी होती है भक्तों की मनोकामना
  3. पौराणिक परंपरा का आज भी निर्वहन

'पूरी होती हैं मनोकामनाएं'

इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यह व्रत किसी भी मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि से आरंभ किया जा सकता है. आशा दशमी मनाने का उद्देश्य अच्छी सेहत, अच्छा वर और पति और संतान की अच्छी सेहत के लिए किया जाता है भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को इस व्रत का महत्व बताया था. मान्यता है कि हर महीने इस व्रत को तब तक करना चाहिए जब तक कि आपकी मनोकामना पूर्ण न हो जाए.

मान्यता है कि कन्या अगर इस व्रत को करे तो श्रेष्ठ वर प्राप्त करती है.अगर किसी स्त्री का पति यात्रा प्रवास के दौरान जल्दी घर लौटकर नहीं आता है तब सुहागन स्त्री इस व्रत को कर अपने पति को शीघ्र प्राप्त कर सकती है. शिशु की दंतजनिक पीड़ा भी इस व्रत को करने से दूर हो जाती है.

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पूजन का विधान

ये व्रत 6 माह, 1 वर्ष , 2 वर्ष या फिर मनोकामना पूरी होने त‍क करना चाहिए. आशा दशमी व्रत में दशमी तिथि के दिन प्रात: नित्य कर्म, स्नानादि से निवृत्त होकर देवताओं का पूजन करें. रात्रि में 10 आशा देवियों की पूजा करें. इस दिन माता पार्वती का पूजन किया जाता है. इस व्रत को करने वाले मनुष्‍य को आंगन में दसों दिशाओं के चित्रों की पूजा करनी चाहिए. दसों दिशाओं में घी के दीपक जलाकर धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि समर्पित करना चाहिए.

इस मंत्र से करें आराधना

'आशाश्चाशा: सदा सन्तु सिद्ध्यन्तां में मनोरथा: भवतीनां प्रसादेन सदा कल्याणमस्त्विति'. इसका अर्थ ये है कि 'हे आशा देवियों, मेरी सारी आशाएं, सारी उम्मीदें सदा सफल हों. मेरे मनोरथ पूर्ण हों, मेरा सदा कल्याण हो, ऐसा आशीर्वाद प्रदान करें.' ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देने के बाद स्वयं प्रसाद ग्रहण करना चहिए. व्रत पूजा में कार्य सिद्धि के लिए सच्चे मन से प्रार्थना करें.

(नोट: आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और पौराणिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे धर्म शाष्त्रों में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए प्रस्तुत किया गया है)

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