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Positive Effects Of Shani: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि को न्याय का देवता मानते हैं. माना जाता है कि यदि शनि किसी से नाराज हो जाए तो उसके लिए कष्टदायी समय की शुरूआत हो जाती है और वहीं यदि कुंडली में इसका शुभ प्रभाव पड़े तो यह बाकि ग्रहों से भी ज्यादा शुभ फल देता है. आइए विस्तार में जानते हैं कि व्यक्ति के कुंडली में शुभ शनि है कि नहीं और उसके कैसे प्रभाव होते हैं!
तुला राशि में शनि का प्रभाव
यदि व्यक्ति की कुंडली में 7 अंक अंकित है और वहीं पर शनि लिखा है तो इसका मतलब है कि तुला राशि में शनि बैठा है. तुला राशि में शनि का उच्च होना विशेष लाभ पहुंचाता है. इससे व्यक्ति को धन ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
शनि की प्रिय राशियां
व्यक्ति की कुंडली में यदि शनि 10 या 11 अंक पर अंकित है तो कुंडली में शनि स्वराशि है. स्वराशि का मतलब है कि व्यक्ति को जीवन में विशेष सुख सुविधा और धन दिलाता है. वहीं 10 अंक मकर राशि और 11 अंक कुंभ राशि को दर्शाता है जो शनि की प्रिय राशियां हैं.
जानें कब कुंडली में शनि की होती है शुभ स्थिति
यदि व्यक्ति की कुंडली में शनि लाभ स्थान में स्थापित हो तो वह अपनी महादशा से लगातार लाभ पहुंचाती है. इस वजह से व्यक्ति को कई तरह से लाभ पहुंचता है जैसे प्रमोशन होगा या फिर कुशल प्रशासक होना. इन लोगों सोसायटी में काफी नाम भी होता है.
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ऐसे खोलते हैं भाग्य के द्वार
अगर कुंडली में शनि शुभ भाव में है या फिर शुभ युति करा रहा है तो समझ जाएं कि व्यक्ति के भाग्य के द्वार खुलने वाले हैं.
साढ़ेसाती हमेशा ही नहीं पहुंचाती हानि
अगर व्यक्ति मकर लग्न का है और उसके द्वितीय भाव में शनि स्थापित है तो ऐसे में साढ़ेसाती का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता. मकर लग्न होने द्वितीय धन स्थान पर कुंभ राशि आती है तो यह स्वराशि कहलाती है, जिसका कि विशेष लाभ मिलता है.
शनि बनाता है शुभ योग
अगर व्यक्ति की कुंडली में शनि उच्च या स्वराशि के केंद्र में बैठता है तो यह एक विशेष राजयोग का निर्माण करता है. इस योग को शशक राजयोग कहते हैं. यह जिस व्यक्ति की कुंडली में होता है तो उसे विशेष लाभ की प्राप्ति होती है. ऐसे लोगों के आगे पीछे हमेशा नौकर चाकर घूमते रहते हैं.
शनि के ऐसे प्रभाव से व्यक्ति हो जाता है मालामाल
शनि कई भौतिक सुख सुविधा का लाभ भी पहुंचाता है. बता दें कि लाल किताब में तो मकान का कारक शनि ग्रह को ही माना गया है. मकान से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारियों के योग इस लाल किताब के अनुसार शनि के अधीन ही माना गया है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)