ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुंडली में ग्रहों की युति से शुभ और अशुभ योगों का निर्माण होता है. शुभ योग जीवन में शुभ परिणाम देते हैं. वहीं अशुभ योग से जीवन में कई प्रकार की परेशानियां आती हैं.
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नई दिल्ली: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति से भविष्य का पता चलता है. कुंडली में ग्रहों की युति से शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के योग बनते हैं. ग्रहों की शुभ या अशुभ स्थिति को देखकर व्यक्ति की परेशानी, धन-दौलत, यश आदि के बारे में बताया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुछ शुभ योग के बारे में जानते हैं.
जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु स्वराशि यानी धनु या मीन में हो या अपनी उच्च राशि के केंद्र स्थान में मौजूद हो तो दिव्य योग बनता है. आमतौर पर यह योग मेष, तुला, मकर और कर्क लग्न की कुंडली में बनता है. जिन लोगों की कुंडली में यह योग बनता है वे चरित्र के अच्छे और महान विचारों वाले होते हैं. ऐसे लोगों का जीवन सुखमय होता है.
अगर कुंडली में शनि पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव में होता है या स्वराशि मकर या कुंभ में विराजमान होता है तो शश योग बनता है. यह एक प्रकार का राजयोग है. साथ ही तुला राशि में शनि बैठा हो तब भी इस योग का शुभ परिणाम मिलता है. जिस जातक की कुंडली में यह योग बनता है वह अपने जीवन धनवान बनता है. मेष, वृषभ, कर्क, सिंह, तुला वृश्चिक, मकर और कुंभ लग्न में जिनका जन्म होता है उनकी कुंडली इस योग के बनने की संभावना प्रबल रहती है.
कुंडली में अगर मंगल केंद्र स्थान यानी पहले, चौथे, 7वें या 10वें भाव में होता है अथवा अपनी उच्च राशि मकर, मेष में होता है रुचक योग बनता है. जिन लोगों की कुंडली में यह योग बनता है साहसी और बलशाली होते हैं. साथ ही ऐसे लोग कुशल वक्ता भी होते हैं. इसके अलवा ऐसे लोग जीवन का हर सुख प्राप्त करते हैं. रुचक योग को राजयोग की श्रेणी में रखा गया है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)