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नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) एक योग्य शिक्षक होने के साथ-साथ एक कुशल अर्थशास्त्री भी थे. चाणक्य की शिक्षा व्यक्ति को सफल और श्रेष्ठ बनने के लिए प्रेरित करती है. चाणक्य की शिक्षाओं में मानव कल्याण की भावना निहित है. इसलिए चाणक्य नीति (Chanakya Niti) की बातें आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी सैकड़ों साल पहले थी.
व्यक्ति को सर्वश्रेष्ठ बनाते हैं ये 4 गुण
चाणक्य नीति का जो भी अध्ययन करता है वह जीवन जीने की कला को सीख लेता है. चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को जीवन में यदि सफल होना है तो कुछ बातों को अपने जीवन में उतार लेना चाहिए. चाणक्य नीति के 7वें अध्याय के 15वें श्लोक में चाणक्य कहते हैं:
स्वर्गस्थितानामिह जीवलोके चत्वारि चिह्नानि वसन्ति देहे।
दानप्रसङ्गो मधुरा च वाणी देवार्चनं ब्राह्मणतर्पणं च॥
अर्थात: दान देने में रूचि रखना, मधुर वाणी बोलना, देवताओं की पूजा करना और ब्राह्मणों को संतुष्ट रखना, इन चार लक्षणों वाला व्यक्ति धरती में स्वर्ग की किसी आत्मा के समान होता है.
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1. दान एक ऐसा कार्य है जिसे करने से न केवल हम धर्म का पालन करते हैं बल्कि अपनी जीवन की तमाम समस्याओं से भी बाहर निकल जाते हैं. दान करने से ग्रहों से जुड़ी दिक्कतें भी दूर हो जाती हैं. साथ ही दान करने से आप किसी जरूरतमंद की मदद भी करते हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो किसी व्यक्ति में दान देने का गुण होना बेहद जरूरी है.
2. विचारों में चाहे विरोधाभास हो, आस्था चाहे अलग हो, लेकिन इंसान की वाणी हमेशा मधुर होनी चाहिए. अंहकार या गुस्से में आकर कटु वाणी बोलने से आप पाप के भागी बनते हैं, इसलिए हमेशा मधुर वाणी ही बोलनी चाहिए.
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3. नियमित रूप से पूजा पाठ करने से मन में आत्मिक शांति का एहसास होता है और नकारात्मक समय में भी लोगों के मन में उम्मीद बनी रहती है. इसलिए रोजाना ईश्वर की पूजा जरूर करनी चाहिए.
4. ब्राह्मण भोजन का हिंदू परंपरा में बहुत अधित महत्व माना जाता है. इसलिए अगर ब्राह्मणों को भोजन करवाकर, दान देकर संतुष्ट रखा जाए तो इससे भी आपका जीवन बेहतर हो सकता है.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें)