Chitragupta Puja 2024: इस आरती के बिना अधूरी मानी जाती है चित्रगुप्त पूजा, शुभ मुहूर्त में जरूर करें पाठ
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Chitragupta Puja 2024: इस आरती के बिना अधूरी मानी जाती है चित्रगुप्त पूजा, शुभ मुहूर्त में जरूर करें पाठ

Chitragupta Aarti in Hindi: कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि गवान चित्रगुप्त की पूजा के लिए समर्पित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से जीवन में समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है. 

Chitragupta Puja 2024: इस आरती के बिना अधूरी मानी जाती है चित्रगुप्त पूजा, शुभ मुहूर्त में जरूर करें पाठ

Chitragupta Puja Muhurat: कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि गवान चित्रगुप्त की पूजा के लिए समर्पित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से जीवन में समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है. इस दिन किताबों और कलमों की पूजा करना शुभ माना जाता है. इस साल चित्रगुप्त पूजा आज यानी 3 नवंबर को की जा रही है. 

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पूजा का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 2 नवंबर, 2024 को रात 08 बजकर 21 मिनट पर हो गई है. वहीं, इसका समापन आज रात 10 बजकर 6 मिनट पर होगा. पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक रहेगा. इस दौरान आप भगवान चित्रगुप्त में की पूजा कर सकते हैं. इस समय आप भगवान चित्रगुप्त की आरती करना न भूलें. इस आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है.

श्री चित्रगुप्त आरती
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे .
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे॥

विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,
सन्तनसुखदायी .
भक्तों के प्रतिपालक,
त्रिभुवनयश छायी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,
पीताम्बरराजै .
मातु इरावती, दक्षिणा,
वामअंग साजै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,
प्रभुअंतर्यामी .
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन,
प्रकटभये स्वामी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

कलम, दवात, शंख, पत्रिका,
करमें अति सोहै .
वैजयन्ती वनमाला,
त्रिभुवनमन मोहै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,
ब्रम्हाहर्षाये .
कोटि कोटि देवता तुम्हारे,
चरणनमें धाये ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

नृप सुदास अरू भीष्म पितामह,
यादतुम्हें कीन्हा .
वेग, विलम्ब न कीन्हौं,
इच्छितफल दीन्हा ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

दारा, सुत, भगिनी,
सबअपने स्वास्थ के कर्ता .
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,
तुमतज मैं भर्ता ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

बन्धु, पिता तुम स्वामी,
शरणगहूँ किसकी .
तुम बिन और न दूजा,
आसकरूँ जिसकी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,
प्रेम सहित गावैं .
चौरासी से निश्चित छूटैं,
इच्छित फल पावैं ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,
पापपुण्य लिखते .
‘नानक’ शरण तिहारे,
आसन दूजी करते ॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे .
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे ॥

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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