Shiv Pujan Vidhai: रोज भगवान शिव की पूजा करने वाले भी नहीं जानते ये रहस्‍य, ऐसे मिलता है अचूक फल!
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Shiv Pujan Vidhai: रोज भगवान शिव की पूजा करने वाले भी नहीं जानते ये रहस्‍य, ऐसे मिलता है अचूक फल!

Shiv Puja Vidhi: अभी सावन महीना चल रहा है और यह समय भगवान शिव को प्रसन्‍न करने के लिए बहुत खास होता है. लेकिन सालों से रोज शिव पूजा कर रहे लोग भी एक बात से अनजान हैं. 

Shiv Pujan Vidhai: रोज भगवान शिव की पूजा करने वाले भी नहीं जानते ये रहस्‍य, ऐसे मिलता है अचूक फल!

Shiv Puja ka sahi samay: भगवान शिव को भोलेनाथ कहा जाता है क्‍योंकि उन्‍हें प्रसन्‍न करना बेहद आसान है. शिव जी एक लोटा जल और बेल की सूखी पत्‍ती से भी प्रसन्‍न हो जाते हैं, बस यह काम पूरे भक्ति-भाव से किया जाए. यही वजह है कि भगवान शिव की पूजा को बहुत सरल माना गया है. इस समय सावन का महीना चल रहा है और यह समय महादेव को प्रसन्‍न करने के लिए सर्वश्रेष्‍ठ होता है. शिव जी की पूजा करने से सारे दुख दूर हो जाते हैं. जीवन में हर सुख, समृद्धि मिलती है. यही वजह है कि कई लोग रोजाना शिव जी की पूजा करते हैं. लेकिन रोज शिव पूजन करने वाले अधिकांश लोग भी एक बात नहीं जानते हैं. 

शिव पूजा के बाद क्‍यों बजाते हैं ताली 

शिवजी की पूजा में पंचामृत, बेलपत्र, धतूरा चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है. इससे शिवजी प्रसन्‍न होते हैं. इसके अलावा आपने देखा होगा कि शिवजी की पूजा करते समय लोग तीन बार ताली भी बजाते हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से ही शिव पूजा पूरी होती है. हालांकि इसे पूजा या परंपरा का हिस्‍सा मानकर कई लोग शिव पूजा के बाद 3 बार ताली बजाते हैं लेकिन इसके पीछे की वजह नहीं जानते हैं. 

धर्म-शास्‍त्रों के अनुसार ये 3 बार ताली बजाने के पीछे विशेष कारण हैं. इसमें पहली ताली महादेव को अपनी उपस्थिती बताने के लिए बजाई जाती है. वहीं दूसरी ताली इस भाव से बजाई जाती है कि यदि हम शिवजी से कुछ ना भी मांगे तो भी हमारे घर का भंडार भरा रहे. आखिरी तीसरी ताली बजाकर महादेव से प्रार्थना की जाती है कि वे हमें अपने चरणों में स्‍थान दें. 

प्रभु राम और रावण ने भी बजाई थीं 3 बार ताली 
 
मान्यता है कि शिव का परम भक्‍त रावण भी शिव पूजा में 3 बार ताली बजाता था. इससे ही उसे लंका का राज्य मिला था. वहीं जब भगवान श्रीराम समुद्र पर सेतु बांधना चाह रहे थे, तब उन्होंने इस काम में सफलता पाने के लिए शिवजी की पूजा की थी और पूजा में 3 बार ताली बजाई. इसके बार सेतु बनाने का काम सफलतापूर्वक संपन्‍न हुआ और रावण वध के लिए लंका जाने का रास्‍ता तैयार हुआ था. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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