गणेश चतुर्थी के पावन त्योहार पर देशभर के गणेश मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ लेकिन क्या आप जानते हैं कि छत्तीसगढ़ के नक्सल इलाके दंतेवाड़ा में एक पहाड़ी पर विराजमान बप्पा की महिमा पूरे देश में फैली हुई है.
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नई दिल्ली: प्रथम पूज्य गजानन को कई नामों से जाना जाता है जिसमें एकदंत बप्पा का काफी प्रसिद्ध नाम है. गणेश चतुर्थी के पावन त्योहार पर देशभर के गणेश मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ लेकिन क्या आप जानते हैं कि छत्तीसगढ़ के नक्सल इलाके दंतेवाड़ा में एक पहाड़ी पर विराजमान बप्पा की महिमा पूरे देश में फैली हुई है. लोगों का मानना है कि ढोलकल पहाड़ी पर मौजूद गणेश भगवान की ये प्रतिमा 1100 साल पुरानी है.
मान्यताओं की मानें तो यहां पर परशुराम और गणपति में युद्ध हुआ था. उस युद्ध में गणेश जी का एक दांत टूट गया था, जिसके कारण बप्पा एकदंत कहलाए. परशुराम के फरसे से गजानन का दांत टूटा, इसलिए पहाड़ी के शिखर के नीचे के गांव का नाम फरसपाल रखा गया. इतना ही नहीं कई लोगों का मानना है कि गणपति की प्रतिमा ढोलक के आकार की तरह दिखती है, जिस कारण से इस पहाड़ी का नाम ढोलकल पड़ा.
खजराना गणेश मंदिर में पूरी होती हैं मनोकामनाएं, मशहूर हैं बप्पा के चमत्कार के किस्से
The restoration process of the 1000 year old Dholkal Ganesh idol has started. #Dantewada #DholkalProject #LifeBeyondConflict #HopeNaturally pic.twitter.com/1PLaHBz5qs
— Dantewada (@DantewadaDist) February 1, 2017
11वीं शताब्दी पुरानी है ढोलकल गणेश प्रतिमा
ढोलकर मंदिर में सालभर भक्तों का मेला लगा रहता है. इस मंदिर में फरवरी महीने में एक मेले का आयोजन भी किया जाता है. दक्षिण बस्तर के भोगामी आदिवासी परिवार अपनी उत्पत्ति ढोलकट्टा (ढोलकल) की महिला पुजारी से मानते हैं. इस घटना की याद में ही छिंदक नागवंशी राजाओं ने शिखर पर गणेश की प्रतिमा स्थापित की. पुरातत्व विभाग के अनुसार, ढोलकल गणेश प्रतिमा 11वीं शताब्दी की बताई जाती है.