DNA ANALYSIS: वायरस के कारण बदलती धार्मिक परंपराओं का विश्लेषण
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DNA ANALYSIS: वायरस के कारण बदलती धार्मिक परंपराओं का विश्लेषण

कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण हमारे जीवन में कई बदलाव हो चुके हैं.

DNA ANALYSIS: वायरस के कारण बदलती धार्मिक परंपराओं का विश्लेषण

कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण हमारे जीवन में कई बदलाव हो चुके हैं. जीवन और मृत्यु की परंपराओं की तरह इस महामारी ने धर्म की परंपराओं को भी बदल दिया है . बदलाव की ऐसी ही तस्वीर बुधवार को केदारनाथ मंदिर में दिखी . बुधवार सुबह विधि-विधान के साथ केदारनाथ मंदिर के कपाट यानी दरवाजे खोल दिए गए . लॉकडाउन के कारण प्रशासन ने इस पूजा में सिर्फ 16 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी . इस मौके पर सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से मंदिर के पुजारी ने भगवान केदारनाथ का रुद्राभिषेक किया . मौसम के लिहाज से कहा जाए तो वहां अभी भी कई फीट ऊंची बर्फ मौजूद है. ठंड के महीने में ये पूरा इलाका बर्फ से ढंक जाता है. इसलिए केदारनाथ मंदिर के दरवाजे हर वर्ष नवंबर में बंद कर दिए जाते हैं, और अप्रैल महीने में खोले जाते हैं.

वायरस ने बदली परपंरा
कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण इस वर्ष मंदिर और यात्रा से जुड़ी कई परंपराओं को बदल दिया गया . इस साल केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी, रावल भीमाशंकर लिंग कपाट खुलने के दौरान वहां मौजूद नहीं थे. वो 19 अप्रैल को महाराष्ट्र से उत्तराखंड पहुंचे हैं. लॉकडाउन के कारण 14 दिनों के क्‍वारंटाइन में हैं. इसलिए कपाट खुलने के मौके पर मुख्य पुजारी की जगह उनके प्रतिनिधि के तौर पर पुजारी शिवशंकर लिंग मौजूद रहे . हर वर्ष पूजा के बाद मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है . लेकिन, इस बार महामारी की वजह से श्रद्धालुओं को केदारनाथ की यात्रा की अनुमति नहीं है .

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कोरोना वायरस की वजह से इस बार एक और बदलाव दिखा . हर वर्ष ऊखी-मठ से आने वाली भगवान केदारनाथ की डोली यहां पैदल रास्ते पहुंचती थी . लेकिन लॉकडाउन की वजह से इस बार भगवान की डोली को गाड़ी में लाया गया .

इस संदर्भ में यदि 2019 की बात की जाए तो कपाट खुलने के दिन 25 हज़ार से अधिक भक्तों ने भगवान केदारनाथ की पूजा की थी . पिछले वर्ष कुल मिलाकर 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने केदारनाथ मंदिर के दर्शन किए थे . बुधवार को केदारनाथ मंदिर के अलावा गंगोत्री और यमुनोत्री के भी कपाट खुल गए . चौथे धाम यानी बद्रीनाथ मंदिर के कपाट 15 मई को खुलेंगे . लेकिन लॉकडाउन के कारण अभी ये तय नहीं है कि चार धाम यात्रा कब शुरू होगी .

सोशल डिस्‍टेंसिंग के नियमों का पालन करने के लिए मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए गए हैं, लेकिन भक्तों के लिए श्रद्धा के दरवाजे बंद नहीं हुए हैं. अब मंदिरों में ऑनलाइन दर्शन हो रहे हैं. शिरडी का प्रसिद्ध साईं मंदिर... 17 मार्च से श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए बंद कर दिया गया है. लेकिन मंदिर के पुजारी नियमों के मुताबिक हर दिन साईं बाबा की पूजा और आरती करते रहते हैं. 18 मार्च से 25 अप्रैल तक साईं संस्थान की वेबसाइट और मोबाइल ऐप पर 5 लाख भक्तों ने ऑनलाइन दर्शन किए . उन्होंने 1 करोड़ 90 लाख रुपए से अधिक का दान भी दिया है.

गुजरात के सोमनाथ मंदिर को भी 19 मार्च से बंद कर दिया गया है. पिछले एक महीने में 45 देशों के ढाई करोड़ श्रद्धालु भगवान सोमनाथ के ऑनलाइन दर्शन कर चुके हैं और पूजा-पाठ के लिए मंदिर को 2 लाख रुपए का चढ़ावा भी चढ़ाया है .

लॉकडाइन के बाद से मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में हर दिन 3 लाख लोग Live दर्शन कर रहे हैं. जबकि इसी वर्ष फरवरी तक हर रोज सिर्फ 1 लाख लोग ऑनलाइन दर्शन करते थे . वर्ष 2019 के मार्च और अप्रैल महीने के मुकाबले इस वर्ष इन दो महीनों में, एक करोड़ लोगों ने भगवान गणपति के ऑनलाइन दर्शन किए हैं.

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