Happy Good Friday का मैसेज किसी के धार्मिक सेंटीमेंट्स को ठेस पहुंचा सकता है.
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नई दिल्ली: Good Friday को राष्ट्रीय अवकाश होने की वजह आप सोचते होंगे ये भी अन्य त्यौहारों की तरह ही खुशी का मौका है. जाने अनजाने आप अपने ईसाई दोस्तों को Happy Good Friday का संदेश भेज देते हैं. लेकिन क्या आपको पता है ये मैसेज किसी के धार्मिक सेंटीमेंट्स को ठेस पहुंचा सकता है? क्या आपको पता है कि ईसाई धर्म द्वारा मनाए जाने वाले Good Friday में खुशी वाली कोई बात नहीं होती? जानिए ईसाई समाज द्वारा मनाए जाने वाले इस खास हफ्ते के बारे में...
दिल्ली स्थित महा गिरिजाघर के प्रवक्ता फादर सवरीराज ऑगस्टिन का कहना है कि मोन्डी थर्सडे (Moundy Thursday) से लेकर रविवार को ईस्टर (Easter) तक का दिन ईसाई धर्म मानने वालों के लिए पवित्र सप्ताह माना जाता है. रविवार को छोड़कर बाकी कोई भी दिन खुशी का नहीं होता इसलिए अगर आप किसी ईसाई को इन खास दिनों की बधाई देना चाहते हैं तो एक बार इन खास दिनों के बारे में जान लें वरना अर्थ का अनर्थ हो सकता है.
क्या होता है Moundy Thursday?
क्रिचियन मान्यता के अनुसार मोन्डी थर्सडे का दिन बेहद खास होता है. इस दिन भगवान यीशु मसीह ने अपने सभी शिष्यों के पैर धोए थे और उन्हें एक-दूसरे से प्यार करने को कहा जैसे वे उनसे करते थे. भगवान यीशु के इन्ही शब्दों पर चलते हुए गुड फ्राईडे से एक दिन पहले इस दिन को मनाया जाता है. धर्मगुरु चर्च के 12 सदस्यों के पैर धोने के इस काम को करते हैं. ये एक खुशी का समय नहीं माना जाता क्योंकि इसके अगले दिन गुड फ्राइडे होता है.
क्यों नहीं बोलता चाहिए Happy Good Friday?
ईसाई मान्यता के हिसाब से Good Friday के दिन ही प्रभु यीशु को सूली पर चढाया गया और उनकी मौत हुई थी. ऐसे में कई बार लोग कंफ्यूज कर जाते हैं कि अगर इस दिन भगवान की मौत हुई थी तो फिर इसे गुड फ्राईडे क्यों कहा जाता है? दिल्ली के ही एक बड़े पादरी का कहना है कि इस दिन भगवान यीशु ने दुनिया के पापों की क्षमा के लिए अपनी जान दी थी. मनुष्यों से उनके इस प्यार और बलिदान को देखकर ही इस दिन को गुड फ्राइडे का नाम दिया गया. ईसाई धर्म मानने वाले लोग इस दिन उपवास रखते हैं और भगवान के मरण को याद करते हुए प्रार्थनाएं करते हैं. ये एक दुख का दिन होता है. इस दिन किसी भी ईसाई को हैप्पी गुड फ्राईडे की बधाई देने से बचना चाहिए.
शनिवार और रविवार होगा ईस्टर के नाम
क्रिचियन मान्यता के अनुसार मोन्डी थर्सडे, फ्राइडे और शनिवार का दिन पूरी तरह से उपवास और प्रार्थनाओं से भरा होता है. शनिवार रात को ईस्टर विजिल होता है जब समुदाय के लोग चर्च में इक्टठा होकर प्रभु यीशु के दोबारा जी उठने की उत्सव मनाते हैं. रविवार को ईस्टस संडे मनाया जाता है जिसमें क्रिचियन अपने भगवान के दोबारा जी उठने का जश्न मनाते हैं.