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नई दिल्ली: बहुत से लोगों को यह लगता है कि लंकापति रावण (Ravan) भले ही गुस्से में माता सीता का हरण करके उन्हें ले गया हो लेकिन उसने अपना आचरण सही रखा था और यह उसकी महानता थी जिस वजह से उसने माता सीता (Goddess Sita) को अपने महल से बाहर अशोक वाटिका में रखा और उन्हें कभी छूआ तक नहीं. लेकिन यह बात पूरी तरह से सच नहीं है. कैद में रखने के बाद भी रावण माता सीता को छू नहीं सकता था क्योंकि उसे एक श्राप (Due to a curse) मिला था. क्या था वह श्राप, जानने के लिए आगे पढ़ें.
वाल्मीकि रामायण के उत्तरकांड (Ramayan uttarkand) में अध्याय 26 और श्लोक 39 में रावण को मिले श्राप के बारे में बताया गया है. पौराणिक कथा के मुताबिक, भगवान शिव ने रावण की तपस्या से खुश होकर उसे वरदान जिसे पाकर रावण पहले से भी ज्यादा शक्तिशाली हो गया और तीनों लोकों को जीतने के लिए निकल पड़ा. त्रिलोक विजय अभियान के दौरान रावण स्वर्ग लोक (Swarglok) पहुंचा और कुछ समय के लिए अपने भाई कुबेर के शहर अलाका में विश्राम करने लगा.
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एक दिन स्वर्ग की अप्सरा रंभा अपने होने वाले पति नलकुबेर से मिलने जा रही थी तभी रास्ते में उसे रावण मिल गया. रंभा (Rambha) की खूबसूरती देखकर रावण उस पर मोहित हो गया. रावण ने रंभा के साथ दुराचार करने की कोशिश की. रंभा ने रावण से कहा कि वह उसके भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर (Nalkuber) की होने वाली पत्नी है और इस नाते उसकी पुत्रवधू के समान है. बावजूद इसके रावण ने रंभा के साथ दुराचार किया. यह बात जब नलकुबेर को पता चली तो उसने रावण को श्राप दिया कि अगर उसने किसी स्त्री की इच्छा के बिना उसे स्पर्श भी किया तो उसके मस्तक के सौ टुकड़े हो जाएंगे.
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नलकुबेर के इसी श्राप के कारण रावण माता सीता को अपनी कैद में रखने के बाद भी छू तक नहीं पाया.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)
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