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नई दिल्ली: हिंदू पंचांग (Panchang) का दूसरा महीना वैशाख शुरू हो चुका है (Vaishakh month) और भगवान विष्णु का प्रिय महीना होने की वजह से इस माह का धार्मिक महत्व भी काफी अधिक है. हिंदू धर्म और संस्कृति में साल के 12 महीने के लिए भोजन संबंधी कुछ नियम बनाए गए हैं और ऐसी मान्यता है कि इन नियमों का पालन करने से व्यक्ति कभी बीमार नहीं पड़ता. भोजन से जुड़े ये नियम (Rules related with food) मौसम में होने वाले बदलाव को देखकर बनाए गए हैं. मौजूदा समय में जब कोरोना महामारी का प्रकोप है, ऐसे में इन नियमों का और भी गंभीरता से पालन करना चाहिए.
चैते गुड़ वैशाखे तेल जेठे मिर्च, आषाढ़े बेल।
सावन साग भादो मही क्वांर करेला कार्तिक दही।।
अगहन जीरा पूस धना माघै मिश्री फाल्गुन चना।
जो कोई इतने परिहरै, ता घर बैद पैर नहिं धरै।।
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वैशाख का महीना अप्रैल से मई के बीच में आता है और इस साल को वैशाख का महीना अप्रैल के बिल्कुल आखिरी में शुरू हुआ है जब गर्मी अपने चरम पर है (Extreme summer). लिहाजा इस महीने में भोजन में तेल का इस्तेमाल कम से कम करने की सलाह दी जाती है (Avoid oil). सरसों का तेल, मूंगफली का तेल, तिल का तेल, इन सभी का सेवन वैशाख के महीने में बिल्कुल नहीं करना चाहिए. जहां तक संभव हो घी में भोजन पकाना चाहिए (Use ghee for cooking) क्योंकि गाय के घी को अमृत समान माना गया है. गर्मी के मौसम में चूंकि संचारी बीमारियां बढ़ जाती हैं इसलिए इस दौरान तेल और तेल से बनी चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए ताकि आप बीमार न पड़ें.
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वैशाख के महीने में गर्मी अपने चरम पर होती है इसलिए इस महीने में खूब सारा पानी पीएं और ऐसी चीजों का सेवन करें जिससे शरीर को अंदर से ठंडक मिले. लिहाजा वैशाख के महीने में बेल और खरबूजा खाना फायदेमंद माना जाता है (Bel and Musk melon). वैशाख के महीने में खरबूजे का दान करना भी लाभकारी होता है.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)
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