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Mithun Lagna Walon Ki Khasiyaten, मिथुन लग्न वाले कैसे होते हैं: आपकी लग्न का आप के व्यक्तित्व निर्धारण में निर्णयकारी योगदान होता है. इस कॉलम में हम क्रमवार हर लग्न के गुणों के बारे में चर्चा कर रहे हैं. आज तीसरी लग्न मिथुन के बारे में विस्तार से जानते हैं. लोगों में लग्न और राशि को लेकर थोड़ा भ्रम हो जाता है. हर कुंडली में एक लग्न और चंद्र राशि होती है. लग्न काफी सूक्ष्म है, यानी कि यह आत्मा है. जिस व्यक्ति की जो लग्न होती है उसका आत्मिक स्वभाव भी वैसा ही होता है.
मिथुन लग्न कालपुरुष की कुंडली में तीसरी राशि है. यह मृगशिरा नक्षत्र के दो चरण, आर्द्रा के चार चरण और पुनर्वसु के तीन चरणों से मिलकर बनती है. विषम राशि होने कारण पुरुष राशि है. इस राशि में कोई ग्रह न तो उच्च का होता है न ही नीच का. यह राशि पश्चिम दिशा का प्रतिनिधित्व करती है. मिथुन शीर्षोदय राशि है. यह एक क्रूर राशि है. मिथुन लग्न वालों का स्वामी बुध होता है. इसके देवता भगवान विष्णु हैं. मिथुन राशि वालों को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करना चाहिए.
मिथुन का वास बस्ती के पास है. इसलिए इस लग्न में जन्मे लोग प्रकृति पसंद होते हैं और साथ ही आधुनिक भौतिक वस्तुओं को प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं. इस लग्न वाले बागवानी, सुंदर फूलों वाले पौधों को लगाना और अपने साथियों के साथ बगीचे में बैठना बहुत पसंद करते हैं. इस लग्न के जातक अकेले रहना पसंद नहीं करते हैं यह हमेशा ग्रुप में रहना चाहते हैं. यह जीवन में उन्नति कम कर पाते हैं, यदि बड़ी तरक्की पाना चाहें तो इसके लिए उन्हें एक अच्छे साथी की दरकार होती है. मिथुन राशि के चिन्ह में दो लोगों के चित्र बने हैं, यह दर्शाता है कि यह एकाकी जीवन का विरोध करते हैं.
मिथुन लग्न में जन्म लेने वाले जातक के प्रायः हाथ पैर लंबे और कमजोर होते हैं. चेहरे पर तीक्ष्णता और प्रसन्नता टपकती हैं. मिथुन लग्न के जातक के नेत्र बहुत आकर्षक, गहरे मतवाले अर्थात मस्ती भरे होते हैं. इस लग्न के लोग क्रियाशील और गतिशील होते हैं. प्रायः देखा गया है कि उनका चेहरा भरा होता है. दाढ़ी के पास कुछ दबाव सा होता है. इनका दिमाग हर समय चलता रहता है. जातक की लिखने पढ़ने में रुचि होती है और तर्कों के आधार पर कार्य करते हैं. बात बनाने में निपुण होते हैं.
कलाप्रेमी होना, हंसी मजाक, चुटकुले सुनाना और व्यंग्य करना इनकी फितरत होती है. इस लग्न के जातक में विषय को गहराई से समझने की अदभुत क्षमता होती है. यह कठिन से कठिन विषय को सरल से सरल तरीके से पेश कर सकते हैं. यदि कुंडली में गुरु अच्छा है तो जातक अच्छा पत्रकार हो सकता है.
मिथुन लग्न वाले को अपनी योग्यता और बौद्धिक क्षमता पर काफी भरोसा होता है, लेकिन भरोसा जब अहंकार में बदल जाता है तो उसके पतन में बहुत थोड़ा ही समय लगता है. यह जातक अपना काम निकालने में बहुत माहिर होते हैं. यदि कुंडली में पंचम भाव बिगड़ जाए तो दूसरों को धोखा देने और धूर्तता पूर्ण व्यवहार करने से पीछे नहीं हटता है. मिथुन लग्न की एक खास बात देखी गई है कि ऐसा व्यक्ति कहता कुछ और है और करता कुछ है. ऐसा जातक बहुत खर्चीला होता है और फिजूलखर्ची को भी जायज ठहराता है. यह अपना क्रोध प्रकट नहीं करता लेकिन बड़े ही कुटिल ढंग से बदला लेने की चेष्टा करता है.
जिन महिलाओं की मिथुन लग्न होती है, उनको अपने दांपत्य जीवन को बहुत सुखद बना कर रखना चाहिए. अक्सर देखा गया है कि मिथुन लग्न वाली महिलाओं का दांपत्य जीवन गड़बड़ा जाता है. इसके पीछे कारण यह है कि सप्तम भाव में धनु राशि पड़ती है जो निष्ठुर राशि मानी गई है.
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मिथुन जातक अच्छा नेता या प्रतिनिधित्व करने वाले नहीं होता है. यह अनुयायी बहुत अच्छा होता है. इसको ऐसे समझा जा सकता है कि यह बेल की तरह होता है. जिस तरीके से बेल पेड़ से लिपट कर अपनी प्रगति करती जाती है ऐसे ही मिथुन राशि वाले को भी अपनी प्रगति के लिए सहारे की आवश्यकता होती है. यह कोई भी निर्णय लेने से पहले दूसरों पर निर्भर रहते हैं. महत्वपूर्ण निर्णय लेने में भय लगा रहता है कि कहीं यह निर्णय गलत न हो जाए. ऐसे व्यक्ति आशावादी होते हैं.
चंद्रमा की राशि कर्क दूसरे भाव में पड़ने की वजह से ऐसा व्यक्ति चापलूस और चालाक होता है. इनका झुकाव माता पक्ष की ओर नाना-नानी, मामा-मामी, मौसी आदि की ओर अधिक होता है. इस लग्न के व्यक्ति को कनिष्ठा में पन्ना धारण करना चाहिए. इसको धारण करने से आत्मबल में वृद्धि होती है. इस जातक को हिजड़े से आशीर्वाद लेना चाहिए तथा कभी भी अपने दरवाजे से हिजड़े को खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए. पेड़-पौधे लगाना और उनकी देखरेख करना इन जातकों के लिए उन्नति देने वाला होता है.