Jagadguru Shri Rambhadracharya: जौनपुर में जन्मे जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने चित्रकूट को ही क्यों कार्यक्षेत्र चुना?
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Jagadguru Shri Rambhadracharya: जौनपुर में जन्मे जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने चित्रकूट को ही क्यों कार्यक्षेत्र चुना?

Jagadguru Shri Rambhadracharya Ji :जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी के कई इंटरव्यू आपने जरूर देखे होंगे. अभी हाल ही में हुए इंटरव्यू में महाराज जी ने बताया कि देश के इतने सारे तीर्थक्षेत्रों में से उन्होंने चित्रकूट को ही क्यों कार्यक्षेत्र चुना. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा.

Jagadguru Shri Rambhadracharya: जौनपुर में जन्मे जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने चित्रकूट को ही क्यों कार्यक्षेत्र चुना?

Jagadguru Shri Rambhadracharya: हिन्दू धर्म में साधु-संतो का बहुत महत्व है. इनके उच्च विचारों से कई लोगों के जीवन का मार्गदर्शन होता है. इन्हीं में से एक हैं पद्मविभूषण से सम्मानित जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी स्वामी महाराज. ये भारत समेत पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं. इन्होंने कई भविष्यवाणियां भी की हैं जो काफी सच भी साबित हुई. रामभद्राचार्य जी को 22 से ज्यादा भाषाओं का ज्ञान है और कई ग्रथों की रचना भी की है.

 

चित्रकूट को कार्यक्षेत्र क्यों चुना ?
जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी के कई इंटरव्यू आपने जरूर देखे होंगे. अभी हाल ही में हुए इंटरव्यू में महाराज जी ने बताया कि देश के इतने सारे तीर्थक्षेत्रों में से उन्होंने चित्रकूट को ही क्यों कार्यक्षेत्र चुना. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा.

 

प्रभु राम ने बीताए थे वनवास के 12 साल
रामभद्राचार्य जी ने जबाव की शुरुआत चित्रकूट स्तुति से कि "सब सोच विमोचन चित्रकूट, कलि हरण करण कल्याण बूट। सुचि अवनि सहावनि आलबाल, कानन बिचित्र बारी बिसाल, मंदाकिनि-मालिनि सदा सींच, बर बारि विषम नर-नार सींच...रस एक, रहित-गुन-करम-काल, सिय राम लखन पालक कृपाल।" इसके बाद उन्होंने कहा कि ये वहीं चित्रकूट है जहां प्रभु राम ने वनवास के दौरान 12 साल तक निरावरण चरणारबिंद से भ्रमण किया था. 

 

प्रभु राम से है गहरा संबंध
उन्होंने कहा कि चित्रकूट में ही प्रभु राम, मां सीता और लक्ष्मण जी ने त्याग किया था. आज भी वहां घाटों पर सीता जी का बालों का फटफटाना, रामजी का धनुष धोने की आवाज सुनाई पड़ती है. ये जगह प्रभु राम जी से गहरा संबंध रखती है. इन्हीं कारणों से जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने चित्रकूट को कार्यक्षेत्र चुना.

 

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लिख चुके हैं 240 ग्रंथ

जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने इंटरव्यू में बताया कि वह अभी तक 240 ग्रंथ लिख चुके हैं. इनमें से 130 संस्कृत और बाकी हिन्दी में हैं. उन्होंने ये भी बताया कि जल्द ही 255 ग्रंथ पूरे हो जाएंगे.

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