Janaki Jayanti 2021: आज है जानकी जयंती, जानें इस दिन पूजा करने का क्या है महत्व
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Janaki Jayanti 2021: आज है जानकी जयंती, जानें इस दिन पूजा करने का क्या है महत्व

जिस दिन धरती से माता सीता प्रकट हुई थीं उसी दिन को सीता अष्टमी या जानकी जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस दिन का महत्व क्या है जानने के लिए यहां पढ़ें.

जानकी जयंती आज

नई दिल्ली: हिंदू पंचांग (Panchang) के अनुसार हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जानकी जयंती (Janki Jayanti) के तौर पर मनाया जाता है. जानकी जयंती को सीता अष्टमी (Sita Ashtami) के नाम से भी जाना जाता है. इस साल सीता अष्टमी 6 मार्च 2021 शनिवार को पड़ रही है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही मिथिला नरेश राजा जनक (Raja Janak) की दुलारी सीता जी प्रकट हुई थीं. माता सीता को लक्ष्मी जी का ही स्वरूप माना जाता है, इसलिए जानकी जयंती के दिन दिन माता सीता की विधि-विधान से पूजा की जाती है. माता सीता के साथ ही राम जी की भी पूजा की जाती है. जानकी जयंती मनाने का महत्व क्या है, पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और इसके पीछे की कथा के बारे में आगे पढ़ें.

  1. जानकी जयंती को सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है
  2. इसी दिन मिथिला में धरती से प्रकट हुई थीं माता सीता
  3. सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं व्रत

जानकी जयंती या सीता अष्टमी का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जानकी जयंती के दिन व्रत रखने से वैवाहिक जीवन से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाती है. सुहागिन महिलाओं के लिए तो यह दिन बेहद खास होता है क्योंकि सीता अष्टमी के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत करती हैं और माता जानकी को श्रृंगार का सामान अर्पित करती हैं. इसके अलावा कुंवारी कन्याएं अगर इस दिन व्रत करें तो उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है. साथ ही अगर किसी कन्या के विवाह में कोई बाधा आ रही हो तो उसे भी यह व्रत जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से विवाह से जुड़ी सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. जानकी जयंती पर मंदिरों में भगवान श्री राम और माता सीता की पूजा की जाती है. 

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जानकी जयंती का शुभ मुहूर्त

जानकी जयंती या सीता अष्टमी- शनिवार, 6 मार्च, 2021
अष्टमी तिथि प्रारंभ- 5 मार्च 2021 को शाम में 07:54 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त- 6 मार्च 2021 को शाम 06:10 बजे तक
चूंकि उदया तिथि से व्रत त्योहार का दिन माना जाता है इसलिए जानकी जयंती का त्योहार शनिवार 6 मार्च को मनाया जाएगा.

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सीता अष्टमी की कथा

रामायण की कथा के अनुसार, एक बार मिथिला राज्य में कई सालों तक वर्षा नहीं होने से सूखे और अकाल की स्थिति बन गई और अपनी प्रजा की तकलीफ देखकर राजा जनक भी परेशान हो गए. तब ऋषि मुनियों ने राजा जनक को यज्ञ करवाकर स्‍वयं खेत में हल जोतने का उपाय बताया. ऋषियों के सुझाव पर राजा जनक ने यज्ञ करवाया और उसके बाद धरती में हल चलाकर खेत जोतने लगे. तभी अचानक उनका हल खेत में एक जगह फंस गया और काफी प्रयास के बाद भी नहीं निकला. उस जगह की जब मिट्टी हटवाई गई तो वहां से एक बड़े कलश में एक छोटी बच्ची निकली. कन्‍या के बाहर निकलते ही राज्‍य में बारिश शुरू हो गई. राजा जनक की कोई संतान नहीं थी इसलिए उन्होंने उस कन्या को अपनी पुत्री मान लिया और उसका नाम सीता रखा.  माता सीता के प्राकट्य की तिथि को ही उनके जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है.

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