कर्नाटक के किष्किंधा में हनुमान मंदिर बनाने का क्यों चल रहा है अभियान?
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कर्नाटक के किष्किंधा में हनुमान मंदिर बनाने का क्यों चल रहा है अभियान?

Kishkindha Ramayana Connection: जन्‍मभूमि में राम मंदिर की तरह कर्नाटक के किष्किंधा में हनुमान मंदिर निर्माण के लिए रथ यात्रा निकाली जा रही है. क्‍या आप जानते हैं किष्किंधा का रामायण से क्‍या कनेक्‍शन है? 

कर्नाटक के किष्किंधा में हनुमान मंदिर बनाने का क्यों चल रहा है अभियान?

Hanuman temple in Kishkinda: आज का दिन जम्‍मू-कश्‍मीर के इतिहास के लिहाज से बेहद महत्‍वपूर्ण दिन है, क्‍योंकि आज श्रीनगर के मशहूर लाल चौक पर हनुमान चालीसा का पाठ किया गया है. लाल चौक के घंटाघर क्षेत्र पर अलसुबह जन्‍मभूमि रथ यात्रा पहुंची और पूजन किया. साथ ही यहां पर हनुमान चालीसी भी पढ़ा गया. यह पहला मौका है जब लाल चौक पर इस तरह की गतिविधि हुई है. इस रथ यात्रा का मकसद है कर्नाटक के किष्किंधा में हनुमान जन्‍मभूमि पर मंदिर का निर्माण करना. 

क्‍यों महत्‍वपूर्ण है किष्किंधा? 

रामायण में किष्किंधा का उल्‍लेख कई बार आया है. कर्नाटक की इस जगह को हिंदू धर्म-पुराणों में बहुत महत्‍वपूर्ण बताया गया है. खासतौर पर रामायण में 'किष्किंधा कांड' काफी प्रसिद्ध है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम और लक्ष्मण सीता को ढूंढते हुए किष्किंधा पहुंचे थे और यहीं उनकी मुलाकात हनुमान और सुग्रीव से हुई. यहीं पर प्रभु राम ने बाली का वध किया था. किवदंती है कि बाली ने अपनी सारी संपत्ति किष्किंधा पर्वत पर ही एक गुफा में छिपा दी थी, जो आज भी मौजूद है, लेकिन आज तक कोई भी उसे ढूंढ नहीं पाया है.   

हनुमान जी की जन्‍मस्‍थली 

साथ ही किष्किंधा को भगवान राम के परमभक्त और मित्र हनुमान का जन्‍मस्‍थान भी माना जाता है. यहां के अनेगुंडी में स्थित आंजनेय पर्वत को ही बजरंगबली का जन्मस्‍थान माना जाता है. यहां पर भगवान हनुमान का एक मंदिर भी बना हुआ है, जहां तक पहुंचने के लिए करीब 575 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है. जन्‍मभूमि रथ यात्रा को निकालने का लक्ष्‍य यही है कि अयोध्‍या में राम मंदिर की तरह किष्किंधा में हनुमान मंदिर का निर्माण कराया जाए. 

कहां है किष्किंधा नगरी? 

बेंगलुरू से करीब 400 किलोमीटर दूर और कप्पोल जिले में स्थित हम्पी से करीब 20 किलोमीटर दूर अनेगुंडी नाम की एक जगह ही रामायण में जिक्र की गई किष्किंधा नगरी है. जानकारों के मुताबिक अनेगुंडी गांव में कई ऐसे सबूत मिलते हैं, जो रामायण काल से संबंध रखते हैं. यहां चारों ओर पत्थर की चट्टानें और पहाड़ देखे जा सकते हैं, किष्किंधा नगरी के बारे में रामायण में भी ऐसा ही वर्णन मिलता है. इसके अलावा यहां पर कई प्राचीन गुफाएं भी हैं. यहां की पहाड़ियों, चट्टानों और गुफाओं पर हजारों साल पुराने चित्र बने हुए हैं. इनमें वानरों के भी चित्र शामिल हैं. 

 

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