Shardiya Navratri 2019: जानें कलश स्थापना मुहूर्त और विधि, पूरी होगी मनमांगी मुराद
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Shardiya Navratri 2019: जानें कलश स्थापना मुहूर्त और विधि, पूरी होगी मनमांगी मुराद

 इस बार शाम तक प्रतिपदा होने से कलश स्थापना के लिए भक्तों के पास पर्याप्त समय रहेगा. 

Shardiya Navratri 2019: जानें कलश स्थापना मुहूर्त और विधि, पूरी होगी मनमांगी मुराद

नई दिल्ली: शक्ति की उपासना का महापर्व यानी नवरात्रि 29 सितंबर से शुरू हो रही है. 7 सितंबर यानी नवमी के दिन शारदीय नवरात्रि का समापन होगा. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक मां अंबे इस बार हाथी पर सवार होकर आएंगी..ऐसे में इस बार मां की उपासनना से भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होगी. वहीं मां इस बार पैदल अपने धाम जाएंगी. ऐसे में यह शुभ संकेत नहीं है. आचार्य कमल नयन तिवारी इस बारे में बताते हुए कहते हैं कि ऐसी मान्यता है कि इस दौरान आर्थिक हानि, रोगों में बढ़ोत्तरी और मौसम संबंधी दिक्कतें लोगों के सामने आ सकती हैं.

क्या है कलश स्थापना का मुहूर्त
आचार्य कमल नयन तिवारी ने बताया कि काशी विश्ननाथ पंचाग के मुताबिक इस बार शाम तक प्रतिपदा होने से कलश स्थापना के लिए भक्तों के पास पर्याप्त समय रहेगा. वैसे सूर्योदय यानी सुबह 6.15 से लेकर 7.45 और दोपहर 11.25 से लेकर 12.45 तक का समय शुभ रहेगा.

कैसे करें कलश स्थापन
नवरात्रि से एक दिन पहले घर को साफ कर लें. इसके बाद नवरात्रि के दिन सभी पूजन सामग्री एक जगह रखकर लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछा दें. इसके बाद मिट्टी के एक सकोरे में मिट्टी भर लें और फिर जौ, जल डाले और फिर इसके ऊपर जल से भरा हुआ कलश रख दें. कलश के किनारे चारों तरह आम के पत्ते लगाकर इसे एक मिट्टी के दिए से ढंक दें. इसके ऊपर लाल कपड़े से बंधा नारियल रखें. साथ ही चौकी पर ही मां दुर्गा की प्रतिमा या फिर चित्र रखें. वहीं चौकी पर या फिर किसी दूसरी जगह अखंड दीपक रख लें. 

 

नवरात्रि पूजन विधि
सारी तैयारी पूरी होने के बाद शुभ मुहूर्त में अखंड दीपक जलाएं. इसके बाद नाम, गोत्र का उच्चारण कर संकल्प लें. संकल्प के बाद गणेश गौरी, कलश, नवग्रह और फिर माता रानी का ध्यान करें.

ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: 
स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि |
दारिद्रयदु:खभयहारिणि का त्वदन्या 
सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता ||

ध्यान के बाद सबसे पहले गौरी-गणेश, कलश और फिर नवग्रहों का पूजन करें. उन्हें भोग लगाएं. इसके बाद ॐ दुर्गा देव्यै नमः इस मंत्र को बोलते हुए मां अंबे को आसन के लिए फूल चढ़ाएं. आसन देने के बाद मां को स्नान कराएं, अगर मिट्टी की प्रतिमा, चित्र हो तो साफ कपड़े को भिंगोकर चित्र को पोंछे. फिर माता रानी को लाल रंग का वस्त्र चढ़ाएं. वस्त्र के बाद मां को तिलक करें और फिर किसी महिला से मां को सिंदुर चढ़वाएं. सिंदुर के बाद मां को इत्र चढ़ाएं. इसके बाद जगद्जननी को गुड़हल के फूलों की माला चढ़ाएं. 

मां को गुड़हल का फूल बेहद प्रिय है. फूल माला के बाद धूप-दीपक दिखाएं और फिर भोग लगाएं. नवरात्रि में हलवे का भोग शुभ माना गया है. भोग के बाद दक्षिणा चढ़ाएं और फिर इन मंत्रों से मां को प्रणाम करें. इसके बाद मां अंबे की आरती करें और फिर क्षमा प्रार्थना. सच्चे मन और विश्वास से किया गया पूजन निश्चित ही फलदायी होगा.

ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके |
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ||

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