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नई दिल्ली: 11 जुलाई 2021, रविवार से आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि शुरू होने जा रही हैं, जो कि 18 जुलाई तक चलेंगी. साल में 4 बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, जिनमें से माघ और आषाढ़ में पड़ने वाली नवरात्रों को गुप्त नवरात्र कहते हैं. गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri)में मां दुर्गा (Maa Durga) के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. वैसे तो चारों नवरात्रि मां दुर्गा के भक्तों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती हैं लेकिन माघ और आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि अघोरियों और तांत्रिकों के लिए बहुत विशेष मानी जाती हैं.
इसके अलावा इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में शुरू हो गुप्त नवरात्रि हर इच्छा को पूरी करेंगी. आज जानते हैं कि गुप्त नवरात्रि क्या हैं और यह प्रत्यक्ष नवरात्रि (Pratyaksha Navratri) से कैसे अलग हैं.
गुप्त से मतलब है छिपा हुआ. चैत्र और अश्विन महीने की प्रत्यक्ष नवरात्रि को जहां धूम-धाम से मनाया जाता है, मंदिरों की सजावट और डांडिया रास आदि किए जाते हैं, वैसा गुप्त नवरात्रि में नहीं होता है. इस दौरान पूजा-पाठ गुप्त रूप से किया जाता है. यह नवरात्रि साधकों और तांत्रिकों के लिए बेहद खास होती हैं. प्रत्यक्ष और गुप्त नवरात्रि में कुछ और भी अंतर होते हैं.
- प्रत्यक्ष नवरात्रि में सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए पूजन-पाठ और व्रत रखे जाते हैं, जबकि गुप्त नवरात्रि का महत्व आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति, सिद्धि पाने के लिए है.
- प्रत्यक्ष नवरात्रि आम लोगों के लिए और गुप्त नवरात्रि साधकों-तांत्रिकों के लिए अहम होती हैं.
- प्रत्यक्ष नवरात्रि में नवदुर्गा की पूजा होती है, जबकि गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा होती है.
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- गुप्त नवरात्रि में पूजा-पाठ, तांत्रिक साधन बिना आयोजन के गुप्त रूप से की जाती है. साधक कठिन व्रत रखते हैं.
- प्रत्यक्ष नवरात्रि की प्रमुख देवी मां पार्वती हैं, लेकिन गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवी मां काली है.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)