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नई दिल्ली: साल में 4 बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. इनमें से माघ और आषाढ़ मास में पड़ने वाली 2 नवरात्रों को गुप्त नवरात्र कहते हैं. गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) के 9 दिनों में मां दुर्गा (Maa Durga) के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. वैसे तो चारों नवरात्रि मां दुर्गा के भक्तों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती हैं लेकिन माघ और आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि अघोरियों और तांत्रिकों के लिए बहुत विशेष मानी जाती हैं. आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई से शुरू होकर 18 जुलाई तक चलेंगी. इन नवरात्रि में भी भक्त निराहार रहकर या फलाहार लेकर व्रत करते हैं. ज्योर्तिविद् मदन गुप्ता सपाटू से गुप्त नवरात्र के शुभ मुहूर्त और इनका महत्व जानते हैं.
इस साल आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा गज यानी हाथी की सवारी से आएंगी. इन नवरात्रों पर इस बार गुप्त नवरात्र पर सर्वार्थ सिद्धि योग (Sarvartha Siddhi Yog) बन रहा है, जो कि 11 जुलाई को सुबह 5:31 बजे से रात 2:22 तक रहेगा और उस दिन रवि पुष्य नक्षत्र भी पड़ रहा है, यह विशेष संयोग बेहद शुभकारी है और सारे काम सिद्ध करने वाला है. इसके अलावा नवरात्र में पूजा की शुरुआत आर्द्रा नक्षत्र में होने से योग और उत्तम हो गया है. बता दें कि नवरात्र 8 दिन की होगी, क्योंकि षष्टी और सप्तमी तिथि एक ही दिन हैं. इससे सप्तमी तिथि का क्षय हो गया है.
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि प्रारंभ तिथि: 11 जुलाई 2021
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 10 जुलाई 2021 सुबह 06:46
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 11 जुलाई 2021 के समय 07:47
अभिजीत मुहूर्त: 11 जुलाई, दोपहर 12:05 से 11 जुलाई दोपहर 12:59 तक
घट स्थापना मुहूर्त: 11 जुलाई सुबह 05:52 से 07:47 तक
लाभ और अमृत का चौघड़िया सुबह 9.08 से शुरू होकर 12.32 तक रहेगा. वहीं अभिजीत मुहूर्त दिन में 12.05 मिनट से 12.59 मिनट तक रहेगा.
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4 नवरात्र में से 2 को प्रत्यक्ष नवरात्र कहा गया है क्योंकि इनमें गृहस्थ जीवन यानी आम जनता पूजा पाठ करते हैं. वहीं 2 को गुप्त नवरात्र कहा गया है, जिनमें आमतौर पर साधक-संन्यासी, सिद्धि प्राप्त करने की इच्छा करने वाले लोग, तांत्रिक आदि देवी मां की उपासना करते हैं. हालांकि चारों नवरात्र देवी सिद्धि प्रदान करने वाली होती हैं, लेकिन गुप्त नवरात्र के दिनों में देवी की दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है, जिनका तंत्र शक्तियों और सिद्धियों में विशेष महत्व है. वहीं, प्रत्यक्ष नवरात्र में सांसारिक जीवन से जुड़ी चीजें देने वाली देवी के 9 रूपों की पूजा होती है. गुप्त नवरात्र में सामान्य लोग भी किसी विशेष इच्छा की पूर्ति या सिद्धि के लिए गुप्त नवरात्र में साधना कर सकते हैं.
प्रतिपदा तिथि (11 जुलाई 2021) - आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो रही है. इस दिन घट स्थापित किया जाता है और माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है.
द्वितीय तिथि (12 जुलाई 2021)- इस दिन ब्रह्माचारिणी देवी की पूजा करने का विधान है.
तृतीया तिथि (13 जुलाई 2021) - नवरात्रि की तृतीया तिथि पर माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है जो मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं. मां चंद्रघंटा अपने भक्तों को सुख व समृद्धि का वरदान देती हैं.
चतुर्थी तिथि (14 जुलाई 2021)- इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा होगी. मां कुष्मांडा की पूजा करने से रोग मुक्त होते हैं.
पंचमी तिथि (15 जुलाई 2021)- पंचमी तिथि पर मां स्कंदमाता की पूजा-आराधना करने का विधान है. स्कंदमाता अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करती हैं और उनकी रक्षा करती हैं.
षष्ठी तिथि (16 जुलाई 2021)- इस दिन मां कात्यायनी और मां कालरात्रि की पूजा होती है. मां कात्यायनी की पूजा करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और भय से मुक्ति मिलती है वही मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली माता कही गई हैं.
अष्टमी (17 जुलाई 2021)- इस दिन महागौरी की पूजा की जाती है. मां महागौरी की सवारी गाय है और वह सफेद वस्त्र धारण करती हैं. मां महागौरी को अन्नपूर्णा स्वरूप भी कहा जाता है.
नवमी (18 जुलाई 2021)- इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है. इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं.