कलयुग के साक्षात देव 'झाड़ी वाले हनुमान बाबा', रोचक कथा आपको हैरान कर देगी
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कलयुग के साक्षात देव 'झाड़ी वाले हनुमान बाबा', रोचक कथा आपको हैरान कर देगी

श्रीकृष्ण नगरी मथुरा में कलयुग के साक्षात देव 'झाड़ी वाले हनुमान बाबा' (Jhari Wale Hanuman Baba) के दर्शन कराते हैं, जहां प्राचीन 'झाड़ी वाले हनुमान बाबा' की रोचक कथा आपको हैरान कर देगी.

कलयुग के साक्षात देव 'झाड़ी वाले हनुमान बाबा', रोचक कथा आपको हैरान कर देगी

नई दिल्ली: श्रीकृष्ण नगरी मथुरा में कलयुग के साक्षात देव 'झाड़ी वाले हनुमान बाबा' (Jhari Wale Hanuman Baba) के दर्शन कराते हैं, जहां प्राचीन 'झाड़ी वाले हनुमान बाबा' की रोचक कथा आपको हैरान कर देगी. कहा जाता है कि इस मंदिर में हनुमान त्रेता युग का एक वचन निभा रहे हैं, तो चलिए जानते हैं झाड़ी वाले हनुमान का रहस्य...

'संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा...' ऐसी मान्यता है कि मां सीता के आशीर्वाद से राम भक्त हनुमान अजर-अमर हैं. हनुमान जी का जीवन चिरकाल तक माना गया है, तभी तो उन्हें कहते हैं, कलियुग का साक्षात देव.

हनुमान भक्तों के अनुसार संकट मोचन हनुमान सर्वत्र हैं. देशभर में उनकी छोटी-बड़े असंख्य मंदिर हैं. हनुमान जी के लिए लोगों की आस्था इतनी है कि आपको छोटे से गांव में भी पवनपुत्र का मंदिर जरूर मिल जाएगा. ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा कैसे हनुमान से अछूती रहती, तो आइए आज हम आपको बताते हैं कृष्ण की प्रेम नगरी में विरजमान बुद्धि और बल के देवता हनुमान जी के बारे में. मथुरा के नौहझील-शेरगढ़ रोड से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं झाड़ी वाले हनुमान बाबा.

पौराणिक कथाओं के अनुसार बाबा हनुमान कभी झाड़ियों में निवास किया करते थे. इसलिए इन्हें झाड़ी वाले हनुमान बाबा कहा जाता है, लेकिन बाद में मंदिर की दिव्य मान्यता की वजह से भक्तों के सहयोग से इस मंदिर को इतना भव्य बनाया गया कि जो भी यहां दर्शन करने आता है, बरबस ही मंदिर प्रांगण को देखता रह जाता है.

हनुमान जी किसी न किसी रूप में अपने भक्तों को दर्शन देते हुए उनकी सभी मनोकामना को पूरा करते हैं. कुछ ऐसी ही महिमा है मथुरा के इन झाड़ी वाले बाबा की भी. यहां मंगलवार और शनिवार के दिन भक्तों की भारी भीड़ रहती है. ये मंदिर बेहद प्राचीन है और मंदिर की उत्पत्ति के बारे में मान्यता है कि जब लंका विजय के लिए समुद्र पर सेतु बनाया रहा था तब वानरसेना अलग-अलग स्थानों से पत्थर जुटा रहे थे.

इसी कड़ी में हनुमान जी द्रोण पर्वत के पुत्र को ले जा रहे थे, लेकिन तभी उन्हें श्रीराम का संदेश मिला कि अब और पत्थरों की आवश्यकता नहीं है तो हनुमान जी ने उस पर्वत को मथुरा के गोवर्धन में ही छोड़ने की योजना बनाई. इस बात पर पर्वत दुखी हो गया और कहने लगा कि मैं श्रीराम के काम नहीं आ पाया. पर्वत की ये वेदना जब श्रीराम ने सुनी, तो उन्होंने उसे द्वापर युग में दर्शन देने का आश्वासन दिया और हनुमान जी ने हमेशा पर्वत के साथ रहने का वचन दिया. इसी तरह अपने दिए वचन का पालन करने के लिए बाबा हनुमान वहीं पर झाड़ियों में वास करने लगे.

मंदिर की महिमा ऐसी है कि लोग दूर-दूर से यहां दर्शन करने आते हैं. माना जाता है कि झाड़ी वाले बाबा के दर्शन करने से सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं. साथ ही पवनपुत्र हनुमान के दर्शन से सभी संकटों तो दूर हो ही जाते हैं, भूत-पिशाचों से भी मुक्तिमिल जाती है.

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