पापों से मुक्ति के लिए पांडवों ने बनवाया था Kedarnath Dham, यहां Lord Shiva के दर्शन के बाद मिला था स्‍वर्ग
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पापों से मुक्ति के लिए पांडवों ने बनवाया था Kedarnath Dham, यहां Lord Shiva के दर्शन के बाद मिला था स्‍वर्ग

हिमालय की गोद में बसे केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के निर्माण को लेकर कई कथाएं मशहूर हैं. इन्‍हीं में से एक के मुताबिक पांडवों ने अपने कुटुम्बियों और गुरुओं की हत्‍या के पापों से मुक्ति के लिए भगवान शिव के दर्शन के बाद यह धाम स्‍थापित किया था. 

(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: 12 ज्‍योर्तिलिंगों में से एक विश्व प्रसिद्ध भगवान केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के कपाट एक बार फिर भक्‍तों के लिए खुल गए हैं. हालांकि कोरोना संक्रमण के कारण यहां तीर्थयात्री और स्‍थानीय लोग कम ही पहुंच रहे हैं. साल के करीब 6 महीने बर्फ से ढंके रहने वाले इस पवित्र धाम को भगवान शिव (Lord Shiva) का निवास स्थान बताया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यहां भगवान शिव त्रिकोण शिवलिंग के रूप में हर समय विराजमान रहते हैं. वैसे तो पौराणिक ग्रंथों में इस धाम से जुड़ी कई कथाएं हैं, लेकिन आज महाभारत की कथा के बारे में जानते हैं. इसके मुताबिक यहां पांडवों (Pandavas) को भगवान शिव ने साक्षात् दर्शन दिए थे, जिसके बाद पांडवों ने इस धाम को स्थापित किया था.

  1. केदारनाथ में पांडवों को दिए थे भोलेनाथ ने दर्शन 
  2. शिव ने बताया था स्‍वर्ग का रास्‍ता 
  3. केदारनाथ को माना जाता है मुक्ति स्‍थल 

हत्‍या का कलंक दूर करने बनवाया था केदारनाथ मंदिर

कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध जीत के बाद पांडवों में सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर हस्तिनापुर नरेश बने. उसके बाद करीब 4 दशकों तक युधिष्ठिर ने हस्तिनापुर पर राज्य किया. इसी बीच एक बार पांचों पांडव भगवान श्रीकृष्ण के साथ बैठकर महाभारत युद्ध की समीक्षा कर रहे थे. तभी पांडवों ने श्रीकृष्ण से कहा हे कृष्‍ण हम सभी भाइयों पर ब्रम्ह हत्या के साथ अपने बंधु-बांधवों की हत्या का कलंक है. इसे कैसे दूर करें. तब श्रीकृष्ण ने कहा कि ये सच है कि युद्ध में भले ही जीत तुम्हारी हुई है लेकिन तुम लोग अपने गुरु और बंधु-बांधवों को मारने के कारण पाप के भागी बन गए हो. इसके कारण मुक्ति मिलना असंभव है. ऐसे में सिर्फ महादेव ही इन पापों से मुक्ति दिला सकते हैं. लिहाजा महादेव की शरण में जाओ. उसके बाद श्रीकृष्ण द्वारका लौट गए.

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शिव की तलाश में निकले पांडव 

उसके बाद पांडव पापों से मुक्ति के लिए चिंतित रहने लगे. एक दिन पांडवों को पता चला कि वासुदेव ने अपना देह त्याग कर दिया है और वो अपने परमधाम लौट गए हैं. इसके बाद पांडवों को भी पृथ्वी पर रहना उचित नहीं लग रहा था. तब उन्‍होंने परीक्षित को राज्‍य सौंपकर, द्रौपदी को लेकर हस्तिनापुर छोड़ दिया और भगवान शिव की तलाश में निकल पड़े. शिव के दर्शन के लिए वे काशी समेत कई जगह गए लेकिन शिव उनके पहुंचने से पहले ही कहीं और चले जाते. तब वे शिव को खोजते-खोजते हिमालय पहुंच गए. शिव यहां भी छिप गए. इस पर युधिष्ठिर ने भगवान शिव से कहा कि हे प्रभु आप कितना भी छिप जाएं लेकिन हम आपके दर्शन किए बिना यहां से नहीं जाएंगे. मैं ये भी जानता हूं कि हमने पाप किया है कि इसलिए आप हमें दर्शन नहीं दे रहे हैं. इसके बाद पांचों पांडव आगे बढ़ने लगे. तभी एक बैल उन पर झपट पड़ा. ये देख भीम उससे लड़ने लगे. तभी बैल ने अपना सिर चट्टानों के बीच छुपा लिया तो भीम उसकी पुंछ पकड़कर खींचने लगे. इससे बैल का धड़ सिर से अलग हो गया और उस बैल का धड़ शिवलिंग में बदल गया. कुछ समय के बाद शिवलिंग से भगवान शिव प्रकट हुए. शिव ने पांडवों के पाप क्षमा कर दिए. इसके बाद पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण किया. 

आज भी हैं प्रमाण 

इस घटना के प्रमाण केदारनाथ में देखने को मिलते हैं. यहां शिवलिंग बैल के कुल्हे के रूप में मौजूद है. चूंकि भगवान शिव ने पांडवों को दर्शन देने के बाद स्वर्ग का मार्ग बताया इसलिए हिन्दू धर्म में केदार स्थल को मुक्ति स्थल माना जाता है.

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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