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Krishna And Surath Story: भगवान श्री कृष्ण की लीला अपरम पार है. उनकी रोचक कथाओं में से एक भगवान कृष्ण और उनके प्रिय भक्त सुरथ की है. दरअसल द्वापर युग के समय महाभारत का युद्ध हुआ था. जिसके बाद युद्धिष्ठिर ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया था. इस दौरान यज्ञ का घोड़ा भ्रमण करते करते चंपकपुरी पहुंचा. जहां के राजा हंसध्वज और उनके बेटे सुरथ ने घोड़े को पकड़ लिया.
इस यज्ञ के घोड़े को पकड़ने के बाद ही एक ऐसी घटना घटी जिसे हर कोई अब भी याद करता है. इस दौरान भगवान श्री कृष्ण अपने भक्त सुरथ का सिर गोद में लिए कई समय तक बैठे रह गए थें. आइए विस्तार में इसके पीछे की पूरी कहानी के बारे में जानें.
भगवान श्री कृष्ण से मिलने का था लक्ष्य
राजा हंसध्वज और उनके बेटे सुरथ का घोड़े को पकड़ने का मकसद बस यह था कि वह केवल भगवान श्री कृष्ण के दर्शन् करना चाहते थे. यज्ञ के घोड़े को पकड़ने की बात जब पांडवों तक पहुंची तो अर्जुन सेना लेकर युद्ध के लिए निकल पड़े. यह बात जान कर भगवान श्री कृष्ण भी साथ में निकल पड़े. जहां पर अपने प्रिय भक्त सुरथ और अर्जुन को एक दूसरे के विपरित खड़े देख विचलित हो गए.
भगवान श्री कृष्ण ने भक्त को बचाने की कोशिश
भक्त सुरथ के साथ कोई अनहोनी ना घट जाए उसके लिए भगवान श्री कृष्ण युद्ध के मौदान से अर्जुन को वापस लेकर लौटने लगे. ये सब अर्जुन समझ नहीं पा रहे थे. पीछे पीछे सुरथ भी आने लगे और अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारने लगे. जिसके बाद भीषण युद्ध छिड़ गया. इस युद्ध के दौरान अजुर्न ने सुरथ का सिर धड़ से अलग कर दिया. सुरथ ने मरते वक्त सामने खड़े भगवान श्री कृष्ण को प्रणाम किया और कहा कि मैं अपने आपको भाग्यशाली मानता हूं कि जो मेरी मृत्यु आपके सामने हुई.
विलाप में गोद में लिया भक्त का कटा सिर
भगवान श्री कृष्ण ने सुरथ को आशीर्वाद दिया. जिसके बाद उन्होंने अपने परम भक्त सुरथ के कटे सिर को काफी देर तक अपनी गोद में लिए रहे.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)