भारत में एक ऐसा अनोखा मंदिर स्थित है, जिसमें काले कुत्ते की पूजा (Dog Worship) की जाती है. छत्तीसगढ़ में स्थित इस मंदिर में सावन में भक्तों की भारी भीड़ लगती है. यहां कुत्ते की पूजा किए जाने के पीछे एक पौराणिक कथा काफी प्रचलित है. इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं और इसके बनने की वजह जानकर आप हैरान रह जाएंगे.
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नई दिल्ली. आपने मंदिर में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना जरूर की होगी. लेकिन क्या आपने आज तक किसी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है, जिसमें कुत्ते की पूजा (Dog Worship) की जाती है. चौंकिए मत. यह अनोखा मंदिर भारत में ही मौजूद है. इस मंदिर को कुकुरदेव मंदिर (Kukurdev Temple) के नाम से जाना जाता है और यह छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में स्थित है. इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं और इसके बनने की वजह जानकर आप हैरान रह जाएंगे.
मंदिर की मान्यताएं
यह मंदिर छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के खपरी गांव में स्थित है. इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर दोनों तरफ कुत्ते की मूर्तियां लगी हुई हैं. वहीं, मंदिर के अंदर शिवलिंग के बगल में काले कुत्ते की मूर्ति स्थापित की गई है. इस मंदिर में सावन में भक्तों का जमावड़ा लगता है. यहां आने वाले भक्त भगवान भोले नाथ के साथ-साथ कुत्ते की भी पूजा-अर्चना करते हैं.
मान्यताओं के अनुसार, जो शख्स कुकुरदेव मंदिर में कुत्ते की पूजा करता है, उसको कभी कुकुरखांसी नहीं होती है और कुत्ता भी नहीं काटता है.
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कुकुरदेव मंदिर बनने की कहानी
कुकुरदेव मंदिर एक कुत्ते की याद में बनाया गया है. बताते हैं कि सदियों पहले एक बंजारा अपने परिवार और एक कुत्ते के साथ इस गांव में आया था. बंजारा बहुत गरीब था और गांव में अकाल पड़ने की वजह से वह परेशान रहने लगा था. उसके परिवार के पास खाने के लिए कुछ नहीं था. ऐसे में बंजारे ने वहां के साहूकार से कर्ज ले लिया. लेकिन बंजारा समय पर कर्ज वापस नहीं कर सका.
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ऐसे में साहूकार ने गरीब बंजारे को खूब खरी-खोटी सुनाई. इसके बाद बंजारा रोता हुआ अपने घर पहुंचा और उसने अपने वफादार कुत्ते को साहूकार के पास गिरवी रखने का फैसला किया.
कुत्ते की वफादारी
फिर एक दिन साहूकार के घर चोरी हो गई. चोरों ने साहूकार का सारा कीमती सामान चुरा लिया. उसके बाद चोरों ने सारा कीमती सामान जमीन में गाढ़ दिया. कुत्ता यह सब देख रहा था. जब साहूकार को चोरी का पता चला तो वो बहुत दुखी हुआ लेकिन कुत्ता उसे वहां तक ले गया जहां चोरों ने कीमती सामान छुपाया था. साहूकार ने गड्ढा खोदा तो उसे सारा सामान मिल गया. साहूकार कुत्ते की वफादारी से बहुत प्रसन्न हुआ और उसे वापस बंजारे के पास भेजने का फैसला लिया.
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बंजारे ने कुत्ते को पीट-पीटकर मार डाला
साहूकार ने बंजारे के नाम एक चिट्ठी लिखकर कुत्ते के गले में बांध दी. कुत्ता बंजारे के पास पहुंचा लेकिन बंजारा उसे देखकर बहुत क्रोधित हुआ. उसे लगा कि वह साहूकार के पास से भागकर आया है. फिर क्या था, बंजारे ने आव देखा न ताव, कुत्ते को पीटना शुरू कर दिया. उसने कुत्ते को तब तक पीटा, जब तक वो मर नहीं गया.
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बंजारे ने क्रोध शांत होने पर कुत्ते के गले में लटकी चिट्ठी को पढ़ा तो हैरान रह गया. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह अब क्या करे. उसे अपनी गलती का बहुत पछतावा हो रहा था. उसके बाद उसने उसी जगह पर कुत्ते को दफना दिया और स्मारक बनवा दिया. बाद में इस स्मारक को लोगों ने मंदिर का रूप दे दिया. आज इसी मंदिर को कुकुरदेव मंदिर के नाम से जाना जाता है.