भगवान शिव (God Shiva) का चांदनी चौक (Chandni Chowk) स्थित यह धाम यानी गौरी शंकर मंदिर (Gauri Shankar Mandir) लगभग 800 साल पुराना है. मंदिर की विशेषता की बात करें तो यहां का शिव लिंग भूरे रंग का है. शंभुनाथ को यहां चांदी के सर्पों ने घेर रखा है.
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नई दिल्ली: ज़ी आध्यात्म में आज जानिए राजधानी दिल्ली (Delhi) के भगवान भोलेनाथ (Lord Bholenath) के धाम गौरी शंकर मंदिर (Gauri Shankar Temple) के बारे में, जहां सदियों पुराने इस मंदिर में साल भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है. गौरी शंकर का यह मंदिर करीब 800 साल पुराना है. मंदिर की विशेषता की बात करें तो यहां का शिव लिंग भूरे रंग का है. शंभुनाथ को यहां चांदी के सर्पों ने घेर रखा है.
सृष्टि के आदि और अंत महादेव
महादेव आदि देव हैं. वे सृष्टि के आदि भी हैं और अंत भी. महादेव आशुतोष हैं, वे जगत का आधार हैं. उनके भक्त मानते हैं कि शिव को जब-जब पुकारा जाए, वे जरूर प्रकट होते हैं. भक्तों पर पड़ने वाले हर संकट का महादेव नाश करते हैं. शिव अगर महारुद्र हैं तो भोले भी हैं. इसीलिए उनके भक्त अलग-अलग उपायों से उन्हें रिझाते हैं, प्रसन्न करते हैं. शिव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें जल चढ़ाया जाता है. कई भक्त तो सोमवार का व्रत भी रखते हैं.
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सदियों पुराना अद्भुत शिवलिंग
जब लोगों में शिव के प्रति इतनी आस्था है तो दिलवालों की दिल्ली के दिल में शिव कैसे न हों. वैश्विक माहमारी कोरोना (Coronavirus) के कहर ने भक्तों को ईश्वर दर्शन से दूर रखा था. दिल्ली के बीचों-बीच चांदनी चौक के गौरी शंकर मंदिर में भक्तों की भीड़ लगती है. यह मंदिर लगभग 800 साल पुराना है. इस मंदिर की विशेषता है कि यहां का शिव लिंग भूरे रंग का है और शंभुनाथ को चांदी के सर्पों ने घेर रखा है.
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बाबा भोलेनाथ की इसी अद्भूत छटा को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां खिंचे चले आते हैं.
कोरोना काल में मंदिर में विशेष इंतजाम
गौरी शंकर मंदिर के महंत ने बताया कि मंदिर को पूरी तरह सैनिटाइज करवाया गया है. लोगों को मास्क दिए गए हैं और दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की सुविधा का ध्यान रखा गया है. मंदिर में भगवान शिव के साथ माता पार्वती और उनके पुत्रों गणेश और कार्तिकेय की मूर्तियां भी हैं. इन मूर्तियों को सोने के आभूषणों के सुसज्जित किया गया है.
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मराठा सैनिक अप्पा ने बनवाया मंदिर
मान्यता है कि इस मंदिर को मराठा सैनिक अप्पा गंगाधर (Appa Gangadhar) ने बनवाया था, जो बाबा शिव के परम भक्त थे. अप्पा एक बार युद्ध में बुरी तरह घायल हो गए थे, जिसके बाद उनके जिंदा बचने की कोई आशा नहीं थी. उन्होंने कालों के काल महादेव से प्रार्थना की और अपने जीवन की भिक्षा मांगी. साथ ही मन्नत मांगी कि यदि उनका जीवन बच गया तो वे महादेव शिव का भव्य मंदिर बनाएंगे.
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भोलेनाथ ने चमत्कार दिखाया और अप्पा की जान बच गई तो उन्होंने यह मंदिर बनवाया. बाद में सेठ जयपुरिया (Seth Jaipuria) नाम के शिव भक्त ने 1959 में गौरी-शंकर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया.
साल भर खुला रहता है भोले का दरबार
यह मंदिर साल भर खुला रहता है और शिव में अगाढ़ आस्था रखने वाले भक्त यहां माथा टेकने जरूर आते हैं. सोमवार के दिन तो मंदिर में इतनी भीड़ होती है कि श्रद्धालु मंदिर में समाते तक नहीं हैं. श्रद्धालु सोमवार को शिवाभिषेक का विशेष महत्व मानते हैं. उनके मुताबिक सोमवार को शिव पर जलाभिषेक करने से भगवान उनकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं.
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