Lord Ganesh: भगवान गणेश का वाहन कैसे बना चूहा? जानें पीछे की रोचक पौराणिक कथा
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Lord Ganesh: भगवान गणेश का वाहन कैसे बना चूहा? जानें पीछे की रोचक पौराणिक कथा

Ganesh ji ka vahan chuha kaise bana: हर देवी-देवता की अपनी सवारी होती है. जैसे भगवान शिव की सवारी नंदी बैल हैं, दुर्गा माता की सवारी शेर हैं, इसी तरह गणेश जी की सवारी चूहा है. क्या आप जानते हैं भगवान गणेश की सवारी या वाहन मूषक कैसे बना.

Lord Ganesh: भगवान गणेश का वाहन कैसे बना चूहा? जानें पीछे की रोचक पौराणिक कथा

Ganesh Pauranik Katha: हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान शिव गणेश जी की पूजा करने का विधान है. भगवान गणेश की पूजा करने से कार्यों में सफलता की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि जो भी श्रद्धाभाव से गणेश जी की पूजा करता है उसकी मन की इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन के संकट दूर हो जाते हैं. 

चूहा कैसे बना गणेश जी की सवारी
हर देवी-देवता की अपनी सवारी होती है. जैसे भगवान शिव की सवारी नंदी बैल हैं, दुर्गा माता की सवारी शेर हैं, इसी तरह गणेश जी की सवारी चूहा है. क्या आप जानते हैं भगवान गणेश की सवारी या वाहन मूषक कैसे बना. आइए जानते हैं इसके पीछे की रोचक पौराणिक कथा.

मुनि वामदेव ने दिया श्राप
पौराणिक कथाओं के अनुसार इंद्रदेव के दरबार में एक क्रौंच नाम का गंधर्व हुआ करता है. उसका स्वभाव बहुत मजाकिया था, एक बार वो हंसी-ठिठोली कर रहा था जिससे बार-बार दरबार भंग हो रहा था. हंसी-मजाक के दौरान ही उसने मुनि वामदेव पर पैर रख दिया. इससे मुनि क्रोधित हो गए और क्रौंच को चूहे बनने का श्राप दे दिया. श्राप के बाद जैसी ही क्रौंच चूहा बना तो वह पराशर ऋषि के आश्रम में जा कर गिरा. वहां जाकर भी चूहे ने काफी उत्पात मचाया. चूहे के उत्पात से ऋषि पराशर परेशान हो गए और भगवान गणेश को अपनी सारी परेशानी बताई. 

इस कारण बनाया वाहन
गणेशजी ने बात सुनकर चूहे को पकड़ने के लिए पाश फेंक दिया. पाश पाताल लोग से मूषक को पकड़ लाया. जैसे ही पाश ने मूषक को गणेश जी के सामने उपस्थित किया वो बेहाश हो गया था. इसके बाद जब चूहे को होश आया तो वह गणेश जी की अराधना करने लगा और गणेश जी से अपने जीवन की भीख मांगने लगा. इसके बाद गणेश जी ने मूषक को अपना वाहन बना लिया.

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दूसरी कहानी
एक बार गजमुखासुर नाम के राक्षस ने देवी-देवताओं को बहुत परेशान कर रखा था. देवी-देवताओं ने अपनी व्यथा गणेश जी को बताई. इसके बाद गणेश जी ने गजमुखासुर से युद्धा का फैसला किया और उसे ललकारा. युद्ध में गणेश जी का एक दांत टूट गया. दांत टूटने से गणेश जी को क्रोध आया. क्रोध में उन्होंने दांत से ही राक्षय पर प्रहार किया. भय के कारण राक्षस चूहा का रूप लेकर भागने लगा. मृत्यु के भय से राक्षस गणेश जी से माफी मांगने लगा. इसके बाद गणेश जी ने मूषक रूप में ही उसे अपना वाहन बना लिया. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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