Mokshada Ekadashi 2020: इस वजह से एकादशी पर नहीं खाए जाते हैं चावल, लगता है पाप
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Mokshada Ekadashi 2020: इस वजह से एकादशी पर नहीं खाए जाते हैं चावल, लगता है पाप

मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi 2020) 25 दिसंबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी. एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat) सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है. एकादशी (Ekadashi) के खास मौके पर चावल का सेवन नहीं किया जाता है.

मोक्षदा एकादशी

नई दिल्ली. मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi) को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi 2020) कहा जाता है. सनातन धर्म में मोक्षदा एकादशी का बहुत महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. साल की आखिरी एकादशी (Mokshada Ekadashi 2020) 25 दिसंबर यानी शुक्रवार को है.

  1. 25 दिसंबर को है मोक्षदा एकादशी
  2. इस दिन चावल का नहीं किया जाता है सेवन
  3. भगवान विष्णु की होती है पूजा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मोक्षदा एकादशी पर व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही इस दिन चावल खाना अशुभ माना जाता है. आज जानिए कि आखिर क्यों मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) पर चावल (Rice) का सेवन नहीं करना चाहिए.

एकादशी पर चावल का सेवन न करने की वजह

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार माता शक्ति, महर्षि मेधा पर बहुत क्रोधित हो गई थीं. महर्षि मेधा ने माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए अपना शरीर त्याग दिया था. इसके बाद उनका शरीर धरती में समा गया था. मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि जिस जगह पर महर्षि मेधा का शरीर धरती में समाया था, उसी जगह पर चावल और जौ की उत्पत्ति हुई थी. इसी वजह से एकादशी के दिन चावल और जौ का सेवन नहीं किया जाता है.

मान्यताओं के अनुसार, एकादशी के दिन जो व्यक्ति चावल या जौ का सेवन करता है, वह महर्षि मेधा के रक्त और मांस का सेवन करता है.

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मोक्षदा एकादशी शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि की शुरुआत 24 दिसंबर 2020 यानी बृहस्पतिवार की रात 11 बजकर 16 मिनट से होगी और एकादशी तिथि की समाप्ति 25 दिसंबर 2020 यानी शुक्रवार की देर रात 01 बजकर 53 मिनट पर होगी.

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मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि

मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. फिर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें और मन ही मन भगवान विष्णु का नाम जपें.

इसके बाद भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराएं. फिर उन पर रोली, चंदन, अक्षत आदि चढ़ाएं. उसके बाद भगवान का फूलों से शृंगार कर उन्हें भोग लगाएं. इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की आरती जरूर उतारें.

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