हवन या यज्ञ करते समय मंत्र के बाद क्यों कहते हैं स्वाहा? यहां जानें इसका कारण
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हवन या यज्ञ करते समय मंत्र के बाद क्यों कहते हैं स्वाहा? यहां जानें इसका कारण

घर में या मंदिर में कभी भी यज्ञ या हवन करते समय क्या कभी आपके मन में भी यह सवाल आया है कि आखिर हर बार हवन में आहुति डालते वक्त मंत्र उच्चारण के बाद स्वाहा क्यों कहा जाता है? इस सवाल का जवाब यहां जानें.

हवन के दौरान क्यों कहते हैं स्वाहा?

नई दिल्ली: हिंदू धर्म में कोई भी अनुष्ठान या शुभ कार्य हवन (Hawan) के बिना पूरा नहीं माना जाता. फिर चाहे घर में सत्यनारायण भगवान की कथा (Satyanarayan katha) कर रहे हों, या फिर किसी नए काम की शुरुआत, पूजा के बाद हवन अवश्य होता है. नवरात्रि (Navratri) का समय चल रहा है और इस दौरान रोजाना भले ही आप हवन न करें लेकिन नवमी के दिन हवन अवश्य होता है. हवन करने के दौरान जितनी बार आहुति डाली जाती है उतनी बार स्वाहा (Swaha) कहा जाता है. आखिर इसका कारण क्या है, इस बारे में यहां जानें.

  1. हवन या फिर यज्ञ में मंत्र के बाद क्यों कहते हैं स्वाहा
  2. स्वाहा कहने के पीछे कौन सी पौराणिक कथा है, जानें
  3. हवन में आहुति डालते वक्त मंत्र के आखिर में कहते हैं स्वाहा

मंत्र उच्चारण के बाद आखिर में कहते हैं स्वाहा

दरअसल, स्वाहा का मतलब होता है सही रीति से पहुंचाना. मंत्रों का उच्चारण (Mantra) करते हुए जब हवन सामग्री को अग्नि में आहुति के रूप में डाला जाता है तो स्वाहा कहकर उसे ईश्वर को अर्पित किया जाता है. कोई भी यज्ञ या हवन (Yagya or hawan) तभी सफल माना जाता है जब हवन में डाली जा रही आहुति यानी हवन सामग्री (Aahuti) को देवता ग्रहण कर लें और ऐसा तभी होता है जब स्वाहा कहकर उसे देवताओं को अर्पित किया जाता है. अग्नि, मनुष्य को देवताओं से जोड़ने का एक तरह से माध्यम है और मनुष्य फल, शहद, घी, हवन सामग्री जो भी ईश्वर तक पहुंचाना चाहता है उसे अग्नि के माध्यम से आहुति देकर पहुंचाता है.

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स्वाहा कहने से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार स्वाहा, प्रजापति राजा दक्ष की पुत्री थीं. स्वाहा का विवाह अग्निदेव के साथ किया गया था (Swaha was married to agnidev). अग्निदेव की पत्नी स्वाहा के माध्यम से ही हविष्य यानी हवन योग्य सामग्री देवताओं तक पहुंचती है. एक अन्य कथा के अनुसार एक बार देवताओं को अन्न की कमी हो गई और इस समस्या के निवारण के लिए वे सभी ब्रह्म देव के पास पहुंचे. समस्या के हल के लिए ब्रह्म देव ने स्वाहा से कहा कि वे अग्निदेव से विवाह कर लें. ऐसा होने पर देवी स्वाहा के प्रभाव से अग्निदेव को यज्ञ में शक्ति मिलती है और यज्ञ में डाली जा रही आहुति को स्वाहा भस्म कर देती हैं जिससे देवता उसे ग्रहण कर पाते हैं. यही कारण है हवन या यज्ञ के दौरान बोले जाने वाले मंत्र स्वाहा पर समाप्त होते हैं. 

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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