नवरात्रि 2019: विन्ध्याचल में शारदीय नवरात्र की तैयारियां पूरी, सुरक्षा के किए गए कड़े इंतजाम
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नवरात्रि 2019: विन्ध्याचल में शारदीय नवरात्र की तैयारियां पूरी, सुरक्षा के किए गए कड़े इंतजाम

नवरात्र के पहले दिन श्रद्धालुओं ने पूरी श्रद्धा के साथ आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी के दर्शन और पूजन किए. घंटी घड़ियालों से पूरा विन्ध्य क्षेत्र गुंजायमान हो गया. 

नवरात्रि 2019: विन्ध्याचल में शारदीय नवरात्र की तैयारियां पूरी, सुरक्षा के किए गए कड़े इंतजाम

मिर्जापुरः रविवार 30 सितंबर की सुबह मंगल आरती के साथ 9 दिन का नवरात्र आरम्भ हो गया, इन नौ दिनों के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होगी. ऐसे में आदिशक्ति मां जगदंबा के परम धाम उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर स्थित विन्ध्याचल में भी शारदीय नवरात्र के चलते भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है. यहां प्रतिवर्ष नवरात्र में लगने वाले मेले को देखने के लिए दूर-दूर से भक्तों का तांता पहुंच रहा है. नवरात्र में यहां आदिशक्ति के नौ रूपों की आराधना की जाती है. पहले दिन हिमालय की पुत्री पार्वती मतलब शैलपुत्री के रूप में आदिशक्ति की विधि-विधान से पूजा की गई. विन्ध्यपर्वत और पापनाशिनी मां गंगा के संगम तट पर विराजमान मां विंध्यवासिनी शैलपुत्री के रूप में दर्शन देकर अपने सभी भक्तों का कष्ट दूर करती हैं. 

नवरात्र के पहले दिन श्रद्धालुओं ने पूरी श्रद्धा के साथ आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी के दर्शन और पूजन किए. घंटी घड़ियालों से पूरा विन्ध्य क्षेत्र गुंजायमान हो गया. अनादिकाल से भक्तों के आस्था का केंद्र बने विन्ध्य पर्वत और पतित पावनी माँ भागीरथी के संगम तट पर श्रीयंत्र पर विराजमान मां विंध्यवासिनी का प्रथम दिन शैलपुत्री के रूप में पूजन किया गया. शैल का अर्थ पहाड़ होता है. कथाओं के अनुसार पार्वती पहाड़ों के राजा हिमालय की पुत्री थीं. पर्वत राज हिमालय की पुत्री को शैलपुत्री भी कहा जाता है, उनके एक हांथ में त्रिशूल और दूसरे हांथ में कमल का फूल है.

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भारत के मानक समय के लिए विन्दु के रूप में स्थापित विन्ध्यक्षेत्र में मां को विन्दुवासिनी मतलब विंध्यवासिनी के नाम से भक्तों के कष्ट को दूर करने वाला माना जाता है. प्रत्येक प्राणी को सदमार्ग पर प्रेरित वाली मां शैलपुत्री सभी के लिए आराध्य हैं. कलश स्थापना कर पूजन करने से नौ दिन में मां दुर्गा मन, वचन, कर्म सहित इस शरीर के नौ द्वार से मां सभी भक्तों की मनोकामना को पूरा करती हैं. आज के दिन साधक के मूलचक्र  जागरण होता है

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सिद्धपीठ में देश के कोने-कोने से ही नहीं विदेश से आने वाले भक्त मां का दर्शन पाकर निहाल हो उठते हैं. दर्शन करने के लिए लम्बी-लम्बी कतारों में लगे भक्त मां का जयकारा लगाते रहते हैं. भक्तों की आस्था से प्रसन्न होकर मां उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देती हैं. जो भी भक्त की अभिलाषा होती है मां उसे पूरी करती हैं. मां के धाम में पहुंचकर भक्त परम शांति की अनुभूति करते हैं. उन्हें विश्वास है कि मां सब दुःख दूर कर देंगी.

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